Lok Sabha Election 2024: क्या कांग्रेस और AAP के बीच फिर बढ़ने लगी हैं दूरियां? समझें मायने
Lok Sabha Election 2024: एक तरफ बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विपक्षी एकता को लेकर कोशिश कर रहे हैं तो दूसरी तरफ अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी और कांग्रेस एक दूसरे पर हमले कर रही है.
Lok Sabha Election 2024: विपक्षी एकता के नाम पर पिछले कुछ दिनों से नीतीश कुमार कवायद कर रहे हैं. इस कवायद में आम आदमी पार्टी (AAP) और कांग्रेस को भी आगामी चुनाव में एक साथ लाने की खूब चर्चा रही.
ये चर्चाएं इसलिए भी गर्म हुईं क्योंकि पिछले दिनों आप और कांग्रेस कई मुद्दों पर एक दूसरे का समर्थन करती नजर आई. अब चाहे वो सीबीआई के कथित दिल्ली सरकार की
शराब नीति मामले में चल रही जांच को लेकर अरविंद केजरीवाल को पूछताछ के लिए बुलाए जाने पर कांग्रेस अध्यक्ष खरगे का केजरीवाल को फोन कर समर्थन जताना हो या फिर राहुल गांधी पर गुजरात कोर्ट के फैसले के बाद संसद की सदस्यता रद्द किए जाने पर अरविंद केजरीवाल का तुरंत राहुल के समर्थन में बयान देना हो.
क्या चर्चा हो रही थी?
ये दोनों ही मुद्दे ऐसे रहे जिस पर आप ने कांग्रेस का और कांग्रेस ने आप का खुलकर साथ दिया. इसके बाद ये कयास लगाए जाने लगे कि आने वाले दिनों में जिन राज्यों में चुनाव है, जिसमें ख़ासतौर पर मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान का चुनाव शामिल है, वहां पर दोनों ही पार्टियों के बीच कुछ गठबंधन की तस्वीरें नजर आ सकती हैं.
साथ ही ये भी चर्चा होने लगी कि 2024 के लोकसभा चुनाव में सीट शेयरिंग को लेकर दोनों पार्टियों के बीच एक फॉर्मूला भी तैयार हो रहा है, लेकिन इन सभी कयासों पर तब विराम लग गया जब कांग्रेस के कुछ नेताओं ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सरकारी आवास से जुड़े विवाद पर केजरीवाल और आप पर एक के बाद एक कई सारे आरोप मढ़ने शुरू कर दिए. अब जब एक तरफ से हमला होने लगा तो दूसरा खेमा भी समझौता करने की बजाय दूसरी पार्टी के शीर्ष नेतृत्व पर ही आरोप लगाने लगा.
कांग्रेस और आप में हुई जुबानी जंग
दरअसल कांग्रेस नेता अजय माकन ने कुछ दिनों पहले एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अरविंद केजरीवाल के सरकारी आवास को लेकर कई सारे तथ्य सामने रखे. इस दौरान उन्होंने अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी पर भ्रष्टाचार के कई बड़े आरोप लगाए.
इसके बाद जब कांग्रेस शासित छत्तीसगढ़ सरकार का कथित शराब घोटाला सामने आया तो आप ने भी कांग्रेस को घेरने की ठान ली. आप ने ना सिर्फ छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की गिरफ़्तारी की मांग कर दी बल्कि पार्टी के शीर्ष नेतृत्व पर सवाल उठाते हुए राहुल गांधी की भी जांच करवाने की मांग कर डाली.
आप ने क्या कहा?
चुनाव से पहले जहां रिश्ते और भी ज्यादा मज़बूत होने चाहिए थे. वहीं अचानक दोनों ही पार्टियों के बीच दूरी बढ़ने की वजहें जब पार्टी के नेताओं से पूछे गए तो दोनों ने ही अपने-अपने मायने निकालने शुरू कर दिए.
आप वरिष्ठ नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा अगर कांग्रेस के साथ कुछ गलत होता है, जैसे कि राहुल गांधी की संसद की सदस्यता रद्द की गई, तो हमने ये बात उठाई और कहा कि ये गलत है, लेकिन जब 2000 करोड़ का घोटाला हो रहा है, आप लोगों को लूट रहे हैं तो हम चुप नहीं रहेंगे. इसकी जांच होनी चाहिए.
2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर क्या कहा?
वही जब सौरभ भारद्वाज से पूछा गया कि कांग्रेस और आप के बीच इस खटास से 2024 में साथ आने की चर्चा का क्या होगा? इस पर उन्होने कहा कि कई विपक्षी दल अपने हिसाब से बातें करते हैं, लेकिन भ्रष्टाचार के मुद्दे पर हम समझौता करके अपनी ज़ुबान बंद नहीं करेंगे. अगर कांग्रेस ने भ्रष्टाचार किया है तो हम जांच की मांग जरूर करेंगे.
इसके साथ ही जब उनसे पूछा गया कि नीतीश कुमार जिस विपक्षी एकता की कवायद में लगे हुए हैं उसका अब क्या होगा? इस पर भी सौरभ ने कहा कई विपक्षी नेता इस कवायद में लगे रहते हैं चाहे नीतीश कुमार, केसीआर हो या ममता बनर्जी हो. पिछली बार चंद्रबाबू नायडू ने बड़ी कोशिश की थी विपक्षी एकता की. ये सब सकारात्मक चीज़ें हैं. और आपस में संवाद चलना चाहिए. ये कहना मुश्किल है कि यह सफल हो पाएगा कि नहीं, लेकिन ये जरूर है कि आम मुद्दों पर एक आम राय जरूर बननी चाहिए.
कांग्रेस की क्या स्थिति है?
इस बीच कांग्रेस की बात करें तो कांग्रेस में इस वक्त कन्फ्यूजन की स्थिति ज्यादा है. ऐसा इसलिए क्योंकि पार्टी का शीर्ष नेतृत्व कुछ और बयान देता है और पार्टी के दूसरे नेता अलग बयान देते हुए नजर आ जाते है. अब जिस तरह की बयानबाज़ी एक दूसरे के खिलाफ दोनों पार्टियों की शुरू हुई है.
इससे ये साफ है कि भले ही अंदर खाने रणनीति चुनाव में साथ आने की बन रही हो, लेकिन इस बीच लोगों के सामने ये बात रखने की कोशिश की जा रही है कि भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों पर कोई सहमति नहीं बन सकती. ऐसा इसलिए भी क्योंकि दोनों ही पार्टियाँ भविष्य में अपनी-अपनी संभावनाएं तलाश रही है. ऐसे में कोई भी नहीं चाहता कि किसी मुद्दे पर पार्टी ऐसे मामले मे समर्थन करें जिसको लेकर लोगों मे नाराजगी हो.