Lok Sabha Election 2024: त्रिपुरा की 'राजकुमारी' कृति देबबर्मा के आरक्षित सीट पर नामांकन पर बढ़ा विवाद, जानें पूरा मामला
Kriti Debbarma: कांग्रेस ने कृति देबबर्मा पर बाहरी होने का आरोप लगाते हुए कहा कि वह त्रिपुरा की जनजाति के बारे में कुछ नहीं जानती. उन्होंने 28 मार्च को राज्य के मुख्यमंत्री के साथ नमांकन भरा था.
Lok Sabha election 2024: त्रिपुरा की भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की उम्मीदवार कृति सिंह देबबर्मा के नामांकन पर विवाद खड़ा हो गया है. उन्हें पार्टी ने पूर्वी त्रिपुरा (आरक्षित) सीट से मैदान में उतार है. इस पर विपक्ष ने विरोध करते हुए कहा कि कृति सिंह देबबर्मा का अपने परिवार और रिश्तेदारों के अलावा त्रिपुरा से कोई संबंध नहीं है.
कृति सिंह देबबर्मा ने गुरुवार को राज्य के मुख्यमंत्री माणिक साहा, बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष राजीव भट्टाचार्जी, टिपरा मोथा पार्टी के प्रद्योत किशोर देबबर्मा त्रिपुरा पूर्व से नामांकन दाखिल किया था.
राजघराने से है ताल्लुक
कृति सिंह पूर्ववर्ती माणिक्य राजवंश की राजकुमारी और टीआईपीआरए मोथा पार्टी के संस्थापक प्रद्योत किशोर की बड़ी बहन हैं. उनका विवाह छत्तीसगढ़ के पूर्ववर्ती कवर्धा राज शाही परिवार के शाही वंशज योगेश्वर राज सिंह से हुआ है.
चुनाव आयोग के मुताबिक उन्होंने साल 2018 में छत्तीसगढ़ के कवर्धा विधानसभा क्षेत्र से कृति देवी सिंह के नाम से निर्दलीय चुनाव लड़ी थीं. हालांकि त्रिपुरा पूर्वी लोकसभा सीट के लिए नामांकन पत्र में उन्होंने अपना नाम कृति सिंह देबबर्मा दर्जा कराया.
विपक्षी नेताओं ने दावा किया है कि उन्होंने अपने एसटी प्रमाणपत्र विवाद से बचने के लिए पूर्वी त्रिपुरा लोकसभा चुनाव के लिए देबबर्मन टाइटल लगाकर नामांकन दाखिल किया.
कांग्रेस ने लगाया बाहरी होने का आरोप
कांग्रेस विधायक सुदीप रॉय बर्मन ने एसटी आरक्षित सीट के लिए उम्मीदवार के रूप में उनकी योग्यता पर सवाल उठाए क्योंकि वह वर्तमान में छत्तीसगढ़ की निवासी हैं और उनका अपने परिवार के अलावा राज्य से कोई संबंध नहीं है.
सुदीप रॉय बर्मन ने कहा, वह तो यहां रहती ही नहीं हैं. वह छत्तीसगढ़ की रहने वाली हैं. वह रियांग, त्रिपुरी, चकमा, जमातिया, मोग और अन्य उप-जनजातियों और उनकी समस्याओं के बारे में क्या जानती हैं?"
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए बीजेपी प्रवक्ता नबेंदु भट्टाचार्य ने कहा, ''बेटी अपने पिता के उपनाम का इस्तेमाल कर सकती है.अगर किसी (राजनीतिक दल) को कोई समस्या है तो वे चुनाव आयोग से शिकायत कर सकते हैं."