नई दिल्ली: लॉकडाउन के दौरान देश के अलग-अलग जगह पर फंसे छात्र, मजदूर, टूरिस्ट और श्रद्धालु अब अपने घर वापस लौट पाएंगे. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इसको लेकर सभी  राज्यों और केंद्र शासित प्रदशों को नया आदेश जारी किया है. इसके लिए कुछ शर्ते हैं. आदेश में कहा गया है कि घर ले जाए जाने से पहले लोगों का मेडिकल चेकअप किया जाएगा. स्क्रीनिंग में जो लोग एसिंप्टोमेटिक (जिनमें लक्षण न हो) पाए जाएंगे उन्हें यात्रा की अनुमति दी जाएगी. एक जगह से दूसरे जगह ले जाए जाने के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का खयाल रखना होगा और जब लोग अपने-अपने घर पहुंचेंगे तो उन्हें होम क्वॉरन्टीन में रहना होगा.


मंत्रालय के आदेश में कहा गया है कि ट्रांसपोर्ट के लिए बस का इस्तेमाल किया जाएगा. बस के भीतर बैठाए जाने के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना होगा. जब कोई शख्स अपने लोकेशन तक पहुंच जाएगा तो वहां की लोकल हेल्थ अथॉरिटी उन्हें देखेंगे. जब तक इंस्टीट्यूशनल क्वॉरन्टीन की जरूरत न हो उन्हें होम क्वॉरन्टीन में रहना होगा.






आदेश में कहा गया कि फंसे हुए लोगों का एक समूह अगर एक राज्य से दूसरे राज्य जाना चाहता है तो भेजने वाले और रिसीव करने वाले राज्य एक दूसरे से संपर्क कर सकते हैं और ट्रांसपोर्ट के लिए परस्पर सहमत हो सकते हैं.


इसके साथ ही गृहमंत्रालय ने ये भी कहा कि सभी राज्यों-केंद्र शासित प्रदेशों को इसके लिए नोडल ऑथोरिटी नियुक्त करना होगा. लोगों को भेजने और रिसीव करने के लिए एक स्टैंडर्ड प्रोटकॉल बनाना होगा. फंसे लोगों को उनके लोकेशन तक पहुंचाए जाने के क्रम में जिन राज्यों-केंद्र शासित प्रदेशों से होकर ये आवाजाही होगी उन्हें इसकी इजाजत देनी होगी.


गौरतलब है कि 27 अप्रैल को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक की तब इसमें प्रवासी मजदूरों का मुद्दे पर चर्चा हुई थी. लॉकडाउन के दौरान देश के कई हिस्सों से ये खबरें आई कि वे अपने घर जाना चाहते हैं. कुछ जगहों पर ये मांग न माने जाने पर मजदूर नाराज भी हुए.


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