Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव के लिए मतदान समाप्त हो चुके हैं और अब 4 जून को मतगणना का इंतजार है. इससे पहले हुए न्यूज 18 के मेगा एक्जिट पोल में कांग्रेस नेता राहुल गांधी को रायबरेली सीट से भारी बहुमत से जीतने की संभावना है. वहीं, राहुल गांधी ने अपनी मां की हाल ही में खाली हुई सीट रायबरेली से पर्चा भरकर सबको चौंका दिया था. इस सीट पर उनके प्रतिद्वंदी बीजेपी उम्मीदवार दिनेश प्रताप सिंह हैं. माना जा रहा है कि राहुल गांधी को 56 फीसदी तो दिनेश प्रताप को 33 फीसदी वोट हासिल हो सकता है. 


न्यूज 18 की रिपोर्ट के मुताबिक, इस बीच, न्यूज18 मेगा एग्जिट पोल के आंकड़ों के मुताबिक, यूपी में बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए को 68-71 सीटें मिलने की संभावना है. पोल सर्वे के अनुसार, बीजेपी 64-67 सीटें जीत सकती है. जबकि, कांग्रेस के नेतृत्व वाले इंडिया गठबंधन को 9-12 सीटें मिलने की संभावना है. सर्वे के मुताबिक, इनमें से कांग्रेस को 3-6 सीटें मिल सकती हैं.


2019 में कांग्रेस ने रायबरेली में 1 सीट पर खोला था खाता


दरअसल, रायबरेली लोकसभा सीट साल 2019 में कांग्रेस की उत्तर प्रदेश से इकलौती सीट थी, जहां से कांग्रेस जीती थी. सोनिया गांधी यहां से लगातार चौथी बार जीतकर सांसद बनी थीं. रायबरेली के अलावा यूपी की किसी और सीट पर कांग्रेस का खाता तक नहीं खुला था. राहुल गांधी खुद अमेठी की अपनी सीट हार गए थे. हालांकि, राहुल गांधी ने वायनाड सीट पर जीत दर्ज कराने में कामयाब रहे थे.


रायबरेली सीट क्यों बनी हुई है कांग्रेस?


बता दें कि, रायबरेली लोकसभा सीट पहले लोकसभा चुनाव से ही कांग्रेस का गढ़ रही है. साल 1951-52 में रायबरेली अलग सीट नहीं थी. तब रायबरेली और प्रतापगढ़ को मिलाकर एक सीट हुआ करती थी. पहले चुनाव में पूर्व पीएम इंदिरा गांधी के पति फिरोज गांधी यहां से चुनाव लड़े और सांसद बने. फिर 1957 जब रायबरेली अलग सीट बनी तब भी फिरोज गांधी ने इसी सीट से चुनाव लड़ा और जीतकर संसद पहुंचे. 1962 में कांग्रेस के ही एक और नेता बैजनाथ कुरील ने इस सीट पर कब्ज़ा किया था.


इसके बाद इंदिरा गांधी ने सुनिश्चित किया कि 1967 से 1977 तक परिवार की विरासत कायम रहे. साल 1980 में इंदिरा गांधी ने रायबरेली और मेडक दोनों सीटों पर जीत हासिल की. ​​लेकिन उन्होंने मेडक सीट चुनी और रायबरेली से इस्तीफ़ा दे दिया. ऐसे में इंदिरा गांधी की बुआ शीला कौल ने 1989 और 1991 में रायबरेली सीट का प्रतिनिधित्व किया. वहीं, साल 1999 में गांधी परिवार के एक और दोस्त सतीश शर्मा ने रायबरेली सीट का प्रतिनिधित्व किया.


2004 से 2024 तक सोनिया गांधी ने संभाली रायबरेली सीट की कमान


इस दौरान जब सोनिया गांधी रायबरेली आईं, तो उन्हें इंदिरा गांधी की पसंदीदा 'बहू' के रूप में देखा गया. जब सोनिया गांधी ने लाभ के पद के मुद्दे पर सरकार द्वारा अध्यादेश लाने की संभावना पर इस्तीफा देने के बाद 2006 में फिर से चुनाव लड़ने का फैसला किया, तो उन्होंने 2004 की तुलना में बड़े अंतर से जीत हासिल की.


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