Lok Sabha Election: लोकसभा चुनाव 2024 के लिए कांग्रेस इस बार बदलाव के साथ मैदान में है. राहुल गांधी की अगुवाई में पार्टी की भारत जोड़ा यात्रा पूरी हो चुकी है तो दो दशक बाद पहली बार गांधी परिवार के बाहर का कोई शख्स पार्टी की कमान संभाल रहा है. इस बीच 2024 चुनाव को लेकर एक सर्वे आया है, जो कांग्रेस के बारे में जनता का मूड बता रहा है. इस सर्वे के साथ ही कांग्रेस के बारे में ये समझना भी आसान होगा कि कैसे 2009 से 2019 तक पार्टी के वोटर्स तो बराबर बने रहे लेकिन उसकी सीटों में 150 से ज्यादा की कमी हो गई. 


आखिर दो लोकसभा चुनावों में जब कांग्रेस को बराबर वोट मिले तो उसकी सीटों में इतना भारी अंतर कैसे आया. आइए पहले 2009 और 2019 के आंकड़ों पर एक नजर डालते हैं.


2009 कांग्रेस को मिली थी 206 सीटें
2009 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को 11.9 करोड़ वोट मिले थे. इस चुनाव में कांग्रेस को 206 सीटें हासिल हुई थीं. इसी चुनाव में उसकी प्रतिद्वंद्वी बीजेपी को 7.8 करोड़ वोट मिले थे और उसे 116 सीट मिली थी. 2009 में कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए ने सरकार बनाई थी.


इसके पांच साल बाद 2014 में कांग्रेस का वोट पिछली बार के मुकाबले एक करोड़ नीचे खिसककर गया. पार्टी को देशभर में 10.6 करोड़ वोट मिले लेकिन उसे बुरी तरह हार मिली और उसकी सीटें 44 पर सिमट गईं. वहीं बीजेपी को 17.1 करोड़ वोट मिले लेकिन उसकी सीटें बढ़कर 282 हो गईं, जो बहुमत के आंकड़े 272 से ज्यादा थी.


2019 में 52 पर सिमटी कांग्रेस
2019 लोकसभा चुनाव में एक बार फिर कांग्रेस के वोटर बढ़कर 2009 के बराबर पहुंच गए लेकिन सीटों की संख्या सिर्फ 8 बढ़ी और पार्टी को 52 लोकसभा सीट मिली. ध्यान देने वाली बात है कि 2009 के बराबर ही वोट पाने वाली कांग्रेस की सीटें 154 कम हो गईं. इसी चुनाव में बीजेपी को वोट 22.9 करोड़ मिले थे और उसने 303 सीटों पर कब्जा जमाया था.


कांग्रेस की हार की वजह
अब सवाल है कि कांग्रेस के वोट में कमी नहीं हुई तो ऐसा क्या हुआ जो पार्टी का इतना बुरा हाल हो गया. दरअसल इसके पहले क्षेत्रीय पार्टी मजबूत हुआ करती थीं लेकिन 2014 के बाद क्षेत्रीय पार्टियों के वोट बीजेपी की तरफ शिफ्ट होना शुरू हो गए. नतीजा ये हुआ कि कांग्रेस के वोटर तो उसके साथ बने रहे लेकिन चुनाव में उसका वोट शेयर सिकुड़ने लगा. 2009 में कांग्रेस को 28.55 प्रतिशत वोट मिले थे. 10 साल बाद 2019 में कांग्रेस का वोट शेयर घटकर 19.70 प्रतिशत पर आ गया. खास बात ये है कि 2014 में भी कांग्रेस का वोट शेयर (19.52%) लगभग बराबर ही रहा था.


उधर 2009 से 2019 तक तीन लोकसभा चुनावों में कांग्रेस के मुकाबले बीजेपी का वोट शेयर लगातार बढ़ता रहा. 2009 में यह 18.8 प्रतिशत था जो 2014 में बढ़कर 31.34 प्रतिशत और 2019 में 37.76 प्रतिशत पर पहुंच गया.


क्या कहता है ताजा सर्वे?
जनवरी 2023 में सी वोटर और मूड ऑफ इंडिया नाम से चुनाव सर्वे किया गया है जिसमें 2024 चुनाव को लेकर जनता का मिजाम समझने की कोशिश की गई है. सर्वे के अनुसार, अगर आज चुनाव होते हैं तो कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए को 153 सीटें मिलने का अनुमान लगाया गया है. सर्वे के नतीजे कांग्रेस के लिए अच्छी खबर है क्योंकि उसका अपना वोट शेयर 22 प्रतिशत पहुंचते दिखाया गया है. यूपीए के वोट शेयर की बात करें तो यह 30 प्रतिशत पहुंचने का अनुमान लगाया गया है.


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