BJP Rise In Lok Sabha Election: लोकसभा चुनाव को लेकर लगभग 400 दिन रह गए हैं. सभी दल चुनाव की तैयारियों में जुटे हैं. ऐसे में देखते हैं कि किसकी लोकप्रियता में उछाल आया है और किसे घाटा उठाना पड़ा है. इसमें हम 2009 के आंकड़ों का विश्लेषण करेंगे, जब मनमोहन सिंह के नेतृत्व में यूपीए की सरकार बनी थी. वहीं, साल 2014 में मोदी लहर के दौरान बीजेपी की प्रचंड जीत की समीक्षा करेंगे. साथ ही 2019 में मोदी की दोबारा वापसी को लेकर आंकड़ों पर नजर डालेंगे और देखेंगे कि किसके वोट में कितना इजाफा हुआ और किसको वोट शेयर डाउन हुआ.
पिछले तीन आम चुनाव में बीजेपी के वोटर 14.1 करोड़ बढ़ गए. लेकिन दिलचस्प बात ये है कि कांग्रेस का वोट शेयर तो उतना ही बना हुआ है लेकिन पार्टी के हाथ से न सिर्फ सत्ता छूटी बल्कि सीटों की संख्या में भी बहुत कमी आई.
आंकड़ों पर एक नजर
आंकड़ों की समीक्षा करने से पहले एक बार तीन लोकसभा चुनाव के आंकड़ों पर नजर डालते हैं. 2009 में बीजेपी को 7.8 करोड़ वोट मिले थे. इस चुनाव में कांग्रेस को 11.9 करोड़ वोट मिले थे. इस चुनाव में बीजेपी को 116 सीटें मिली थीं, जबकि कांग्रेस को 206 सीट मिली.
2014 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी ने चुनाव लड़ा और प्रचंड बहुमत के साथ केंद्र में एनडीए की सरकार बनी. 5 साल में बीजेपी के वोट बढ़कर 17.1 करोड़ हो चुके थे जबकि कांग्रेस को 10.6 करोड़ वोट मिले थे. 2019 में भी बीजेपी का रथ आगे बढ़ा. इस बार बीजेपी के वोट बढ़कर 22.9 करोड़ हो गए. इस चुनाव में कांग्रेस को 11.9 करोड़ वोट मिले.
लगातार ऊपर आया बीजेपी का ग्राफ
2009 से 2019 के बीच 10 सालों में बीजेपी का ग्राफ लगातार ऊपर आया है. 10 सालों में तीन चुनावों के दौरान बीजेपी के साथ हर बार वोटर बढ़े और इसमें 14.1 करोड़ की वृद्धि हुई. वोटों की संख्या के हिसाब से देखें तो कांग्रेस को 2009 और 2019 दोनों बार 11.9 करोड़ वोट मिले. यानी कांग्रेस का मतदाता उसके साथ जुड़ा रहा.
कांग्रेस की सीटें देख हिल जाएगा दिमाग
इस आंकड़े को एक बार गौर से देखिए. कांग्रेस के वोटर लगभग बराबर बने हुए हैं. अब कांग्रेस की सीटों पर नजर डालिए तो ये संख्या दिमाग हिला देती है. 2009 में कांग्रेस को 206 सीट मिली थी, जबकि 2014 और 2019 में क्रमशः 44 और 52 सीटें ही मिलीं. 2009 के बाद 5 साल में ही कांग्रेस को 150 सीटों का नुकसान हुआ, जो 2019 में भी बना रहा.
वोट शेयर से समझ जाएंगे गणित
कांग्रेस की सीटों में गिरावट को समझने के लिए वोट शेयर पर नजर डालनी होगी जिससे तस्वीर साफ हो जाएगी. 2009 के आम चुनाव में कुल पड़े वोटों का 18.8 प्रतिशत बीजेपी को जबकि कांग्रेस को 28.55 प्रतिशत वोट मिले थे. पांच साल बाद जब 2014 में अगले चुनाव हुए तो बीजेपी का वोट शेयर लगभग 13 फीसदी उछाल के साथ 31.34 प्रतिशत पर पहुंच गया जबकि कांग्रेस के वोट शेयर गिरकर 19.52 प्रतिशत पर आ गया.
2019 में भी बीजेपी ने वोट शेयर में उछाल बनाए रखी और यह 37.76 फीसदी पहुंच गया. वहीं कांग्रेस एक बार फिर 2014 के ही आसपास 19.70 प्रतिशत पर रुकी रही.
बीजेपी के इस दांव से मात खा रही कांग्रेस
दस साल के बीच हुए तीन चुनाव के आकड़े बताते हैं कि बीजेपी का ग्राफ लगातार बढ़ता गया है. पार्टी के साथ नए वोटर जुड़े हैं. लेकिन यही आंकड़े ये भी बताते हैं कि बीजेपी के पास जो वोटर बढ़े हैं उसमें दूसरी पार्टियों के समर्थक हैं. कांग्रेस के वोटरों की संख्या में तो कोई कमी नहीं आई है लेकिन नए वोटर बढ़ने से बीजेपी का जो वोट शेयर बढ़ा है, उससे पार्टी मात खा रही है.
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