Raj Thackeray MNS May Join NDA: आगामी लोकसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी ज्यादा से ज्यादा सीटों पर जीत के लिए अपना कुनबा बढ़ाने में लगी है. इसी कड़ी में बिहार में नीतीश कुमार की जेडीयू की एनडीए में वापसी हुई. इसके बाद यूपी में आरएलडी ने बीजेपी के साथ जाने का ऐलान किया. इसके अलावा महाराष्ट्र के पूर्व सीएम अशोक चव्हाण ने भी कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया.
अब चर्चा है कि महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) प्रमुख राज ठाकरे भी एनडीए में शामिल होने जा रहे हैं. ये भी कहा जा रहा है कि राज ठाकरे की हाल ही में बीजेपी के शीर्ष नेता से मुलाकात भी हुई है. अब राज ठाकरे किसी भी दिन दिल्ली में गठबंधन में शामिल होने का ऐलान कर सकते हैं. इन अटकलों के बीच बड़ा सवाल ये है कि आखिर बीजेपी को राज की जरूरत क्यों हैं.
महाराष्ट्र बीजेपी के दो बड़े नेताओं से हो चुकी है मुलाकात!
एबीपी न्यूज को सूत्रों से जो पता चला है कि राज ठाकरे की पिछले दिनों मुंबई बीजेपी अध्यक्ष आशीष शेलार से मुलाकात हुई थी. करीब एक घंटे तक दोनों नेताओं में चर्चा हुई. इस मुलाकात के बाद ये बात कही जा रही है कि राज ठाकरे एनडीए में जा सकते हैं और जल्द ही उनकी दिल्ली में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से मिलवाया जा सकता है. इससे पहले 6 फरवरी को राज ठाकरे की महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम और बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस से भी मुलाकात हुई थी.
राज के सहारे उद्धव ठाकरे के वोट बैंक में सेंध लगाने की तैयारी
राजनीतिक जानकार बताते हैं कि उद्धव ठाकरे के एनडीए से दूर होने के बाद बीजेपी महाराष्ट्र की सियासत में कोई रिस्क नहीं लेना चाह रही. यही वजह है कि पहले उसने उद्धव ठाकरे से अलग हुए एकनाथ शिंदे को अपनी तरफ किया. इसके बाद शरद पवार से अलग हुए अजीत पवार गुट को भी बीजेपी एनडीए में ला चुकी है. अब राज ठाकरे को अपने साथ मिलाकर बीजेपी मराठी वोटरों को साधने की कोशिश में है. राज ठाकरे की मुंबई और आसपास के इलाकों में कोर मराठी वोट बैंक पर अच्छी पकड़ मानी जाती है. राज ठाकरे के जरिये बीजेपी उद्धव ठाकरे के वोट बैंक में सेंध लगाना चाहती है. दूसरी तरफ राज ठाकरे भी राजनीतिक जमीन बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. ऐसे में इस वक्त दोनों ही एक-दूसरे के काम आ सकते हैं.
राज ठाकरे को भी है बीजेपी की जरूरत
राज ठाकरे ने शिवसेना से बगावत कर साल 2006 में अपनी पार्टी महाराष्ट्र नव निर्माण सेना (MNS) बनाई थी. इन्होंने मराठी मानुष के मुद्दे पर अपनी छवि आक्रामक नेता की बनाई. शुरुआत में उत्तर भारतीयों के खिलाफ राजनीति करके राज ठाकरे ने सुर्खियां जरूर बटोरीं, लेकिन चुनावी राजनीति में कोई खास कमाल नहीं कर पाए. राज ठाकरे की एमएनएस अभी तक एक भी लोकसभा सीट नहीं जीत सकी है. विधानसभा की बात करें तो एमएनएस ने साल 2009 में 12 सीटों पर जीत दर्ज कर सबसे अच्छा प्रदर्शन किया था, लेकिन धीरे-धीरे इनकी पार्टी का ग्राफ गिरता चला गया. अब एमएनएस बस वोट काटने वाली पार्टी बनकर रह गई है. ऐसे में मोदी लहर में बीजेपी के साथ जाकर राज भी सियासी संजीवनी की चाहत रखते होंगे.
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