पाकिस्तान के टिड्डी दल ने भारत की सीमा पर मचाई तबाही, समाधान के लिए बुलाई बैठक भी हुई रद्द
इस बार सीमा से सटे गांवों पर पाकिस्तान से आ रही टिड्डियों ने हमला कर दिया है. इस समस्या को रोकने के लिए 21 नवंबर को भारत और पाकिस्तान के अधिकारियों के एक बैठक बुलाई गई थी, लेकिन इस बैठक में पाकिस्तान की तरफ से कोई अधिकारी भाग लेने नहीं आया और बैठक रद्द हो गई.
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नई दिल्ली: पाकिस्तान कभी बाज न आने वाला देश है. पाकिस्तान हमेशा भारत को नुकसान पहुंचाने की सोचता रहा है. इस बार पाकिस्तान से जो दुश्मन आए हैं वे सीमा से सटे गांवों में भारतीय किसानों की फसलों को तबाह कर रहे हैं. पाकिस्तान से आने वाली टिड्डियां सीमा से सटे जैसलमेर में किसानों की फसलों को नुकसान पहुंचा रही हैं. टिड्डियों के इस हमले से अबतक किसानों की करोड़ों की फसल चौपट हो चुकी है.
पाकिस्तान की टिड्डियों ने भारत की सीमा में बड़ा हमला बोला है. इस हमले में भारत के 300 गांव चपेट में आए हैं. 20 हजार से अधिक किसानों को इस हमले से नुकसान उठाना पड़ा है. जानकारी के मुताबिक लगभग 1.25 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि पर टिड्डियां मंडरा रही हैं. भारत ने इस हमले से निपटने के लिए प्रयास शुरू दिए हैं. इस हमले से राजस्थान जैसलमेर के रामगढ़, लाठी, चांधण, नाचना और मोहनगढ़ गांव अधिक प्रभावित हैं. स्थिति को नियंत्रित करने के लिए टिड्डी नियंत्रण विभाग को निर्देश दिए गए हैं. विभाग ने टिड्डियों को रोकने के लिए उपाय शुरू कर दिए हैं लेकिन पाकिस्तान का सहयोग न मिल पाने के कारण इन टिड्डियों पर पूरी तरह से लगाम लगाने में मुश्किल आ रही है.
शरद पवार से मिलने उनके घर पहुंचे अजित पवार, डिप्टी सीएम पद से आज दिया था इस्तीफा इस समस्या को रोकने के लिए 21 नवंबर को भारत और पाकिस्तान के अधिकारियों के एक बैठक बुलाई गई थी, लेकिन इस बैठक में पाकिस्तान की तरफ से कोई अधिकारी भाग लेने नहीं आया और बैठक रद्द हो गई.जानकारी मिली है कि पाकिस्तान ने जानबूझ कर अपने अधिकारियों को इस बैठक में नहीं भेजा उसने चीन से टिड्डियों को मारने के लिए जो कीटनाशक खरीदा था,वह एक्सपायर डेट का था, जिस कारण छिड़काव करने पर भी इस कीटनाशक का टिड्डियों पर कोई असर नहीं हुआ और वे भारत की सीमा घुस आए.
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टिड्डियों को रोकने के लिए किसानों ने स्थानीय स्तर पर भी प्रयास किए हैं. आग जलाकर किसान टिड्डियों को रोकने के प्रयास कर रहे हैं लेकिन किसानों का कहना है कि इनकी संख्या इतनी अधिक है कि इनको रोकना मुश्किल हो जाता है. जब टिड्डियों का हमला होता है आसमान काला हो जाता है. पाकिस्तान की ओर से इस समस्या को दूर करने के लिए सहयोग न किए जाने के कारण किसानों में नाराजगी है.
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