Lok Sabha Election 2024: वोटिंग के 48 घंटे पहले थम जाता है प्रचार तो क्या घर बैठ जाते हैं उम्मीदवार? जानें साइलेंस पीरियड से जुड़े हर सवाल का जवाब
Lok Sabha Election 2024 Phase 1: देश में 18 वीं लोकसभा चुनाव के लिए 19 अप्रैल से वोटिंग शुरू हो जाएगा. इस दौरान वोटिंग वाले जिलों में कई तरह के प्रतिबंध लगा दिए जाते हैं.
Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव 2024 के लिए पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल से शुरू हो जाएगा. इसके तहत देश के 21 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की 102 सीटों पर वोट डाले जाएंगे. पहले चरण की वोटिंग को लेकर बुधवार (17 अप्रैल 2024) की शाम 6 बजे चुनाव का प्रचार-प्रसार थम गया. वोटिंग के 48 घंटे पहले ही इन क्षेत्रों में रोड शो, सार्वजनिक सभा, जुलूस निकालने का सभी कार्यक्रमों पर रोक लगा दी जाती है.
भारत में 18वीं लोकसभा चुनाव के लिए वोटिंग होने में अब 24 घंटे से भी कम का समय बचा है. 17 अप्रैल के चुनाव प्रचार समाप्त होने के बाद साइलेंस पीरियड लागू हो गया है. क्या आपको पता है साइलेंस पीरियड क्या होता है और मतदान समाप्त होने के बाद क्या होता है? आइये समझते हैं.
साइलेंस पीरियड क्या है?
मतदान से 48 घंटे पहले तक का समय साइलेंस पीरियड के नाम से जाना जाता है. इस दौरान भारतीय चुनाव आयोग (ईसीआई) की ओर से किसी भी राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को प्रचार-प्रसार करने की अनुमति नहीं होती है. लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 126 के तहत यह समय सीमा वोटिंग के बाद समाप्त हो जाता है.
डोर टू डोर चुनाव प्रचार की अनुमित
राजनेताओं से लेकर हर उस प्लेफॉर्म से यह अपेक्षा की जाती है कि वे साइलेंस परियड लागू होने पर वे मतदाताओं को प्रभावित करने से बचें. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक इस समय सीमा के लिए जिला मजिस्ट्रेट गैरकानूनी सभाओं, सार्वजनिक बैठक, लाउडस्पीक के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने और सभाओं को पांच से कम लोगों तक सीमित रखने को लेकर निर्देश जारी करता है.
ऐसे में सवाल उठता कि क्या इन 48 घंटों में उम्मीदवार बिल्कुल भी प्रचार प्रसार नहीं कर सकते हैं. ईसीआई के अनुसार साइलेंस पीरियड के समय घर-घर जाकर (डोर टू डोर) चुनाव प्रचार करने की अनुमित होती है
इन चीजों पर रहता है प्रतिबंध
साइलेंस परियड के दौरान टेलीविजन या अन्य प्लेटफॉर्म पर चुनाव से संबंधित किसी भी तरह के सर्वे चलाने पर प्रतिबंध रहता है. धारा 126 के तहत ऐसे किसी भी काम की इजाजत नहीं होती है, जिससे चुनाव का रिजल्ट प्रभावित हो. इस दौरान इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया के माध्यम से राजनीतिक विज्ञापनों की भी अनुमति नहीं है.
ईसीआई ने साल 2022 में हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों से पहले लागू किए गए नियमों को फिर से दोहराया है. चुनाव आयोग ने उस समय कहा था, टीवी, रेडियो चैनल, केबल नेटवर्क, इंटरनेट वेबासाइट, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि साइलेंस पीरियड के दौरान किसी के विचार या अपील को प्रसारित न हो. ऐसा करने पर उसे किसी विशेष पार्टी या उम्मीदवारों की संभावना को बढ़ावा देने या चुनाव के परिणाम को प्रभावित के रूप में माना जाएगा.
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 126 में यह भी कहा गया है कि साइलेंज पीरियड के दौरान किसी व्यक्ति की ओर से जनता को प्रभावित करने के उद्देश्य से गीत-संगीत, नाटक का कार्यक्रम या कोई अन्य मनोरंजन के कार्यक्रम भी नहीं करना चाहिए. इस दौरान मतदान वाले जिलों में शराब की बिक्री या वितरण भी प्रतिबंधित रहता है.
ECI ने 2019 में सभी राज्यों को लिखा था पत्र
चुनाव आयोग की ओर से पिछले लोकसभा चुनाव के मद्देनजर मार्च 2019 में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को एक पत्र भेजा गया था. उसमें कहा गया, साइलेंस पीरियड के दौरान स्टार प्रचारकों और अन्य राजनीतिक नेताओं को प्रेस कॉन्फ्रेंस करने या चुनाव से संबंधित इंटरव्यू देने से बचने के लिए कहा गया था.
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