Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव को लेकर तैयारी जोर-शोर से चल रही है. ऐसे में बीजेपी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) का लक्ष्य 400 सीट जीतने का है, लेकिन ये टारगेट हासिल करने के लिए पार्टी को दक्षिण भारत में अपनी सियासी सेहत सुधारनी होगी. ऐसा इसलिए क्योंकि दक्षिण भारत में अब भी बीजेपी की राह आसान नहीं है.


सवाल है कि बीजेपी दक्षिण कैसे जीतेगी? इस सवाल को समझने से पहले दक्षिण भारत के राज्यों में बीजेपी की स्थिति को देखते हैं. दक्षिण में केंद्र शासित प्रदेश समेत कुल 8 राज्य हैं. इन 8 राज्यों में लोकसभा की कुल 132 सीटें हैं. 2014 में बीजेपी को 132 में से सिर्फ 22 सीटें मिली थी, लेकिन 2019 में बढ़कर 29 हो गई थी. 


बीजेपी ने कितनी सीटें जीती थी?
तेलंगाना में लोकसभा की 17 सीटें हैं. इसमें से 2019 में बीजेपी को 4 सीटों पर जीत हासिल हुई. आंध्र प्रदेश में 25 में से एक भी सीट पर जीत नहीं मिली. वहीं कर्नाटक ने बेहतर रिजल्ट दिया. बीजेपी को कर्नाटक की 28 सीटों में से 20 से ज्यादा पर जीत मिली थी. 


इसके अलावा तमिलनाडु में 39 सीटें हैं, लेकिन बीजेपी को यहां एक भी सीट नसीब नहीं हुई. केरल में 20 सीटें हैं, यहां भी खाता नहीं खुला. पुडुचेरी और लक्षद्वीप में 1-1 सीटें हैं, लेकिन यहां भी हार का सामना करना पड़ा. साल 2014 में अंडमान और निकोबार की एक सीट जीती थी, लेकिन 2019 में ये बीजेपी हार गई. 


बीजेपी का प्लान क्या है?
आंकड़े बताते हैं कि बीजेपी दक्षिण की कुल 132 सीटों में से 84 सीटों पर आज तक नहीं जीत पाई है. ऐसे में सवाल है बीजेपी के खाते में ज्यादा से ज्यादा सीटें कैसे आएंगी? प्लान क्या है? सबसे पहले तमिलनाडु विजय प्लान की बात करते हैं. यहां इस वक्त मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के नेतृत्व में डीएमके की सरकार है. 2019 में बीजेपी का यहां खाता नहीं हुआ और इस बार जीत के लिए बीजेपी कई मोर्चों पर काम कर रही है. 


पहला प्लान काशी तमिल संगमम है. 2 सालों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर ही उनके लोकसभा क्षेत्र वाराणसी में काशी तमिल संगमम का सफल आयोजन किया जा रहा है. रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से पहले पीएम मोदी ने तमिलनाडु के रामेश्वरम में डुबकी लगाई. रामनाथस्वामी मंदिर में पूजा की और रामायण पाठ में हिस्सा लिया. 


दक्षिण की हस्तियों का सम्मान भी बीजेपी के प्लान का हिस्सा बताया जा रहा है. हाल ही में कला के क्षेत्र में वैजयंती माला और पद्मा सुब्रमण्यम को पद्म भूषण अवॉर्ड दिया गया है, ये दोनों तमिलनाडु के रहने वाले हैं.  


बीजेपी का अगला फॉर्मूला- पिछड़ा, ब्राह्मण और नाडार कॉम्बिनेशन बताया जा रहा है. साल 1999 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को तमिलनाडु में 4 सीटें मिली थी. ऐसे में 1999 वाले समीकरण का फिर से इस्तेमाल करने का प्लान है. 


तमिलनाडु में बीजेपी को लोकसभा और विधानसभा चुनाव में 7 फीसदी वोट मिलते रहे हैं. AIADMK के साथ गठबंधन टूट गया है, लेकिन AMMK नेता टीटीवी दिनाकरन ने एनडीए के साथ गठबंधन के संकेत दिए हैं. 


कर्नाटक में बीजेपी ने किया गठबंधन
दक्षिण भारत में तमिलनाडु के बाद सबसे ज्यादा लोकसभा सीटों वाला राज्य कर्नाटक है. यहां पर 28 सीटें हैं और 2019 में बीजेपी ने यहां पर शानदार प्रदर्शन करते हुए 20 से ज्यादा सीटें जीती थी, लेकिन 2023 में कांग्रेस ने बीजेपी को सत्ता से हटा दिया.


ऐसे में अब सवाल है कि कर्नाटक में बीजेपी कैसे खोया हुआ जनाधार हासिल करेगी? इस सवाल का पहला जवाब है गठबंधन. कर्नाटक में बीजेपी और JDS ने एक साथ मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया है. 
 
आंध्र प्रदेश में बीजेपी का क्या प्लान
आंध्र प्रदेश में जगनमोहन रेड्डी की पार्टी वाईएसआर कांग्रेस की सरकार है और यहां पर लोकसभा की 25 सीटें हैं. साल 2019 लोकसभा चुनाव में 25 सीटों में से 22 सीटें YSRCP के खाते में थी. वहीं TDP ने सिर्फ तीन सीटों पर जीत दर्ज कर पाई. इसके अलावा कांग्रेस और बीजेपी का खाता तक नहीं खुला. 


लंबे वक्त तक गठबंधन से इनकार करने वाली बीजेपी इस बार अलायंस के जरिए ज्यादा से ज्यादा सीटों पर कब्जा करना चाहती है. आंध्र प्रदेश में पवन कल्याण की जनसेना NDA के साथ है. उसका TDP के साथ गठबंधन है. चुनाव से पहले TDP और BJP ने एक साथ आने के संकेत दिए हैं. 


केरल में सीट बंटवारे को लेकर तस्वीर नहीं हुई साफ
केरल में भी समीकरण बदल रहे हैं, लेकिन किसके पक्ष में इसको समझना होगा. केरल में लोकसभा की कुल 20 सीटें हैं. साल 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने 15 सीटों पर जीत हासिल की थी और यहां भी बीजेपी का खाता नहीं खुला. 


2024 में लेफ्ट और कांग्रेस के बीच सीट बंटवारे या गठबंधन को लेकर अभी तस्वीर साफ नहीं है. लेफ्ट ने राहुल गांधी से वायनाड लोकसभा सीट छोड़ने को कहा था, लेकिन ऐसा होता दिखाई नहीं दे रहा है. 


हिंदू मतदाताओं को साधने के लिए पीएम मोदी केरल के हिंदू मंदिरों में जाते हैं.  जनवरी में ही केरल के गुरुवायुर मंदिर में पूजा की. इससे पहले ईसाईयों को साधने के लिए 25 दिसंबर को प्रधानमंत्री आवास में ईसाई समुदाय के लोगों के लिए कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. 


तेलंगाना में बीजेपी की उम्मीद बढ़ी
तेलंगाना सीटों की संख्या के हिसाब से दक्षिण भारत का पांचवां बड़ा राज्य है. राज्य में लोकसभा की 17 सीटें हैं. साल 2019 के लोकसभा चुनाव में टीआरएस (अब बीआरएस) की झोली में 9, BJP के खाते में 4, कांग्रेस के पास 3 और असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM के खाते में 1 सीट आई थी. हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव के परिणाम से उत्साहित बीजेपी को उम्मीद है कि वह लोकसभा चुनाव में और ज्यादा सीटें जीत सकती है.
 
दिसंबर 2023 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 8 विधानसभा सीटें जीतीं और पार्टी का वोट शेयर 14 प्रतिशत हो गया. इसके अलावा करीब 6 सीटों पर बीजेपी दूसरे नंबर पर रही.


केंद्र शासित प्रदेश में बीजेपी के वर्कर हुए एक्टिव
बीजेपी साउथ में सीटों की संख्या बढ़ाने के लिए केंद्र शासित प्रदेश में भी जोरदार काम कर रही है. हाल ही में मालदीव प्रकरण की वजह से लक्षद्वीप में पीएम मोदी ने मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई है. पुडुचेरी और अंडमान निकोबार में भी बीजेपी के कार्यकर्ता एक्टिव हो गए हैं. ऐसे में दक्षिण की 132 सीटों में से कम से कम 70 से 80 सीटों पर जीत के लिए मजबूत प्लान के साथ बीजेपी आगे बढ़ रही है.  


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