नई दिल्ली: कोरोनो वायरस का फैलाव रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन के दौरान 50.8 प्रतिशत महिलाओं के मुकाबले, लगभग 56.2 प्रतिशत पुरुषों ने बच्चों की देखभाल की जिम्मेदारी निभाई. नवीनतम आईएएनएस-सी वोटर इकनॉमी सर्वे में इस बात का खुलासा हुआ है.


सर्वे के अनुसार, 49.3 प्रतिशत पुरुषों ने लॉकडाउन के बीच बच्चों की देखभाल की जिम्मेदारी निभाने के बारे में पूछे जाने पर 'हां' कहा, जबकि 22.9 प्रतिशत पुरुषों ने कहा कि वे पहले से ही ऐसा कर रहे हैं. कुल 16 प्रतिशत पुरुषों ने 'नहीं' कहा, जबकि 9.5 प्रतिशत ने कहा कि यह सवाल उन पर लागू नहीं था, जिसके कारण विशुद्ध रूप से 56.2 प्रतिशत पुरुषों द्वारा बच्चों की देखभाल किए जाने की बात सामने आई है.


जब महिलाओं के बीच यही प्रश्न रखा गया, तो 41.7 प्रतिशत ने 'हां' कहा, जबकि 20.2 प्रतिशत ने 'नहीं' कहा. कुल 29.3 प्रतिशत महिलाओं ने कहा कि वे पहले से ही ऐसा कर रही हैं, जबकि 8.5 प्रतिशत का कहना है कि यह उनके लिए लागू नहीं था.


53.3 प्रतिशत लोगों ने कर्तव्य का पालन किया
सर्वेक्षण में पाया गया कि 25-45 वर्ष आयु वर्ग के 53.3 प्रतिशत लोगों ने लॉकडाउन के दौरान बच्चों की देखभाल के कर्तव्य का पालन किया है. लगभग 50 प्रतिशत लोग, जिन्होंने बाल-देखभाल कर्तव्यों का पालन किया है, वे कम पढ़े-लिखे लोगों के समूह से संबंधित हैं, जबकि 33.6 प्रतिशत उच्च शिक्षा समूह से संबंधित हैं.


सर्वेक्षण में यह भी पाया गया है कि बाल-देखभाल कर्तव्यों में शामिल 49.3 प्रतिशत लोग मध्यम आय वर्ग से हैं और 46.4 प्रतिशत निम्न आय वर्ग समूह से हैं. सामाजिक समूहों के संदर्भ में, 58.5 प्रतिशत मुसलमानों ने बाल-देखभाल कर्तव्यों का पालन किया है, समूह में सबसे अधिक, 53.9 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति, 48.3 प्रतिशत सिख और 32.7 प्रतिशत ईसाई हैं.


क्षेत्र के अनुसार, पूर्व और पश्चिम में, 50 प्रतिशत लोगों ने बाल-देखभाल कर्तव्यों का पालन किया है, इसके बाद उत्तर में ऐसे लोग 48 प्रतिशत और दक्षिण में 32.4 प्रतिशत हैं. सबसे अधिक शहरी क्षेत्र में रहने वाले 47.5 प्रतिशत लोगों ने संकटकाल में बच्चों की देखभाल करने का कर्तव्य निभाया.


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