बड़े नेताओं का छूटता साथ... विपक्षी दलों के बयान... कांग्रेस और राहुल गांधी को लोकसभा चुनाव से पहले लग रहे झटके
Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी एकजुटता में दरार की अटकलें लगाई जा रही हैं. इस बीच कई विपक्षी नेताओं के बयानों से भी कांग्रेस को झटका लगा है.
Lok Sabha Election 2024: एनसीपी चीफ शरद पवार (Sharad Pawar) और उनके भतीजे अजित पवार के बयान के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी और पार्टी के लिए असहज स्थिति पैदा हो गई है. कांग्रेस (Congress) ने अडानी मुद्दे पर जेपीसी की मांग को लेकर विपक्षी दलों का नेतृत्व करते हुए कड़ा विरोध जताया है. इसी बीच अब शरद पवार ने कहा कि जेपीसी से कोई नतीजा नहीं निकलेगा. जेपीसी के बजाय सुप्रीम कोर्ट की समिति अधिक उपयुक्त और प्रभावी होगी.
शरद पवार ने कहा कि उन्हें अमेरिका स्थित हिंडनबर्ग रिसर्च के पिछले इतिहास की जानकारी नहीं है, जिसने अरबपति गौतम अडानी की कंपनियों में शेयर में हेरफेर और धोखाधड़ी का आरोप लगाया है. साथ ही उन्होंने कहा कि मैं पूरी तरह से जेपीसी के खिलाफ नहीं हूं. कई बार जेपीसी गठित हुई है और मैं कुछ जेपीसी का अध्यक्ष भी रहा हूं. जेपीसी का गठन (संसद में) बहुमत के आधार पर किया जाएगा. मुझे लगता है कि सुप्रीम कोर्ट की समिति ज्यादा प्रभावी होगी.
अजित पवार ने ईवीएम को दिया बड़ा बयान
इसके अलावा अजित पवार ने भी ईवीएम को लेकर बयान दिया. जिसके बाद एक और मुद्दे की हवा निकल गई. अजित पवार ने शनिवार को कहा कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) विश्वसनीय है और कोई एक व्यक्ति इस मशीन से छेड़छाड़ नहीं कर सकता है. उन्होंने ये भी कहा कि चुनाव हारने वाले राजनीतिक दल अपने प्रदर्शन के लिए अक्सर ईवीएम को जिम्मेदार ठहराते हैं, लेकिन उन्हें यह समझना चाहिए कि चुनावी हार जनादेश होता है.
उद्धव ठाकरे गुट नाराज, ममता बनर्जी भी कर रही हमला
फिलहाल राहुल गांधी पर हर कोई हमलावर है. सावरकर के मुद्दे पर उद्धव ठाकरे गुट भी कांग्रेस नेता से नाराज चल रहा है. वहीं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी लगातार राहुल गांधी पर निशाना साध रही हैं. ममता बनर्जी ने कहा कि राहुल गांधी अगर विपक्ष के नेता रहे तो बीजेपी को हराना मुश्किल है. राहुल गांधी पीएम मोदी के लिए टीआरपी की तरह हैं. बीजेपी चाहती है राहुल गांधी विपक्ष का चेहरा बने रहें.
कई बड़े नेता छोड़ चुके हैं पार्टी
विपक्षी नेताओं के इन बयानों के अलावा कई बड़े नेता भी कांग्रेस का साथ छोड़ चुके हैं. हाल ही में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एके एंटनी के बेटे अनिल एंटनी बीजेपी में शामिल हो गए. उन्होंने बीजेपी में शामिल होते ही परिवारवाद का आरोप लगाते हुए कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. एंटनी ने कहा कि उनका धर्म राष्ट्र के लिए काम करना है ना कि एक परिवार के लिए काम करना. आजकल कांग्रेस के नेताओं और कार्यकर्ताओं को लगता है कि उनका धर्म एक परिवार के लिए काम करना है.
अनिल एंटनी के अलावा सीआर केसवन भी बीजेपी में चले गए हैं. केसवन ने इसी साल फरवरी महीने में कांग्रेस छोड़ी थी. आंध्र प्रदेश के पूर्व सीएम एन किरण कुमार रेड्डी भी बीजेपी में शामिल हो गए हैं. इससे पहले गुलाम नबी आजाद और हिमंत बिस्वा सरमा ने राहुल गांधी को कारण बताते हुए पार्टी छोड़ दी थी. बीजेपी ने हिमंत बिस्वा सरमा को असम का सीएम बना दिया. पार्टी छोड़ने के बाद गुलाम नबी आजाद ने भी कई बार राहुल गांधी और कांग्रेस पर निशाना साधा. उन्होंने यहां तक कह दिया कि जब आप कांग्रेस में होते हैं तो रीढ़ विहीन होते हैं.
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी कांग्रेस की आलोचना की
इन सबसे पहले कांग्रेस के एक और बड़े नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया भी बीजेपी में चले गए थे और अब केंद्र सरकार में मंत्री हैं. हाल ही में मानहानि के एक मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद भी राहुल गांधी को विशेष तवज्जो देने के लिए ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस की आलोचना की थी. सिंधिया ने पहले कभी राहुल गांधी के खिलाफ कुछ नहीं बोला, लेकिन अब वे भी कांग्रेस नेता पर हमला कर रहे हैं.
राहुल गांधी ने किया ट्वीट
इस बीच कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में जाने वाले नेताओं पर राहुल गांधी ने एक ट्वीट के जरिए निशाना साधा. उन्होंने अडानी के नाम की स्पेलिंग के साथ इन नेताओं का नाम जोड़ा और कहा कि सच्चाई छुपाते हैं इसलिए रोज भटकाते हैं. सवाल वही है- अडानी की कंपनियों में 20,000 करोड़ बेनामी पैसे किसके हैं? राहुल गांधी ने ट्विटर पर एक फोटो शेयर की थी जिसमें अडानी के 'ए' अक्षर के साथ गुलाम नबी आजाद, 'डी' के साथ सिंधिया ज्योतिरादित्य, 'ए' के साथ किरण रेड्डी, 'एन' के साथ हिमंत बिस्वा सरमा और 'आई' के साथ अनिल एंटनी लिखा था.
अनिल एंटनी ने किया पलटवार
राहुल गांधी के इस ट्वीट के बाद अनिल एंटनी ने उन पर निशाना साधा था. अनिल एंटनी ने ट्वीट किया था, "एक राष्ट्रीय पार्टी के पूर्व अध्यक्ष और कांग्रेस के तथाकथित पीएम उम्मीदवार राहुल गांधी को इस तरह देखकर दुख होता है कि वे एक सोशल मीडिया सेल ट्रोल की तरह बोल रहे हैं न कि राष्ट्रीय नेता के तरह."
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