नई दिल्ली: देश के अलग-अलग राज्यों के प्रवासी मजदूर पलायन करने को मजबूर हैं. हर जगह सड़कों पर मजदूर चलते हुए नज़र आ रहे हैं. वहीं कुछ ऐसे भी हैं, जो एक ही जगह फंसे हुए हैं और इस इंतज़ार में हैं कि सरकार की तरफ से उन्हें कोई मदद मिलेगी और वो अपने घर पहुंचेंगे. शामली के कैराना के एक स्कूल में 136 प्रवासी मजदूर फंसे हुए हैं. उत्तर प्रदेश सरकार ने इन्हें रोका हुआ है. ये कह कर कि सब को उनके घर पहुंचा दिया जाएगा, लेकिन कई दिन बीत जाने के बाद भी इन मजदूरों को कोई उम्मीद नज़र नहीं आ रही है. एबीपी न्यूज़ की टीम कैराना के उस स्कूल में पहुंची, जहां ये मजदूर रुके हुए हैं.


हमने कई मजदूरों से बात की. सभी का यही कहना था कि जहां भी काम कर रहे थे, लॉकडाउन के बाद काम बंद हो गया, जिनके यहां काम कर रहे थे, उन्होंने भी कोई मदद नही की. इतना ही नहीं जिस जगह रह रहे थे वहां, से भी निकाल दिया गया. अब इनके पास पलायन करने के अलावा कोई चारा नहीं था. लिहाज़ा इन्होंने सोचा कि पैदल ही अपने अपने घर निकल जाते हैं. इनमें से कुछ बिहार का रहने वाले हैं, कुछ झारखंड के, उत्तर प्रदेश के और कुछ मध्य प्रदेश के रहने वाले हैं. पंजाब और हरियाणा से चलकर ये सभी अपने अपने घर जा रहे थे, लेकिन उन्हें कैराना में रोक दिया गया. अब उन्हें इंतज़ार है तो बस अपने घर जाने का.



इन्हीं प्रवासी मजदूरों के साथ हमें एक छोटा सा परिवार भी मिला. ये परिवार था नज़रे आलम का. बिहार के ही रहने वाले नज़रे आलम की कहानी भी बड़ी ही दर्द भरी है. नज़रे आलम पानीपत में ऑटो रिक्शा चलाते थे, पत्नी के साथ इनका 1 साल का बच्चा भी है. लॉकडाउन के दौरान ऑटो रिक्शा चलना बंद हो गया. कुछ दिन तो गुजर बसर चलता रहा, लेकिन उसके बाद खाने पीने का सामान सब खत्म हो गया.


उन्होंने बताया कि मकान मालिक ने भी किराया मांगना शुरू कर दिया. जब किराया नहीं दे पाए तो मकान मालिक ने ऑटो रिक्शा ही रख लिया. उसके बाद ये पानीपत से पैदल ही अपनी पत्नी और मासूम बच्चे के साथ निकल गए. करीब डेढ़ दिन चलने के बाद अब ये भी पिछले 5 दिन से कैराना के स्कूल में फंसे हैं. सरकार से बस एक ही गुजारिश है कि किसी भी तरह इन्हें बिहार भेज दिया जाए.