Ram Mandir: आज से सिर्फ तीन दिन बाद अयोध्या में 22 जनवरी को होने जा रहे रामजन्मभूमि की प्राण प्रतिष्ठा के भव्य कार्यक्रम का ट्रेलर दिखाई देने वाला है. 30 दिसंबर वो तारीख है, जब देश ही नहीं बल्कि दुनिया की नजरें भी अयोध्या पर टिकी हुई होंगी. प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम का ट्रेलर इसलिए क्योंकि 30 दिसंबर के दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ना सिर्फ अयोध्या पहुंच रहे हैं, बल्कि अयोध्या की सड़कों पर उनके करीब 15 किलोमीटर लंबा रोड शो करने का प्लान है.
पीएम मोदी का ये अयोध्या दौरा कई मायनों में खास है. अपने इस दौरे में प्रधानमंत्री मोदी अयोध्या में पूरी हो चुकी कई योजनाओं को समर्पित करेंगे. अगली योजनाओं का ऐलान करेंगे. 30 दिसंबर को मोदी सबसे पहले मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम एयरपोर्ट पहुंचेंगे. जानकारी के मुताबिक यहां से वो अयोध्या धाम रेलवे स्टेशन जाएंगे, जहां वंदे भारत ट्रेन को हरी झंडी दिखाएंगे. पीएम जनसभा को भी संबोधित करेंगे और माना जा रहा है कि 2 लाख से ज्यादा की भीड़ जमा हो सकती है.
प्राण प्रतिष्ठा के बाद बदलेगा देश का माहौल?
अब समझिए अयोध्या का संपूर्ण कार्यक्रम अभी बाकी है और 30 दिसंबर को उसकी पहली झांकी दिखाई देगी. सवाल ये कि 2024 के पहले ओपिनियन पोल में उत्तर भारत में अगर बीजेपी अभी से ही विरोधियों को पस्त करती दिखाई दे रही है तो राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के बाद कैसा माहौल होगा. दरअसल, राम मंदिर 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी का सबसे बड़ा दांव माना जा रहा है. बीजेपी को इस दांव का कितना फायदा मिलेगा इसके जवाब से पहले आपको दिखाते हैं कि 2024 चुनाव को लेकर उत्तर भारत में एबीपी न्यूज-सी वोटर का सर्वे क्या कहता है.
उत्तर भारत में क्या है बीजेपी का हाल?
उत्तर भारत रीजन में लोकसभा की कुल 180 सीटें हैं और इन 180 सीटों पर एनडीए गठबंधन को करीब 50 फीसदी वोट मिलते दिख रहे हैं. जबकि विपक्ष के इंडिया गठबंधन को 36 फीसदी वोट, जबकि अन्य के खाते में 14 फीसदी वोट जा रहे हैं. वोट प्रतिशत के बाद सीटों का आंकड़ा देख लेते हैं. ओपिनियन पोल के आंकड़ों के मुताबिक उत्तर भारत रीजन की 180 सीटों में एनडीए को 150-160 सीटें मिलती दिख रही हैं, जबकि इंडिया गठबंधन सिर्फ 20 से 30 सीटों पर सिमटता हुआ दिखाई दे रहा है.
उत्तर प्रदेश का मूड क्या कहता है?
80 लोकसभा सीटों वाले उत्तर प्रदेश में 49 फीसदी वोट शेयर के साथ एनडीए गठबंधन 73 से 75 सीटें हासिल करता हुआ दिखाई दे रहा है, जबकि कांग्रेस और समाजवादी पार्टी 35 फीसदी वोट शेयर के साथ सिर्फ 4 से 6 सीटों तक सिमटते हुए दिखाई दे रहे हैं. 5 फीसदी वोट शेयर के साथ बहन मायावती की पार्टी 0-2 सीटों के बीच झूलती हुई दिखाई दे रही हैं.
पूरब पर बीजेपी की नजर
मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ इन तीन राज्यों के चुनाव नतीजे भी इसी बात पर मुहर लगाते दिखे कि बीजेपी के सामने कोई टिकता हुआ दिखाई नहीं दे रहा है. लेकिन अभी जो आंकड़े हैं, वो उत्तर भारत की तस्वीर है. क्या देश के बाकी रीजन में भी बीजेपी इतनी ही मजबूत दिखाई दे रही है. इस बात की पड़ताल के लिए उत्तर से सीधे पूरब की ओर चलते हैं. गृह मंत्री अमित शाह और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता पहुंचे.
शाह और नड्डा दोनों पहले गुरुद्वारा गए और इसके बाद पश्चिम बंगाल कोर कमेटी की मीटिंग में हिस्सा लिया. ये इस बात का प्रमाण है कि बीजेपी पश्चिम बंगाल को लेकर कितनी गंभीर है और पिछले लोकसभा में बीजेपी के ऐतिहासिक प्रदर्शन को दोहराने के लिए पार्टी के दो सबसे कद्दावर नेता एड़ी चोटी का जोर लगाए हुए हैं. लेकिन बीजेपी को पश्चिम बंगाल में जोर लगाने की कितनी जरूरत है ये समझने के लिए पूरब में ओपिनियन पोल के आंकड़े क्या कहते हैं जरा वो देख लेते हैं.
पूरब रीजन में लोकसभा की कुल 153 सीटें हैं. इन 153 सीटों में एनडीए गठबंधन को 80 से 90 सीटें मिलती दिखाई दे रही हैं, जबकि विपक्षी गठबंधन को 50 से 60 सीटें हैं. जबकि अन्य को 10 से 20 सीटें मिलने का अनुमान है. जेडीयू महासचिव केसी त्यागी ने कहा है कि एक बार फिर नीतीश कुमार आएंगे. पिछली बार की तरह ही हम जीतेंगे. नीतीश का चेहरा फिर से चमकेगा. जेडीयू की आवाज में ये खनक इसलिए है क्योंकि बिहार में बीजेपी विपक्षी गठबंधन से पिछड़ती दिखाई दे रही है.
एबीपी न्यूज सी वोटर के सर्वे के मुताबिक 40 सीटों वाले बिहार में बीजेपी को 39 फीसदी वोट शेयर के साथ 16 से 18 सीट मिलने का अनुमान है, जबकि विपक्षी गठबंधन को 43 फीसदी वोट शेयर के साथ 21 से 23 सीटें मिलने का अनुमान है. दरअसल पूरब में बीजेपी का सामना बिहार में नीतीश कुमार से और पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी से है.
नीतीश और ममता एक साथ आ चुके हैं और बिहार में बाकी दल भी नीतीश के साथ हैं. ठीक इसी तरह पश्चिम बंगाल में लेफ्ट कांग्रेस और ममता अगर साथ मिलकर लड़ेंगे तो विपक्षी गठबंधन को फायदा होगा और ओपिनियन पोल के आंकड़ों में भी ये बात दिखाई दे रही है. 42 लोकसभा सीटों वाले पश्चिम बंगाल में बीजेपी को 16-18 सीटें मिलती दिख रही हैं, जबकि टीएमसी को 23 से 25 सीटें मिलती दिखाई दे रही हैं. कांग्रेस गठबंधन को 0 से 2 सीटें मिलने का अनुमान है.
पश्चिम में क्या है हाल?
महाराष्ट्र में पिछली बार बीजेपी ने अच्छा प्रदर्शन किया था लेकिन इस बार अगर बीजेपी की सीटें कम आती हैं तो उसकी भरपाई करने में बीजेपी को जोर लगाना होगा. महाराष्ट्र यानि कि पश्चिम भारत और जैसा कि देश जानता है कि महाराष्ट्र में पिछले कुछ वक्त बड़ा राजनीतिक फेरबदल हो चुका है ऐसे में पश्चिम भारत में ओपनियन पोल के आंकड़े क्या कहते हैं पहले उस पर नजर डाल लेते हैं.
पश्चिम रीजन में महाराष्ट्र और गुजरात के दो बड़े राज्य शामिल हैं. गुजरात में तो बीजेपी क्लीन स्वीप करती हुई दिखाई दे रही है लेकिन महाराष्ट्र बीजेपी के लिए टेढ़ी खीर साबित हो सकता है. एबीपी न्यूज सी वोटर के ओपिनियन पोल में 48 लोकसभा सीटों वाले महाराष्ट्र में बीजेपी गठबंधन को 37 फीसदी वोट शेयर के साथ 19 से 21 सीटें मिलती दिख रही हैं, जबकि कांग्रेस गठबंधन को 41 फीसदी वोटशेयर के साथ 26 से 28 सीटें मिलने का अनुमान है.
मतलब साफ है कि महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे का साथ छोड़ने का असर साफ दिखाई दे रहा है. वरिष्ठ पत्रकार विनोद अग्निहोत्री ने कहा कि महाराष्ट्र में शिवसेना जब एकजुट थी तो ताकतवर थी. जानकार बता रहे हैं महाराष्ट्र और बंगाल का सियासी रण बीजेपी के लिए आसान नहीं होगा, लेकिन साथ ही इस बात पर भी मुहर लगा रहे हैं कि लोकसभा चुनाव की तैयारियों में बीजेपी विपक्षी गठबंधन से काफी आगे निकल चुकी है और बीजेपी चुनावी सर्वे को तैयारियों के दम पर बदलने की ताकत भी रखती है.
बीजेपी की राह में चार बड़े रोड़े
कुल मिलाकर एबीपी न्यूज सी वोटर के 2024 को लेकर चुनावी सर्व के नतीजे बता रहे हैं कि पीएम मोदी की आंधी बदस्तूर जारी है. उत्तर भारत में मोदी सबसे बड़ी ताकत बनते दिखाई दे रहे हैं, लेकिन दक्षिण को अगर छोड़ भी दें तो बीजेपी की राह में चार रोड़े दिखाई दे रहे हैं.
- पंजाब: जहां कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के मुकाबले बीजेपी कमजोर दिख रही है क्योंकि अकाली दल से गठबंधन टूट चुका है.
- बिहार: बीजेपी विपक्षी गठबंधन से पिछड़ रही है, वो इसलिए क्योंकि इस बार नीतीश बीजेपी के साथ नहीं हैं.
- तीसरा: महाराष्ट्र जहां उद्धव ठाकरे अलग हो चुके हैं और एकनाथ शिंदे का दायरा उतना बड़ा नहीं है.
- चौड़ा: पश्चिम बंगाल में बीजेपी के सामने पिछले लोकसभा चुनाव में जीती 18 सीटों के आंकड़े को आगे ले जाने की चुनौती है.
बावजूद इन चुनौतियों के एबीपी न्यूज सी वोटर के फाइनल सर्वे में बीजेपी को 295 से 335 सीटें मिलती दिख रही हैं जबकि विपक्षी गठबंधन को 165-205 सीटें मिलने का अनुमान है. दोनों दल इससे ज्यादा सीटें जीतने का दावा कर रहे हैं.
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