Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव को लेकर सभी पार्टियां तैयारियों में जुट गई हैं. राजनीतिक दलों के लिए यह समय अपनी चुनावी रणनीति को धार देने और पिछली बार से ज्यादा सीट जीतने की स्ट्रेटेजी बनाने का है. इस बीच इंडिया अलायंस की सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस मुश्किल में फंस गई है. इस मुश्किल की वजह कुछ और नहीं बल्कि राहुल गांधी की वायनाड सीट है.


आगामी चुनाव के लिए राहुल गांधी को ये सीट छोड़नी पड़ सकती है और उन्हें किसी और सीट से लड़ना पड़ सकता है. दरअसल, इंडिया गठबंधन में शामिल कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (CPI) ने कांग्रेस को मैसेज दिया है कि अगर राहुल गांधी वायनाड से चुनाव लड़ते हैं तो ये गठबंधन के लिए ठीक नहीं होगा.


लेफ्ट फ्रंट के सूत्रों ने बताया कि इंडिया गठबंधन की प्रमुख सहयोगी दल सीपीआई चाहती है कि राहुल गांधी 2024 का लोकसभा चुनाव वायनाड सीट से न लड़ें. सीपीआई का मानना है कि यह उसका पारंपरिक क्षेत्र है, इसलिए बेहतर होगा कि राहुल गांधी कोई और सीट चुन लें.


'केरल के बाहर चुनाव लड़ें राहुल गांधी'
सीपीआई का कहना है कि अगर राहुल गांधी वायनाड से चुनाव लड़ते हैं तो केरल में इंडिया गठबंधन पर असर पड़ सकता है. सूत्रों के मुताबिक  सीपीआई चाहती है कि राहुल गांधी को सिर्फ वायनाड की सीट ही नहीं. केरल से बाहर जाएं और लोकसभा का चुनाव किसी दूसरे राज्य से लड़ें. राहुल की नई सीट क्या हो सकती है?  इसे लेकर CPI ने कांग्रेस को सुझाव भी दिया है.  सीपीआई का कहना है कि राहुल को किसी ऐसे राज्य से लड़ना चाहिए, जहां कांग्रेस की लड़ाई सीधे बीजेपी से हो.






खास बात यह है कि केरल में सीपीआई ने कांग्रेस के आगे जो शर्तें रखी हैं. उसका समर्थन भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) भी कर रही है. मतलब राहुल को वायनाड सीट से हटाने के लिए केरल में कांग्रेस पर चारों तरफ से प्रेशर है.  


वायनाड सीट पर कितना मजबूत लेफ्ट?
ऐसे में अगर कांग्रेस को केरल में गठबंधन बचाना है तो राहुल गांधी को केरल से बाहर निकलना होगा. हालांकि, सवाल यह है कि वायनाड सीट पर दावा करके राहल गांधी को केरल से आउट करने का मूड बना चुके लेफ्ट की दावेदारी में कितना दम है? 


2019 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी ने वायनाड में चार लाख से ज्यादा वोट से जीत हासिल की थी. 2014 के लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस के एम आई शनावास ने सीपीआई के सत्यन मोकेरी को करीब 20 हजार वोट से हराया था. वहीं, 2009 में वायनाड लोकसभा सीट पर पहली बार हुए चुनाव में कांग्रेस के एम आईशनावास ने जीत का परचम लहराया था. 


वायनाड सीट पर लड़ती आई है सीपीआई
सवाल यह है कि वायनाड सीट हर बार कांग्रेस के पास रही तो फिर सीपीआई किस वर्चस्व का हवाला देकर राहुल को वायनाड सीट छोड़ने के लिए कह रही है? दरअसल,  इंडिया अलायंस से पहले केरल में कांग्रेस का मुकाबला वाम मोर्चे से होता था और वाम मोर्चे में शामिल सीपीआई केरल की त्रिवेंद्रम, त्रिचूर, मलप्पुरम और वायनाड सीटों पर चुनाव लड़ती थी. इसी का हवाला देकर सीपीआई कांग्रेस पर वायनाड सीट छोड़ने का दबाव बना रही है.


2019 में कांग्रेस ने जीती थीं 15 सीट
गौरतलब है कि 2019 में कांग्रेस ने केरल की 16 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 15 सीटों पर जीत हासिल की थी. इसके जीत के पीछे राहुल गांधी का वायनाड से लड़ना एक अहम फैक्टर था. ऐसे में अगर कांग्रेस सीपीआई के आगे झुकी तो उसे केरल में बड़ा नुकसान हो सकता है. और अगर अड़ी तो गठबंधन टूट सकता है.


दक्षिण भारत में 50 सीटों पर बीजेपी की नजर
दूसरी ओर जिस बीजेपी को हराने के लिए यह गठबंधन बना है वे दक्षिण की 132 सीटों को साधने की मुहिम शुरू कर चुका है. इसकी शुरुआत पीएम मोदी ने केरल की यात्रा से कर दी है. बता दें कि 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी दक्षिण भारत के 5 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों की 132 लोकसभा सीटों में से केवल 29 सीटें जीत सकी थी. इनमें में 25 सीट उसे सिर्फ कर्नाटक से मिली थीं. 


हालांकि, बीजेपी ने इस बार दक्षिण में 50 सीटों का टारगेट सेट किया है. बीजेपी को उम्मीद है कि ये सीटें उसे तमिलनाडु, केरल और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में मिल सकती हैं, जहां पिछली बार उसका खाता भी नहीं खुला था. 


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