Lockdown: खिलौना गाड़ी पर दो बच्चों को साथ लिए दिल्ली से पैदल ही मध्य प्रदेश के सफर पर निकले मजदूर पति-पत्नी
पूरा देश इन दिनों कोरोना वायरस से फैली महामारी से लड़ रहा है. तेजी से बढ़ते संक्रमण को रोकने के लिए लॉकडाउन लागू किया गया है पर इसका सबसे ज्यादा असर गरीब और मजदूर तबके के लोगों पर पड़ा है. रोजी रोटी का संकट पैदा होने से ये मजदूर पैदल ही अपने गांवों की तरफ चल पड़े हैं. इनका ये सफर कई दिनों लंबा है.
![Lockdown: खिलौना गाड़ी पर दो बच्चों को साथ लिए दिल्ली से पैदल ही मध्य प्रदेश के सफर पर निकले मजदूर पति-पत्नी Lockdown: Laborers, husband and wife set out on a toy car with two children on a journey from Delhi to Madhya Pradesh ANN Lockdown: खिलौना गाड़ी पर दो बच्चों को साथ लिए दिल्ली से पैदल ही मध्य प्रदेश के सफर पर निकले मजदूर पति-पत्नी](https://static.abplive.com/wp-content/uploads/sites/2/2020/05/14071215/children.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
नई दिल्ली: देश में चल रहे लॉकडाउन और कोरोना वायरस की लम्बी लड़ाई के बीच कुछ ऐसी तस्वीरें सामने आ रही हैं जो दिल को झिंझोड़ कर रख दें. ऐसी ही तस्वीर हमें दिल्ली के निजामुद्दीन में दिखी. जहां एक मजदूर का परिवार दिल्ली से मध्य प्रदेश के लिए पैदल ही निकल पड़ा है. खिलौना गाड़ी पर दो बच्चों को साथ लिए मजदूर पति-पत्नी चलते जा रहे हैं. लॉकडाउन का सबसे ज़्यादा प्रभाव रोज़ कमाने और खाने वाले मज़दूरों पर पड़ा है. लॉकडाउन की शुरुआत से ही पलायन का दौर जारी है जो अब तक नहीं रुका है.
कई घंटो पैदल चल कर मज़दूर अपने घर पहुंचने का प्रयास कर रहें हैं और जब चलते चलते पैर दुख जा रहें हैं तो सड़क किनारे ही बैठ जा रहें हैं. सरकार इन मज़दूरों को घर पहुंचाने का पूरा प्रयास कर रही है. इसके लिए सरकार ने श्रमिक स्पेशल ट्रेन भी चलाई है लेकिन सवाल ये उठता है इसके बाद भी आखिर क्यों हज़ारों मज़दूर पैदल ही घर की ओर निकल पड़ रहे हैं. 4 साल का राज अपनी 6 साल की बहन के साथ एक खिलौने की गाड़ी पर सोता हुआ बेफिक्र चल रहा था, शायद उसको अंदाज़ा भी ना हो के उसके मां-बाप रस्सी के ज़रिए खींचते हुए उसे 6 दिन का लम्बा रास्ता तय करवाने वाले हैं. ये मज़दूर यहां दिल्ली में काम करते थे, काम ना होने की वजह से अब ये पलायन कर पैदल ही मध्य प्रदेश की ओर बढ़ रहें हैं. छोटे छोटे बच्चों के साथ समान ले कर बस चलते जा रहें हैं. रास्ते में जो खाने को मिलता है उससे ही अपना और बच्चों का पेट भर रहें हैं.
मज़दूरी करने वाले शंकर जो परिवार के साथ पैदल ही निकल पड़े हैं उनका कहना है कि ट्रेनों के लिए जानकारी तो लेने गए लेकिन कल-कल करके टाल दिया गया. किसी ने कुछ बताया नहीं तो पैदल ही चल दिए. मध्य प्रदेश सरकार द्वारा चलाए गए हेल्पलाइन पर भी कॉल की लेकिन कुछ नहीं हुआ. हमारा रजिस्ट्रेशन भी करवाया पर उसकी भी कोई जानकारी नहीं आई तो ऐसे में क्या करते, कितना यहां रुकते. ना पैसे हैं, ना खाने को कुछ है इसलिए पैदल ही मध्य प्रदेश जाने के लिए निकले हैं.
शंकर की पत्नी नाज भी मज़दूरी का काम करती हैं. आंखों में आंसू भर कर बस यही कहती हैं ट्रेन जो चल रही है उसकी भी जानकारी कोई देता नहीं है. इसलिए पैदल ही जा रहें हैं.
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