Lok Sabha Election 2024: मुलायम सिंह यादव ने 4 अक्टूबर 1992 को समाजवादी पार्टी की स्थापना की. 1993 में यूपी विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी को साइकिल चुनाव चिह्न मिला. इस चुनाव में समाजवादी पार्टी ने 256 सीटों पर चुनाव लड़ा और 109 पर जीत हासिल की. इसके बाद ​​मुलायम दूसरी बार मुख्यमंत्री बने.


हालांकि, समाजवादी पार्टी बनने से पहले भी मुलायम सिंह मुख्यमंत्री रह चुके थे. मुलायम इससे पहले 1989 से 1991 तक मुख्यमंत्री रहे थे, लेकिन तब वे जनता दल का हिस्सा थे, जिसका चुनाव चिन्ह पहिया था. समाजवादी पार्टी के लिए साइकिल का सिंबल पाने वाले मुलायम सिंह ने पहली बार इनाम में मिली साइकिल पर सवारी की थी.


इनाम में जीती था साइकिल
दरअसल, परिवार की माली हालत ठीक नहीं होने के कारण मुलायम सिंह ने कभी भी अपने पिता से साइकिल नहीं मांगी. उन्होंने पहली बार इनाम में मिली साइकिल पर सवारी की थी. दरअसल, एक दिन कुछ लोग ताश खेल रहे थे, तभी एक शख्स ने ऐलान किया कि जो शख्स ताश के खेल में जीत हासिल करेगा उसे इनाम में रॉबिनहुड साइकिल दी जाएगी.


फिर क्या था मुलायम सिंह ने ताश के इस खेल में सभी को मात देते हुए जीत हासिल और इनाम में जीती हुई साइकिल लेकर घर पहुंचे. बाद में साइकिल ही उनकी पार्टी का सिंबल भी बनी.  


किसानों और गरीबों का वाहन मानी जाती थी साइकिल
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार समाजवादी पार्टी के नेता नरेश उत्तम पटेल ने बताया कि जब 1993 के विधानसभा चुनावों के लिए चुनाव चिन्ह चुनने की बात आई, तो नेताजी (मुलायम सिंह) ने साइकिल को चुना. उस दौर में साइकिल किसानों, गरीबों, मजदूरों और मध्यम वर्ग का वाहन था और साइकिल चलाना सस्ता और स्वास्थ्य के लिए भी अच्छा होता है. इस वजह से साइकिल को चुनाव चिह्न के रूप में चुना गया.


विधायक बनने के बाद भी मुलायम सिंह करते थे साइकिल की सवारी
वहीं, सपा के संस्थापक सदस्य सत्यनारायण सचान ने कहा कि तीन बार विधायक बनने के बाद भी मुलायम साइकिल से सवारी करते थे. सचान ने बताया कि बाद में पार्टी के किसी अन्य नेता ने पैसा इकट्ठा किया और उनके लिए एक कार खरीदी. उनका कहना है साइकिल का चिह्न गरीबों, दलितों, किसानों और मजदूर वर्गों के लिए पार्टी के समर्पण और प्रतिबद्धता को दर्शाता है.  


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