Lok Sabha Election: लोकसभा चुनावों में बीजेपी के खिलाफ विपक्ष ने लामबंदी तेज कर दी है. बीजेपी को घेरने के लिए जिन दो राज्यों में दिलचस्प राजनीतिक मंथन हो रहा है, वे महाराष्ट्र और बिहार हैं. हाल ही में बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने विपक्षी एकता को लेकर बयान दिया था, तो बुधवार (22 फरवरी) को यही बात उद्धव ठाकरे के गुट ने भी दोहराई थी. एक-एक सीट पर रणनीति बनाने वाली बीजेपी के लिए ये दोनों राज्य इसलिए भी ज्यादा महत्वपूर्ण हो गए हैं, क्योंकि 2019 के लोकसभा चुनाव में एनडीए ने यहां एकतरफा जीत हासिल की थी, लेकिन तब से अब तक यहां राजनीतिक समीकरण पूरी तरह बदल चुके हैं. बिहार और महाराष्ट्र में 2024 का लोकसभा चुनाव एकदम नए परिदृश्य में लड़ा जाएगा.
बिहार और महाराष्ट्र में लोकसभा की 88 सीटें आती हैं. 2014 और 2019 के आम चुनावों में बीजेपी ने इनमें से 45 और 40 पर जीत हासिल की थी. बीजेपी के सहयोगियों की सीटों को मिला लें तो इन दो राज्यों में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) को 2014 में 71 और 2019 में 80 सीटें मिली थीं. सीटों की संख्या बताती है कि बीजेपी के मिशन 2024 के लिए ये दोनों राज्य कितने महत्वपूर्ण हैं. 2019 में बीजेपी ने 303 लोकसभा सीटें जीती थीं. अगर इन दो राज्यों की बीजेपी सीटें घटा दें तो पार्टी बहुमत के 272 के आंकड़े से नीचे चली जाती है.
दो चुनावों में बीजेपी और एनडीए का नंबर
2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 282 सीटें जीती थीं जिनमें 45 सीटें बिहार और महाराष्ट्र से थीं, जबकि 237 सीटें देश के बाकी राज्यों से थीं. 2019 में यह आंकड़ा क्रमशः 40 और 263 था. अगर बीजेपी नीत एनडीए की सीटें देखें तो 2014 में बिहार-महाराष्ट्र से 71 सीट, जबकि अन्य राज्यों से 265 सीट मिली थीं. 2019 में एनडीए को बिहार-महाराष्ट्र से 80 लोकसभा और अन्य राज्यों से 271 लोकसभा सीट मिली थीं.
बिहार और महाराष्ट्र में बदले समीकरण
2019 के लोकसभा चुनाव के बाद महाराष्ट्र का विधानसभा चुनाव भी बीजेपी-शिवसेना ने साथ लड़ा, लेकिन चुनाव के तुरंत बाद सीएम कुर्सी को लेकर गठबंधन टूट गया. उस समय शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बनाई. 2022 में सेना में बड़ी बगावत हुई और शिंदे गुट (अब असली शिवसेना) के साथ बीजेपी फिर सत्ता में शामिल हुई.
बिहार में 2020 में विधानसभा चुनाव लड़ा गया. इस चुनाव में बीजेपी और जेडीयू साथ थीं. गठबंधन को जीत मिली और कम सीट होने के बाद भी नीतीश कुमार सीएम बने. सरकार चल रही थी, लेकिन दोनों दलों के बीच कुछ मुद्दों को लेकर स्थिति ठीक नहीं चल रही थी. 2022 में नीतीश कुमार ने अलग राह पकड़ी और आरजेडी, कांग्रेस व वामपंथी दलों के साथ मिलकर सरकार बनाई. एक बार फिर जेडीयू में सब ठीक नहीं है. उपेंद्र कुशवाहा ने पार्टी से इस्तीफा देकर नए संकेत दिए हैं.
2019 में किसे कितना वोट मिला
बिहार के वर्तमान समीकरणों को देखें तो 2019 में बीजेपी विरोधी खेमे में शामिल जेडीयू (21.8) कांग्रेस (7.7) और आरजेडी (15.4) को कुल 44.9 फीसदी वोट मिले थे. वहीं बीजेपी को 23.6 फीसदी वोट और उसकी वर्तमान में सहयोगी लोक जनशक्ति पार्टी को 7.9 फीसदी वोट मिले थे.
HT की रिपोर्ट के मुताबिक, महाराष्ट्र में 2019 के लोकसभा चुनाव में चुनाव में बीजेपी को 27.6 फीसदी वोट मिले, जबकि शिंदे के साथ आए 13 सांसदों को 13.9 फीसदी वोट मिले. इस तरह दोनों का कुल जोड़ 41.3 प्रतिशत होता है.
वहीं, मोदी विरोधी खेमे में कांग्रेस को 16.3 प्रतिशत वोट और एनसीपी को 15.5 प्रतिशत वोट मिले थे. वहीं, उद्धव ठाकरे के गुट (शिंदे गुट के 13 सांसदों को छोड़कर) का वोट प्रतिशत 9.4 प्रतिशत रहा. तीनों के वोट शेयर को मिला दिया जाए तो यह 41.2 प्रतिशत हो जाता है.
सीटों के बंटवारे पर होगी नजर
बिहार और महाराष्ट्र, दोनों जगह सीटों के बंटवारें पर सबकी नजरें होंगी. महाराष्ट्र में बीजेपी अधिक से अधिक सीटें अपने खाते में लेने की कोशिश करेगी, लेकिन देखना है कि शिंदे गुट उसकी मांग को कितना मानता है. वहीं, बीजेपी विरोधी खेमे में सीटों के बंटवारे में उद्धव ठाकरे गुट के कमजोर होने का फायदा एनसीपी और कांग्रेस जरूर उठाना चाहेंगे.
बिहार में भी सीटों का बंटवारा दिलचस्प होने वाला है. इस बार जेडीयू महागठबंधन का हिस्सा है. अब देखना है कि सीट बंटवारे में नीतीश कुमार कम सीटों पर मानने को तैयार होते हैं या नहीं.
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