नई दिल्ली: पुराने पेशे और नई तकनीक के जरिए जिंदगी में कैसे बदलाव लाए जा सकते हैं इसका नमूना है भारतीय डाक विभाग. कहानी उत्तर प्रदेश के अयोध्या जिले के मांझा कला गांव की है. इस गांव के लोग नदी पार करके शहर तक पहुंचते हैं. लॉकडाउन की वजह से शहर पहुंचना संभव नहीं हो पा रहा था और लोगों को जरूरत का सामान खरीदने के लिए पैसों की जरूरत थी. गांव वाले हैं डाकिए को यह बात बताई, फिर डाकिए ने गांव वालों की मुश्किल आसान कर दी.
दरअसल भारतीय डाक विभाग के डाकिया मिनी एटीएम के जरिए अयोध्या का गांव मांझा कलां के लोगों को पैसा पहुंचा रहा है. गांव के लोगों को पैसों की जरूरत थी लेकिन लॉकडाउन की वजह से वे पैसे नहीं निकाल पा रहे थे. भारतीय डाक विभाग के डाकिए ने नाव में मिनी एटीएम लेकर उनके गांव पहुंच गए.
इस गावं के निवासी संजय निषाद कहते हैं पैसा निकालने जाते थे तो पुलिस भगा देती थी. लॉकडाउन वजह से हम आज आ नहीं पा रहे थे और पैसे की सख्त जरूरत थी. हमनें डाकिया से कहा तो वह नाव परिजन लेकर आ गए और गांव की करीब 50 महिलाओं ने भी पैसा निकाल लिया है. अब सभी के पास खर्चे के लिए पैसा है.
वहीं यह खबर केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद तक भी पहुंची और उन्होंने यहां की एक तस्वीर को ने ट्वीट करके कहा, "ये जो देश है तेरा, स्वदेस है मेरा." भारतीय डाक की डिजिटल होती ये तस्वीर संकट के समय में ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों के लिए वरदान साबित हो रही है. बूढ़े, दिव्यांग, अक्षम, गरीब, किसान, मज़दूर भी आज अपने घर पर ही किसी भी बैंक में अपने खाते से पैसे निकाल पास रहे हैं. बस एक अंगूठा लगा कर. डिजिटल इंडिया में अंगूठा छाप होना आधुनिकता का पर्याय बन रहा है.
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