2024 के चुनाव में 400 पार के नारे के साथ उतरी बीजेपी का मुख्य टारगेट है यूपी. इसी टारगेट की तरफ कदम बढ़ाने के लिए योगी कैबिनेट में मंगलवार (05 मार्च 2024) को विस्तार किया गया है. यूं कहें तो इस विस्तार से राज्य के सभी सियासी समीकरण साधने की कोशिश की गई है. योगी कैबिनेट के इस विस्तार में चार नए मंत्रियों को जगह दी गई है. इनमें सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (SBSP) के चीफ ओमप्रकाश राजभर भी शामिल हैं. राजभर ने यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में अखिलेश यादव की पार्टी सपा से गठबंधन किया था. बाद में वे पाला बदलकर NDA में शामिल हो गए. ऐसे में जानते हैं कि राजभर बीजेपी के लिए कितने जरूरी हैं.  


माना जा रहा है कि राजभर को मंत्री बनाने से NDA की पूर्वांचल में ताकत बढ़ेगी. पूर्वांचल की जिन सीटों पर 2019 में बीजेपी को जीत नहीं मिली थी, उनमें भी जीत की संभावना बढ़ सकती है. दरअसल, यूपी में 4% राजभर वोट है. इतना ही नहीं पूर्वांचल के 18 जिलों में राजभर की अच्छी पकड़ मानी जाती है. राजभर के आने से 16 लोकसभा सीटों पर बीजेपी को फायदा मिलेगा.   


किन सीटों पर राजभर का प्रभाव?


राजभर को पूर्वांचल यूपी का प्रभावशाली ओबीसी नेता माना जाता है. उनके बीजेपी के साथ आने से गैर-यादव ओबीसी वोटों में NDA की पैठ और मजबूत होगी.  राजभर गाजीपुर से विधायक हैं. उनकी पार्टी की वाराणसी, जौनपुर, घोसी, लालगंज, गाजीपुर, आंबेडकर नगर, सलेमपुर, आजमगढ़, बलिया, चंदौली, इलाहाबाद, फैजाबाद, बस्ती, गोरखपुर, मछली शहर, भदोही सीटों पर अच्छी खासी पकड़ मानी जाती है.


2019 में राजभर के बाहर जाने से हुआ था नुकसान

2014 लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने आजमगढ़ को छोड़कर पूर्वी यूपी की 28 में से 27 सीटों पर जीत हासिल की थी. 2019 में जब यूपी में सपा-बसपा और आरएलडी गठबंधन में लड़े तो पूर्वी यूपी की 6 सीटें बीजेपी ने गंवा दी. इस चुनाव में राजभर की पार्टी ने एनडीए से बाहर आकर 24 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे. भले ही राजभर एक भी सीट न जीत पाए हों, लेकिन उनके काटे वोट बीजेपी की हार के लिए काफी थे. माना जा रहा है कि अब राजभर के NDA खेमे में जाने से इस नुकसान की भरपाई की उम्मीद की जा रही है.