नई दिल्ली: वन नेशन वन राशन कार्ड व्यवस्था का मतलब है राशन कार्ड पोर्टेबिलिटी यानी जो राज्य इस व्यवस्था से जुड़ चुके हैं, उस राज्य के राशनकार्ड धारी इन राज्यों के किसी भी सरकारी राशन की दुकान से अपने कोटे का राशन ले सकते हैं.


लॉकडाउन के चलते मुसीबतों का सामना कर रहे प्रवासी मज़दूरों के लिए आज बड़ी राहत की ख़बर आई है. आज से बिहार और उत्तर प्रदेश समेत पांच और राज्य वन नेशन वन राशनकार्ड व्यवस्था से जुड़ गए. बिहार और उत्तर प्रदेश के अलावा पंजाब, हिमाचल प्रदेश और दमन दीव भी इस व्यवस्था से जुड़ गए हैं.


कुल मिलाकर 17 राज्य शामिल
अब कुल मिलाकर 17 राज्य इस व्यवस्था से जुड़ चुके हैं. जो राज्य पहले से ही इस व्यवस्था से जुड़े हुए हैं उनमें आंध्र प्रदेश, गोवा, गुजरात, हरियाणा, झारखंड, केरल, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, तेलंगाना और त्रिपुरा शामिल हैं. इन 17 राज्यों के उन 60 करोड़ राशन कार्ड धारियों को इसका फायदा मिलेगा जो खाद्य सुरक्षा क़ानून के तहत सस्ते अनाज के लाभार्थी हैं.


क्यों अहम है वह नेशन वन राशन कार्ड व्यवस्था ?
यहां ये समझना जरूरी है कि ये व्यवस्था लॉकडाउन के दौरान कैसे उन प्रवासी मज़दूरों की मददगार हो सकती है, जो कहीं फंस गए हैं. मसलन फ़िलहाल 17 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश इसमें शामिल हैं, तो बिहार का कोई व्यक्ति अगर महाराष्ट्र में रहता है, लेकिन उसका राशन कार्ड अपने गृह राज्य यानी बिहार का है तो वो महाराष्ट्र में किसी भी सरकारी राशन की दुकान से अपने कोटे का राशन ले सकता है.


इसी तरह यूपी का कोई राशन कार्डधारी अगर तमिलनाडु में है, तो वहां से अपने यूपी वाले राशनकार्ड से ही सरकारी राशन सस्ती दर पर ले सकता है. इस व्यवस्था से वैसे ज़्यादातर राज्य पहले से जुड़ चुके थे, जहां बिहार और यूपी के मज़दूर रहते हैं, लेकिन बिहार और यूपी ही इससे नहीं जुड़े हुए थे.


आधार कार्ड से जुड़ा हो राशन कार्ड
इसके लिए राशन कार्ड का आधार कार्ड से जुड़ा होना ज़रूरी होता है. राशन की दुकान पर फिंगरप्रिंट के लिए ई पॉश मशीन की व्यवस्था की गई है, ताकि राशन कार्डधारी की पहचान हो सके. केंद्र सरकार का लक्ष्य 1 जुलाई से इस व्यवस्था के तहत सभी बचे हुए राज्यों को शामिल करने का है.


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