लोकसभा चुनाव 2024 की तारीखों के ऐलान से पहले चुनाव आयुक्त अरुण गोयल के इस्तीफे ने हलचल मचा दी है. शनिवार (9 मार्च) को उन्होंने अचानक इस्तीफे का ऐलान किया तो चर्चाएं शुरू हो गईं. कहा जा रहा है कि अरुण गोयल ने मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) राजीव कुमार से मतभेदों के चलते यह कदम उठाया. इस बीच कांग्रेस ने यह भी सवाल किया है कि इस्तीफे की वजह वाकई सीईसी के साथ मतभेद हैं या फिर अरुण गोयल भी लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं. विपक्ष का कहना है कि अरुण गोयल भारतीय जनता पार्टी (BJP) के टिकट पर चुनाव लड़ सकते हैं.
कांग्रेस ने कलकत्ता हाईकोर्ट के जज अभिजीत गंगोपाध्याय का जिक्र करते हुए सवाल किया कि क्या अरुण गोयल भी लोकसभा चुनाव लड़ेंगे. अब निर्वाचन आयोग में सिर्फ मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ही बचे हैं. दो चुनाव आयुक्त और एक मुख्य चुनाव आयुक्त होता है. एक चुनाव आयुक्त का पद पहले से ही खाली था और अरुण गोयल ने भी इस्तीफ दे दिया है तो चुनाव आयुक्त के दोनों पद खाली हो गए हैं.
अरुण गोयल के इस्तीफे पर कांग्रेस की तीन सवाल
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने तीन सवाल खड़े किए हैं. पहला सवाल है- क्या वाकई सरकार या मुख्य चुनाव आयुक्त से मतभेद के चलते अरुण गोयल ने इस्तीफा दिया. दूसरा सवाल- क्या उन्होंने निजी कारणों से इस्तीफा दिया? और तीसरा सवाल- कलकत्ता हाईकोर्ट के जज अभिजीत गंगोपाध्याय की तरह बीजेपी के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए अरुण गोयल ने पद छोड़ा है.
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि अरुण गोयल आगे क्या करते हैं, यह देखने के लिए हमें कुछ दिन का इंतजार करना पड़ेगा. उन्होंने कहा, 'मैं कलकत्ता हाईकोर्ट के जज के बारे में सोच रहा था, जो इस्तीफा देकर बीजेपी में शामिल हो गए... और तृणमूल कांग्रेस को लेकर बयानबाजियां कर रहे हैं. यह दिखाता है कि बीजेपी अपनी विचारधारा के लोगों को शामिल कर रही है. अब चुनाव आयुक्त ने भी रिजाइन कर दिया, देखते हैं, इंतजार करिए कि वह आगे क्या करते हैं.'
आप और सपा ने भी अरण गोयल के इस्तीफे पर दिए बयान
आम आदमी पार्टी, समाजवादी पार्टी और तृणमूल कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दलों की ओर से अरुण गोयल के इस्तीफे को लेकर बयान आ रहे हैं. आप नेता और दिल्ली सरकार में मंत्री आतिशी मार्लेना ने कहा कि ये वही चुनाव आयुक्त हैं, जिन्हें 24 घंटे के अंदर बीजेपी सरकार ने अपांइट किया और जब सुप्रीम कोर्ट में अपांइटमेंट को चुनौती दी गई तो सरकार ने उनकी नियुक्ति की कोर्ट में पैरवी की. आतिशी ने आगे कहा कि अब उनके लाए हुए चुनाव आयुक्त ही छोड़कर जा रहे हैं. सबके दिमाग में यही सवाल है कि सरकार ने चुनाव को लेकर ऐसा क्या करने को कहा कि उनके अपने आदमी को भी इस्तीफा देना पड़ा.
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने इस घटनाक्रम को लेकर आरोप लगाया कि चुनाव आयोग दबाव में काम कर रहा है. सवाल ये है कि चुनाव आयोग एक संवैधानिक संस्था है, उस पर कौन दबाव बना रहा है. उधर, शिवसेना (UBT) के नेता संजय राउत ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग अब बीजेपी की शाखा बन गई है. उन्होंने कहा कि यह वह चुनाव आयोग नहीं है, जो टी एन शेषन के समय निष्पक्ष होकर काम करता था.
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