Lok Sabha Election 2024: पश्चिम बंगाल की जादवपुर लोकसभा सीट वीआईपी सीट है. यहां इस बार तृणमूल कांग्रेस (TMC) की सायनी घोष और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के अनिर्बान गांगुली के बीच मुकाबला है. सायनी घोष पश्चिम बंगाल फिल्म इंडस्ट्री की जानमानी एक्ट्रेस हैं, जबकि अनिर्बान गांगुली लेखक हैं. अनिर्बान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह पर किताब लिखी है. वैसे तो सीट पर 16 उम्मीदवार मैदान में हैं, लेकिन मुख्यरूप से यहां मुकाबला सायनी घोष और अनिर्बान गांगुली के बीच माना जा रहा है.
यह सीट राज्य के 24 परगना जिले में आती है. इस सीट पर कभी सीपीआईएम का कब्जा था, लेकिन 1984 में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने जीत हासिल कर सीपीआईएम को करारी शिकस्त दी थी. उस समय वह युवा कांग्रेस की महासचिव थीं और कांग्रेस के टिकट पर ही चुनाव लड़ी थीं. टीएमसी 5 बार जादवपुर से जीत चुकी है, जबकि 15 साल से उसका ही कब्जा है. बीजेपी की बात करें तो वह एक बार भी नहीं जीत सकी है. हालाांकि, मुकाबले में हमेशा दूसरे या तीसरे नंबर पर रहती है.
कौन हैं सायनी घोष?
सायनी घोष साल 2021 में उस वक्त चर्चा में आईं थीं, जब उनका एक पोस्ट सोशल मीडिया पर वायरल हो गया. पोस्ट को लेकर उन पर धार्मिक भावानओं को आहत करने का आरोप लगा था. हालांकि, यह पोस्ट साल 2015 का था, लेकिन 16 जनवरी, 2021 को शिवरात्री पर इसके वायरल होने के बाद बड़ा विवाद खड़ा हो गया था. पोस्ट में शिवलिंग की तस्वीर थी और उसे लेकर अपमानजनक टिप्पणी की गई थी. पोस्ट में लिखा गया था- गॉड कुड नोट हैव बिन मोर यूजफुल. विवाद बढ़ने के बाद सायनी घोष ने तर्क दिया कि उनका अकाउंट हैक हो गया और ये पोस्ट भी किसी और ने किए थे. इस मामले में बीजेपी नेता और त्रिपुरा और मेघालय के पूर्व राज्यपाल तथागत राय ने उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी.
2021 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में भी सायनी घोष मैदान में उतरी थीं. टीएमसी ने उन्हें आसनलोल दक्षिण निर्वाचन क्षेत्र से उम्मीदवार बनाया, लेकिन वह जीत नहीं पाईं और बीजेपी की अग्नि मित्रा पॉल से हार गईं. इसके अलावा, बंगाल के शिक्षा भर्ती घोटाला मामले में भी उनका नाम आया था और प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने उन्हें पूछताछ के लिए बुलाया था.
2009, 2014 और 2019 में भी टीएमसी को मिली थी जीत
2009, 2014 और 2019 में भी जादवपुर लोकसभा सीट पर टीएमसी को ही जीत मिली थी. 2009 में कबीर, 2014 में सुगतो बोस और 2019 में अभिनेत्री मिमी चक्रवर्ती को यहां जीत मिली थी. हालांकि, इस बार मिमी चक्रवर्ती ने चुनाव से पहले ही पद से इस्तीफा देते हुए कहा था कि राजनीति उनके बस की नहीं है. पिछले चुनाव में मिमी चक्रवर्ती को 6 लाख 88 हजार 472 यानी 47.9 फीसदी वोट मिले थे. बीजेपी दूसरे नंबर पर रही और उसके उम्मीदवार अनुपम हाजरा को 27.36 फीसदी या 3 लाख 93 हजार 233 वोट मिले थे. सीपीआईएम के विकास रंजन भट्टाचार्य को सिर्फ 21.04 फीसदी वोट मिले. उनके लिए 3 लाख 2 हजार 264 लोगों ने वोट किया था.
जादवपुर सीट पर क्या कैसा रहा है बीजेपी का हाल
1952 से अब तक एक भी बार बीजेपी को इस सीट पर जीत नहीं मिली है. पिछली बार भी वह यहां दूसरे नंबर रही और उसके खाते में 27.36 फीसदी वोट आए थे. इस बार पार्टी अनिर्बान गांगुली पर दांव लगा रही है. 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी तीसरे नंबर पर थी. पार्टी को सिर्फ 12 फीसदी वोट मिले थे. उस साल बीजेपी की तरफ से डॉ. स्वरुप प्रसाद घोष मैदान में थे और उन्हें 1,55,511 वोट मिले थे. टीएमसी के सुगतो बोस को 45.84 फीसदी वोट मिले थे, जबकि सीपीआईएम के डॉ. सुजान चक्रवर्ती को 36.01 फीसदी वोट मिले थे.
क्या है जादवपुर सीट का जातीय समीकर?
जादवपुर लोकसभा सीट 24 परगना जिले के अंदर आती है और इसमें 7 विधानसभा सीटें हैं. सात में से 6 विधानसभा सीटें टीएमसी के पास हैं. जादवपुर की आबादी 22 लाख के करीब है और 2011 की जनगणना के अनुसार 40 फीसदी ग्रामीण और करीब 60 फीसदी शहरी वोटर हैं. ग्रामीण वोटर्स की संख्या 7,28,263 है, जबकि 1,087,854 शहरी वोटर हैं. पिछले लोकसभा चुनाव में 18,16,117 मतदाता थे. जनगणना के अनुसार यहां पर मुस्लिम और अनुसूचित आबादी सबसे ज्यादा है. यहां 21.4 फीसदी मुसलमान और 24.1 फीसदी लोग अनुसूचित जाति के हैं, जबकि 0.81 फीसदी ईसाई, 0.01 फीसदी जैन, 0.0.3 फीसदी सिख, 0.5 फीसदी अनुसूचित जनजाति और 0.03 फीसदी बौद्ध धर्म के लोग रहते हैं.
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