Lockdown: केंद्र सरकार के फैसले से शेल्टर होम में रह रहे लोगों में जगी घर वापसी की उम्मीद
अंकित गुप्ता
Updated at:
30 Apr 2020 04:33 PM (IST)
पूरे देश में लॉकडाउन के घोषणा के साथ ही तमाम लोग जो रोजी रोटी के लिए अपने घर से दूर थे वो वहां फंस गए. कुछ लोगों ने खतरे मोल लेते हुए पैदल ही घर जाने की ठानी तो कुछ ने सेल्टर होम्स में शरण ली. पर अब केंद्र सरकार के आदेश के बाद इन लोगों के अंदर घर वापसी की उम्मीग जगी है.
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नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने आदेश जारी कर साफ कर दिया है किया है कि जो लोग अपने घरों से दूर अलग-अलग राज्यों में फंसे हुए हैं उनको उनके राज्यों और घरों तक पहुंचाने के लिए राज्य सरकारें आपस में चर्चा कर एक राज्य से दूसरे राज्य तक बसे भेजें और उन लोगों की जांच करने के बाद उनको उनके घर भेजें. केंद्र सरकार के फैसले से देश के अलग-अलग कोनों में फंसे हजारों लाखों दिहाड़ी मजदूरों को एक बड़ी राहत मिली है और अब उम्मीद कर रहे हैं की वह जल्द अपने घरों तक पहुंच सकेंगे.
केंद्र सरकार के आदेश से जगी घर पहुंचने की उम्मीद
लॉकडाउन के एलान के कुछ घंटों के अंदर ही दिल्ली एनसीआर समेत अलग-अलग राज्यों से ऐसी तस्वीरें सामने आईं की लोग हजारों लाखों की संख्या में शहरों से अपने अपने गांव और कस्बों तक जाने के लिए निकल पड़े थे. आनन-फानन में कदम उठाते हुए राज्य सरकारों और स्थानीय प्रशासन ने ऐसे लोगों को पकड़कर अलग-अलग शेल्टर होम्स, सामुदायिक केंद्र और क्वॉरेंटाइन सेंटर्स में भेज दिया था. उसके बाद से अभी तक कई लोग ऐसे हैं जो ऐसे ही शेल्टर होम्स सामुदायिक केंद्र क्वॉरेंटाइन सेंटर्स में दिन गुजार रहे हैं और अब केंद्र सरकार के ताजा फैसले के बाद ऐसे लोगों की उम्मीदें बढ़ गई है.
7 साल का अनिकेत भी कर रहा है घर जाने का इंतजार
7 साल का अनिकेत पिछले 1 महीने से नोएडा के सामुदायिक केंद्र में रह रहा है. अपनी मां सुनीता के साथ सोनीपत में रहता था लेकिन जब लॉकडाउन की घोषणा हुई तब मध्यप्रदेश अपने गांव जाने के लिए सुनीता अपने बच्चे के साथ पैदल ही निकल पड़ी. लेकिन जैसे ही नोएडा दिल्ली बॉर्डर पर पहुंची जानकारी मिली कि बस जानी बंद हो गई है और उसके बाद में इनको नोएडा के सामुदायिक केंद्र में ले आया गया, फिलहाल तभी से सुनीता अपने बच्चे के साथ यहां रह रही हैं. अनिकेत बार-बार अपनी मां से यही सवाल करता है कि घर कब जाएंगे क्योंकि घर पर इसके भाई-बहन इसका इंतजार कर रहे हैं और अनिकेत ने भी उनके लिए सामान बचा कर रखा है. अनिकेत का कहना है कि यह अपने भाई बहनों को ये सब जाकर दूंगा. वहीं अनिकेत की मां सुनीता का कहना है कि पिछले 1 महीने से हम यहां पर बंद है अपने बच्चों की भी याद आ रही है. बीच-बीच में सुनीता उसको लेकर भावुक भी हो जाती हैं बार बार यही अपील कर रही हैं कि कैसे भी हो जल्द से जल्द यहां से अपने गांव जाने को मिले.
नोएडा प्राधिकरण के शेल्टर होम में रह रहे विशाल भी लगाए हैं घर जाने की उम्मीद
नोएडा के सेक्टर 19 के इसी सामुदायिक केंद्र में बिहार के रहने वाले विशाल कुमार भी मौजूद हैं. यह भी बिहार अपने गांव जाने के लिए पैदल ही निकल पड़े थे. लेकिन रास्ते से ही पुलिस ने इनको पकड़ लिया और उसके बाद इस सामुदायिक केंद्र में ले आए हैं. विशाल अब सरकार प्रशासन से यही मांग कर रहे हैं कि कैसे भी हो जल्द से जल्द इनको घर जाने की अनुमति दी जाए क्योंकि यहां पर अब पैसे भी खत्म हो चुके हैं और दिन गुजारना मुश्किल हो रहा है.
सज़ायाफ्ता चंद्रभान के परोल का आधा वक्त गुजर गया शेल्टर होम में
सुनीता विशाल के साथ ही इस सामुदायिक केंद्र में चंद्रभान जी मौजूद हैं. चंद्रभान जो एक सजायाफ्ता है नोएडा में जेल में बंद था. लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते हैं जब कैदियों को छोड़ा गया उनमें से एक चंद्रभान भी था. 2 अप्रैल को चंद्रभान को जेल से परोल पर छोड़ा गया था और कहा गया था कि ये अपने गांव जा सकता है. लेकिन जब चंद्रभान बुलंदशहर अपने गांव जाने के लिए निकला तो इसको रास्ते से ही पकड़ लिया गया और उसके बाद से चंद्रभान भी इस सामुदायिक केंद्र में है. चंद्रभान को 56 दिन की पैरोल पर रिहा किया गया था और फिलहाल परोल का आधा वक्त तो यहीं पर निकल गया है.
जिन राज्यों की बस आ रही है उन राज्यों के लोगों को भेजा जा रहा है घर
इन लोगों का ख्याल रखने के लिए नोएडा प्राधिकरण ने यहां पर अपने कर्मचारियों को तैनात किया है. यहां तैनात कर्मचारियों की मानें तो पिछले कुछ दिनों से उत्तर प्रदेश के लोगों को ले जाने के लिए बसें आने लगी हैं. जैसे-जैसे बसें आती जा रही है लोगों को भेजा जा रहा है. हालांकि बाकी राज्यों से जुड़ी हुई कोई जानकारी फिलहाल इनके पास नहीं आई है लेकिन अगर उन राज्यों की बसें भी आएंगी इन लोगों को ले जाने के लिए तो इनको भी भेजा जाएगा.
सरकार के इस फैसले से अलग-अलग जगह फंसे हुए लोगों को मिलेगी बड़ी राहत
ऐसे में अनिकेत, सुनीता, विशाल, चंद्रभान जैसे देश में इस वक्त हजारों लाखों लोग हैं जो अलग-अलग शेल्टर होम या सामुदायिक केंद्र में मौजूद हैं या अपने घरों से दूर फंसे हुए हैं. ऐसे लोग अब केंद्र सरकार के ताज़ा फैसले के बाद अब उम्मीद कर रहे हैं कि उनको जल्द से जल्द घर जाने का मौका मिलेगा.
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नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने आदेश जारी कर साफ कर दिया है किया है कि जो लोग अपने घरों से दूर अलग-अलग राज्यों में फंसे हुए हैं उनको उनके राज्यों और घरों तक पहुंचाने के लिए राज्य सरकारें आपस में चर्चा कर एक राज्य से दूसरे राज्य तक बसे भेजें और उन लोगों की जांच करने के बाद उनको उनके घर भेजें. केंद्र सरकार के फैसले से देश के अलग-अलग कोनों में फंसे हजारों लाखों दिहाड़ी मजदूरों को एक बड़ी राहत मिली है और अब उम्मीद कर रहे हैं की वह जल्द अपने घरों तक पहुंच सकेंगे.
केंद्र सरकार के आदेश से जगी घर पहुंचने की उम्मीद
लॉकडाउन के एलान के कुछ घंटों के अंदर ही दिल्ली एनसीआर समेत अलग-अलग राज्यों से ऐसी तस्वीरें सामने आईं की लोग हजारों लाखों की संख्या में शहरों से अपने अपने गांव और कस्बों तक जाने के लिए निकल पड़े थे. आनन-फानन में कदम उठाते हुए राज्य सरकारों और स्थानीय प्रशासन ने ऐसे लोगों को पकड़कर अलग-अलग शेल्टर होम्स, सामुदायिक केंद्र और क्वॉरेंटाइन सेंटर्स में भेज दिया था. उसके बाद से अभी तक कई लोग ऐसे हैं जो ऐसे ही शेल्टर होम्स सामुदायिक केंद्र क्वॉरेंटाइन सेंटर्स में दिन गुजार रहे हैं और अब केंद्र सरकार के ताजा फैसले के बाद ऐसे लोगों की उम्मीदें बढ़ गई है.
7 साल का अनिकेत भी कर रहा है घर जाने का इंतजार
7 साल का अनिकेत पिछले 1 महीने से नोएडा के सामुदायिक केंद्र में रह रहा है. अपनी मां सुनीता के साथ सोनीपत में रहता था लेकिन जब लॉकडाउन की घोषणा हुई तब मध्यप्रदेश अपने गांव जाने के लिए सुनीता अपने बच्चे के साथ पैदल ही निकल पड़ी. लेकिन जैसे ही नोएडा दिल्ली बॉर्डर पर पहुंची जानकारी मिली कि बस जानी बंद हो गई है और उसके बाद में इनको नोएडा के सामुदायिक केंद्र में ले आया गया, फिलहाल तभी से सुनीता अपने बच्चे के साथ यहां रह रही हैं. अनिकेत बार-बार अपनी मां से यही सवाल करता है कि घर कब जाएंगे क्योंकि घर पर इसके भाई-बहन इसका इंतजार कर रहे हैं और अनिकेत ने भी उनके लिए सामान बचा कर रखा है. अनिकेत का कहना है कि यह अपने भाई बहनों को ये सब जाकर दूंगा. वहीं अनिकेत की मां सुनीता का कहना है कि पिछले 1 महीने से हम यहां पर बंद है अपने बच्चों की भी याद आ रही है. बीच-बीच में सुनीता उसको लेकर भावुक भी हो जाती हैं बार बार यही अपील कर रही हैं कि कैसे भी हो जल्द से जल्द यहां से अपने गांव जाने को मिले.
नोएडा प्राधिकरण के शेल्टर होम में रह रहे विशाल भी लगाए हैं घर जाने की उम्मीद
नोएडा के सेक्टर 19 के इसी सामुदायिक केंद्र में बिहार के रहने वाले विशाल कुमार भी मौजूद हैं. यह भी बिहार अपने गांव जाने के लिए पैदल ही निकल पड़े थे. लेकिन रास्ते से ही पुलिस ने इनको पकड़ लिया और उसके बाद इस सामुदायिक केंद्र में ले आए हैं. विशाल अब सरकार प्रशासन से यही मांग कर रहे हैं कि कैसे भी हो जल्द से जल्द इनको घर जाने की अनुमति दी जाए क्योंकि यहां पर अब पैसे भी खत्म हो चुके हैं और दिन गुजारना मुश्किल हो रहा है.
सज़ायाफ्ता चंद्रभान के परोल का आधा वक्त गुजर गया शेल्टर होम में
सुनीता विशाल के साथ ही इस सामुदायिक केंद्र में चंद्रभान जी मौजूद हैं. चंद्रभान जो एक सजायाफ्ता है नोएडा में जेल में बंद था. लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते हैं जब कैदियों को छोड़ा गया उनमें से एक चंद्रभान भी था. 2 अप्रैल को चंद्रभान को जेल से परोल पर छोड़ा गया था और कहा गया था कि ये अपने गांव जा सकता है. लेकिन जब चंद्रभान बुलंदशहर अपने गांव जाने के लिए निकला तो इसको रास्ते से ही पकड़ लिया गया और उसके बाद से चंद्रभान भी इस सामुदायिक केंद्र में है. चंद्रभान को 56 दिन की पैरोल पर रिहा किया गया था और फिलहाल परोल का आधा वक्त तो यहीं पर निकल गया है.
जिन राज्यों की बस आ रही है उन राज्यों के लोगों को भेजा जा रहा है घर
इन लोगों का ख्याल रखने के लिए नोएडा प्राधिकरण ने यहां पर अपने कर्मचारियों को तैनात किया है. यहां तैनात कर्मचारियों की मानें तो पिछले कुछ दिनों से उत्तर प्रदेश के लोगों को ले जाने के लिए बसें आने लगी हैं. जैसे-जैसे बसें आती जा रही है लोगों को भेजा जा रहा है. हालांकि बाकी राज्यों से जुड़ी हुई कोई जानकारी फिलहाल इनके पास नहीं आई है लेकिन अगर उन राज्यों की बसें भी आएंगी इन लोगों को ले जाने के लिए तो इनको भी भेजा जाएगा.
सरकार के इस फैसले से अलग-अलग जगह फंसे हुए लोगों को मिलेगी बड़ी राहत
ऐसे में अनिकेत, सुनीता, विशाल, चंद्रभान जैसे देश में इस वक्त हजारों लाखों लोग हैं जो अलग-अलग शेल्टर होम या सामुदायिक केंद्र में मौजूद हैं या अपने घरों से दूर फंसे हुए हैं. ऐसे लोग अब केंद्र सरकार के ताज़ा फैसले के बाद अब उम्मीद कर रहे हैं कि उनको जल्द से जल्द घर जाने का मौका मिलेगा.
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