Lok Sabha Election 2024: भारत निर्वाचन आयोग (ECI) ने शनिवार (16 मार्च) को आगामी लोकसभा चुनावों की तारीखों का ऐलान कर दिया. चुनाव आयोग ने बताया कि इस बार भी वोटिंग प्रतिशत बढ़ाने पर उसका जोर रहेगा. हर चुनाव में अधिक से अधिक वोटिंग के लिए चुनाव आयोग तमाम अभियान चलाता है.


वोटिंग वाले दिन छुट्टी की घोषणा की जाती है ताकि हर शख्स वोट डाल सके, लेकिन छुट्टी की घोषणा के बाद भी अधिकतर प्राइवेट ऑफिस खुले रहते हैं और पर्याप्त जानकारी के अभाव में लोग ऑफिस जाने को मजबूर होते हैं. कई लोगों के मन में ये सवाल रहता है कि क्या मतदान के दिनों में पेड होलीडे यानी वैतनिक छुट्टियां होती हैं. आइए पूरा नियम विस्तार से जानते हैं..


क्या कहता है कानून?


भारत में 18 वर्ष से अधिक आयु का प्रत्येक व्यक्ति वोट देने का हकदार है और वोट देने के संवैधानिक अधिकार का प्रयोग करता है. संविधान के अनुसार, किसी नागरिक को वोट देने के अधिकार का प्रयोग करने से इनकार नहीं किया जा सकता है. इस तरह लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 (आरपी अधिनियम) के अनुसार, प्रत्येक कंपनी को उस क्षेत्र में मतदान के दिन छुट्टी घोषित करनी होगी जहां मतदान हो रहा है. अधिनियम के अनुसार, मतदान के दिन किसी कर्मचारी को सवैतनिक छुट्टी देनी चाहिए और उस दिन का उसका वेतन नहीं काटा जा सकता है.


क्या कहते हैं एक्सपर्ट?


क्रेड ज्यूर के मैनेजिंग पार्टनर अंकुर महिंदरो का कहना है कि आरपी अधिनियम की धारा 135बी के अनुसार, सभी संगठनों के लिए चुनाव की तारीख पर अपने कर्मचारियों को सवैतनिक यानी पेड छुट्टी देना अनिवार्य है. कंपनी को चुनाव के दिन सभी पात्र कर्मचारियों को सवैतनिक अवकाश देना होगा. उन्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि उस दिन की छुट्टी के लिए वेतन में कोई कटौती या कमी न हो,.


दूसरे शहरों में रहने वालों के लिए क्या है नियम?


भारत के सर्वोच्च न्यायालय में एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड, ऋषि सहगल ने कहा कि यह प्रावधान सार्वजनिक और निजी दोनों संगठनों पर लागू होता है. यह नियम उन कर्मचारियों पर भी लागू होता है जो आम तौर पर उस निर्वाचन क्षेत्र के निवासी हैं जहां चुनाव हो रहा है, लेकिन उसके बाहर कार्यरत हैं. उदाहरण के लिए, यदि कोई मतदाता मुंबई से है, लेकिन चेन्नई में कार्यरत है, तो मतदाता मुंबई में चुनाव के दिन छुट्टी का हकदार है.


अगर कोई कंपनी पेड छुट्टी न दे तो क्या? 


यदि कोई कंपनी मतदान के दिन सवैतनिक अवकाश नहीं देती है तो कर्मचारी ईसीआई या उसकी ओर से नामित अधिकारी से संपर्क कर सकता है, ऐसी समस्या का सामना करने वाले कर्मचारी भारत निर्वाचन आयोग या राज्य चुनाव आयोग को उल्लंघन की रिपोर्ट कर सकते हैं. एक्सपर्ट कहते हैं कि ईसीआई शिकायत मिलने पर जांच करने का हकदार है. आयोग अधिनियम के अनुसार नियम का उल्लंघन करने वाली कंपनी पर जुर्माना लगा सकता है. मामले की गंभीरता को देखते हुए वह केस भी दर्ज करा सकता है.


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