Lok Sabha Seat Sharing Formula: कर्नाटक में सीएम पद ने भले ही कांग्रेस को टेंशन दे रखी हो लेकिन इस जीत से विपक्ष में कांग्रेस का कद बढ़ गया है. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कल तक कांग्रेस को भाव देने के मूड में नहीं थीं वो अब कांग्रेस को 200 वाला फॉर्मूला ऑफर कर रही हैं. वहीं, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पिछले कुछ दिनों से विपक्षी जोड़ो एकता की मुहिम में लगे हुए हैं. उन्होंने कोलकाता से लेकर लखनऊ तक और रांची से लेकर मुंबई तक दौरे किए हैं. मगर कर्नाटक की जीत के बाद लग रहा है कि विपक्ष का सियासी गणित बदल गया है.
कांग्रेस जहां भी मजबूत है, उन्हें लड़ने दें
सोमवार (15 मई) को सीएम ममता बनर्जी ने कहा, "कांग्रेस जहां भी 200 सीटों पर मजबूत है, उन्हें लड़ने दें... हम उनका समर्थन करेंगे, लेकिन उनको अन्य राजनीतिक दलों का भी समर्थन करना होगा. अगर मैं कर्नाटक में आपका समर्थन करती हूं, लेकिन बंगाल में आप मेरे खिलाफ लड़ेंगे हैं यह नीति नहीं होती चाहिए."
कांग्रेस ने क्या कहा?
ममता बनर्जी ने सोमवार को ये बयान दिया जिसके बाद ये चर्चा होने लगी कि क्या कांग्रेस फिर से विपक्ष की धुरी बन गई है? इस मामले पर कांग्रेस संसदीय दल के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि वो ममता बनर्जी जो उत्तर प्रदेश औप बिहार जाती हैं, लेकिन कर्नाटक में नहीं गईं क्योंकि वहां कांग्रेस पार्टी लड़ रही है. आज जब कांग्रेस की जीत हुई है, तब उनको ये लगने लगा कि बिना कांग्रेस बंगाल में उनका आगे बढ़ना मुश्किल होगा.
विपक्ष के सेंटर प्वाइंट में कांग्रेस
दरअसल, कर्नाटक की जीत ने कांग्रेस को विपक्ष के सेंटर प्वाइंट में ला दिया है. ममता बनर्जी ने जो आइडिया दिया है उस आइडिया पर आरजेडी के प्रवक्ता मनोज झा ने कहा कि बीजेपी के खिलाफ ज्यादा से ज्यादा सीट पर हम वन टू वन फाइट करें, चाहे बिहार हो उत्तर प्रदेश, झारखंड, मध्य प्रदेश और राजस्थान हो आगे उसी पार्टी को रहना चाहिए जो मजबूत हो.
सपा प्रमुख अखिलेश यादव का बयान
मंगलवार को विपक्षी एकता को लेकर ममता बनर्जी के बयान पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि नीतीश कुमार, ममता बनर्जी, केसीआर और विभिन्न राजनीतिक दल इसका रास्ता निकालने की कोशिश कर रहे हैं. जहां भी कोई पार्टी मजबूत होगी, उन सभी जगहों पर चुनाव उनके नेतृत्व में लड़ा जाएगा.
कांग्रेस जहां मजबूत वहां ध्यान दें
इसका मतलब ये है कि जिन राज्यों में कांग्रेस मजबूत है वो वहां ध्यान दें और बाकी क्षेत्रीय दलों के लिए छोड़ दें. इस फॉर्मूले के हिसाब से पश्चिम बंगाल में टीएमसी, उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी, बिहार में आरजेडी और जेडीयू, महाराष्ट्र में एनसीपी-शिवसेना, तमिलनाडु में डीएमके, दिल्ली-पंजाब में आम आदमी पार्टी के खिलाफ कांग्रेस से उम्मीदवार नहीं उतारने का आइडिया दिया जा रहा है.
143 सीटों का समीकरण
इनके अलावा आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, केरल की सीटें भी शामिल हैं. ममता बनर्जी के मुताबिक 200 सीटें ऐसी हैं जिनपर विपक्षी भी समर्थन दे सकती हैं. ऐसे में वो 200 सीटें कौन सी हो सकती हैं इसको जानना जरूरी है. मध्य प्रदेश में 29, कर्नाटक में 28, गुजरात में 26, राजस्थान में 25, असम में 14, छत्तीसगढ़ में 11 और हरियाणा में 10 सीटें आती हैं.
इन सभी राज्यों की सीटें जोड़ दें ये 143 का आंकड़ा हो जाता है. यहां कांग्रेस और बीजेपी में लगभग सीधी लड़ाई है. इन सीटों पर कांग्रेस को विपक्षी दलों का समर्थन कांग्रेस को देने की बात हो रही है. इसके अलावा बड़े राज्यों में चार-पांच सीटें देकर आंकड़ा 200 पहुंचाने का है. यही फॉर्मूला लेकर नीतीश कुमार भी लेकर निकले थे, लेकिन कर्नाटक की जीत ने सारा गेम खराब कर दिया है.
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