मुंबई: कर्जमाफी की मांग को लेकर महाराष्ट्र के किसान आज से हड़ताल पर हैं. आंदोलन के दौरान किसान बाजार में दूध और सब्जियां नहीं बेचेंगे जिसकी वजह से आम लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ा सकता है. आपको बता दें कि लंबे समय से कर्जमाफी की मांग कर रहे महाराष्ट्र के किसानों ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से विभिन्न मुद्दों पर बातचीत के बाद बुधवार आधी रात से अनिश्चितकालीन आंदोलन शुरू करने की घोषणा की.
आधी रात से किसानों ने शुरू किया आंदोलन
स्वाभिमानी शेतकारी संगठन के नेता और सांसद राजू शेट्टी ने कहा, "किसानों द्वारा आंदोलन शुरू करने के साथ मुंबई, ठाणे, नवी मुंबई, पुणे, नासिक, नागपुर जैसे बड़े शहरों को आने वाले दिनों में फल, सब्जियों, दूध और खाद्यान्नों की कमी से जूझना पड़ सकता है."
शेट्टी ने कहा, "पूरे राज्य में किसान आत्महत्या कर रहे हैं...सरकार उनकी परेशानियों के प्रति असंवेदनशील है. हमारे पास आंदोलन के सिवा कोई चारा नहीं है..एक पखवाड़े के बाद हम अपना आंदोलन और तेज करेंगे."
मुख्यमंत्री से कोई ठोस आश्वासन नहीं
शेट्टी ने बताया कि मंगलवार देर शाम विभिन्न किसान संगठनों की राज्य स्तरीय समन्वय समिति 'किसान क्रांति मोर्चा' (केएमएम) के प्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री फडणवीस से मुलाकात की, लेकिन उन्हें मुख्यमंत्री से कोई ठोस आश्वासन नहीं मिला.
उन्होंने कहा, "यह आंदोलन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए शर्मनाक होगा, क्योंकि उन्होंने लोकसभा चुनाव-2014 के दौरान किसानों की समस्याएं सुलझाने का वादा किया था. साथ ही यह आंदोलन राज्य में भारतीय जनता पार्टी की सरकार की असफलता को बयां करेगा."
किसी तरह के समाधान की उम्मीद
वहीं राज्य सरकार ने कहा है कि उसे आखिरी समय में किसी तरह के समाधान की उम्मीद है. राज्य के कृषि मंत्री सदाभाऊ खोत ने कहा, "हम किसान नेताओं से हर मुद्दे पर बातचीत कर रहे हैं. उनकी मांगों के प्रति हमारी सहानुभूति है. मुझे पूरा विश्वास है कि हम इनका कोई सौहार्द्रपूर्ण समाधान निकाल लेंगे और मुद्दे को निपटा लेंगे."
अहमदनगर के पुंटाम्बा गांव के 200 किसानों के समूह ने सबसे पहले एक जून से आंदोलन शुरू करने की घोषणा की, जिसके बाद कई किसान समूहों ने आंदोलन में अपनी भागीदारी का फैसला लिया.
जानें क्या है किसानों की मांग ?
किसानों द्वारा उठाई जा रही मांगों में कृषि ऋण को पूरी तरह माफ किया जाना, मुफ्त बिजली, कृषि उत्पादों का उचित मूल्य, सिंचाई के लिए अनुदान राशि और दूध की अधिक कीमत के अलावा एम एस स्वामिनाथन समिति की सिफारिशों को लागू करना शामिल है.