नई दिल्ली: भारतीय रेलवे ने मंगलवार को कहा कि वह एक मई से अबतक 76 श्रमिक विशेष ट्रेनें चला चुका है, जिनमें करीब 70 हजार श्रमिक यात्रा कर चुके हैं. रेलवे के अनुसार चार मई तक 55 ट्रेनें चलाई जा चुकी थीं.
रेलवे ने अभी आधिकारिक रूप से यह नहीं बताया है कि इन सेवाओं पर कितनी रकम खर्च हो रही है. सरकार का कहना है कि इसका 85 प्रतिशत खर्च केन्द्र सरकार जबकि 15 प्रतिशत खर्च राज्य सरकारें उठाएंगी. अधिकारियों ने हालांकि संकेत दिये हैं कि मंगलवार सुबह तक चलाई गयीं 67 ट्रेनों पर करीब 50 करोड़ रुपये खर्च किये जा चुके हैं.
सूत्रों ने कहा कि रेलवे, प्रति श्रमिक विशेष ट्रेन सेवा पर लगभग 80 लाख रुपये खर्च कर रहा है.
ये ट्रेनें चलने का मतलब ये बिल्कुल नहीं है कि कोई भी शख्स रेलवे स्टेशन पहुंच जाए और सफर करने लगे. आपको न ही कोई टिकट जारी करेगा और न ही ट्रेन में चढ़ने दिया जाएगा. इन ट्रेनों से चुनिंदा लोग ही सफर कर सकते हैं. ये चुनिंदा लोग हैं- लॉकडाउन में फंसे मजदूर, छात्र, तीर्थयात्री और पर्यटक. लेकिन इनमें से भी वही लोग सफर कर सकते हैं, जिन्हें राज्य सरकार की ओर से अनुमति दी गई है.
कैसे मिलेगी श्रमिक स्पेशल ट्रेन में सफर करने की मंजूरी?
अगर आप श्रमिक स्पेशल ट्रेन से सफर करना चाहते हैं, तो सबसे पहले नजदीकी नोडल ऑफिसर से संपर्क करना होगा. उनके जानकारी हासिल करें और अपना रजिस्ट्रेशन कराएं. नोडल ऑफिसर आपसे एक फॉर्म भरवाएंगे. इसके बाद एक लिस्ट तैयार की जाएगी. ये लिस्ट रेलवे को भेजी जाएगी. आपको ट्रेन कहां से और कैसे मिलेगी, इसकी जानकारी नोडल ऑफिसर ही देंगे.
अगर कोई व्यक्ति बिना आवेदन के रेलवे स्टेशन पहुंच जाता है, तब उसे सफर नहीं करने दिया जाएगा.
स्पेशल ट्रेन के लिए रेलवे के दिशा-निर्देश
- ट्रेन में सफर करने से पहले सभी यात्रियों की स्क्रीनिग की जाएगी, सिर्फ उन्हीं यात्रियों को जाने दिया जाएगा जिनमें कोविड-19 के लक्षण न हों
- ट्रेन प्वाइंट टू प्वाइंट चलेगी. रास्ते में किसी स्टेशन पर नहीं रुकेंगी. यात्रियों की जिम्मेदारी राज्य सरकारों की होगी.
- किसी यात्री को कोई टिकट जारी नहीं किया जाएगा. राज्य सरकारें यात्रियों के टिकट का खर्चा उठाएंगी.
- रेलवे स्टेशन और ट्रेनों में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना अनिवार्य है.
- यात्रा के दौरान हर यात्री को मास्क लगाना अनिवार्य है.
- यात्रियों को राज्य सरकार की सैनेटाईज़्ड बसों में स्टेशन तक लाया जाएगा.
- गंतव्य पर पहुंचने पर इन्हें एक एक बैच के रूप में उतारा जाएगा और वहां हर यात्री की स्क्रीनिंग की जाएगी.
- यात्रियों को आइसोलेशन में रखने की जरूरत हुई तो उसकी व्यवस्था राज्य सरकार करेगी.
- राज्य सरकार उन लोगों के घर तक पहुंचने की व्यवस्था करेगी.
- 12 घंटे से ज्यादा लंबे सफर वाली ट्रेनों में एक समय का भोजन उपलब्ध कराया जाएगा.
बता दें, लॉकडाउन के कारण पहली बार ऐसा हुआ कि 40 दिनों तक पूरे देश में एक भी ट्रेन नहीं चली. 4 मई से लॉकडाउन का तीसरी फेज शुरू हो गया है. ये लॉकडाउन 17 मई तक चलेगा.
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