(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
राहुल कहां कर रहे गलती, मोदी का मुकाबला करने में विपक्ष कहां फेल, प्रशांत किशोर ने खोला राज
एबीपी न्यूज से बात करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि अगर आज चुनाव हो जाए तो बीजेपी की अगुआई वाली एनडीए को बहुत बड़ी बढ़त मिलती दिखाई दे रही है. उन्होंने किसान आंदोलन पर भी अपनी बात रखी.
Lok Sabha Election 2024: एबीपी न्यूज के खास कार्यक्रम घोषणापत्र में चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने कांग्रेस और सांसद राहुल गांधी पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने आरोप लगाया, "कांग्रेस पार्टी को सिर्फ राहुल गांधी चला रहे हैं. सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे सिर्फ सहायक रोल में हैं. राहुल गांधी को लगता है कि आज नहीं तो कल जनता पीएम मोदी ने नाराज होगी और वो हमें गद्दी पर वापस बैठा देगी. ईडी और सीबीआई की वजह से कांग्रेस नहीं हार रही है."
राहुल गांधी को दी नसीहत
भारत जोड़ो न्याय यात्रा पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा, "जब राहुल गांधी को ग्राउंड पर रहना चाहिए था तो वो दिल्ली में बैठे थे. जब उनको शीट शेयरिंग करने के लिए, नेताओं को साथ करने के लिए दिल्ली में होना चाहिए था, तब वो रोड पर घूम रहे हैं. ऐसे में कांग्रेस कैसे चुनाव जीत सकती है. राहुल गांधी ने जो पहली पदयात्रा (भारत जोड़ो यात्रा) की उसको थोड़ा एट्रेक्शन मिला. उनकी यह दूसरी यात्रा कट, कॉपी पेस्ट है, ये नहीं देखा कि टाइमिंग अलग है."
प्रशांत किशोर ने कहा, "कांग्रेस जनता की नब्ज नहीं पकड़ पा रही है. लोकसभा चुनाव 2024 में विपक्ष को एक तिहाई सीटों पर जीत दर्ज करना जरूरी है." बीजेपी की ओर 370 सीटों पर जीतने के दावे पर उन्होंने कहा, "चुनाव सिर्फ जमीन पर नहीं दिमाग में भी लॉजिकली लड़ा जाता है. बीजेपी तो 370 सीट जीतने जैसा दावा हर चुनाव में करती है. बंगाल में भी कह था कि 200 से ज्यादा सीट जीत कर आएंगे. बीजेपी के नेता कह रहे थे कि लिख कर ले लिजिए बंगाल में 200 सीटों पर जीत दर्ज करेंगे और आए 77 सीट."
किसान आंदोलन पर क्या बोले प्रशांत किशोर?
किसान आंदोलन पर प्रशांत किशोर ने कहा, "किसान आंदोलन हरियाणा, पंजाब, पश्चिमी उत्तर प्रदेश तक सीमित है. बंगाल, महाराष्ट्र, ओडिशा, बिहार के किसान इस आंदोलन में पूरी ताकत से नहीं जुड़े हैं. अगर वो इस आंदोलन से जुड़ जाएं और ये देशव्यापी किसान का मुद्दा हो जाए तो बीजेपी के लिए बहुत बड़ी परेशानी हो सकती है."
उन्होंने कहा, "पिछली बार सरकार ने किसानों से महीनों बाद किसान से बात की थी. इस बार जैसे ही आंदोलन शुरू हुआ है, हर दिन सरकार के मंत्री बैठ रहे हैं. क्योंकि जो अनुभवी लोग सत्ता में बैठे हैं उन्हें पता है कि इस तरह के मुद्दे को बड़ा बनते देर नहीं लगती."
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