विपक्षी दलों के गठबंधन के सामने ये हैं प्रमुख चुनौतियां, PM फेस के लिए क्या दोहराया जाएगा 2004 का मॉडल?
Opposition Alliance: लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी से मुकाबला करने के लिए 26 विपक्षी दलों ने अपने गठबंधन को नाम देकर एक शक्ल तो दे दी है लेकिन पीएम चेहरे समेत कई चुनौतियां सामने हैं.

Opposition Alliance INDIA: लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी को मात देने के लिए अस्तित्व में आए नए विपक्षी गठबंधन 'इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस' (INDIA) में शामिल दलों के सामने कई चुनौतियां हैं. न्यूज एजेंसी पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से अपनी रिपोर्ट में बताया है कि गठबंधन में शामिल नेता ढेरों चुनौतियों की बीच मुद्दों का हल सौहार्दपूर्ण ढंग से निकालने पर विचार कर रहे हैं क्यों इसमें असफल रहने पर उनके सामने अप्रासांगिक हो जाने का खतरा मंडरा रहा है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने गठबंधन के भीतर मतभेदों का स्वीकार किया है. उन्होंने सभी दलों से आग्रह किया है कि वे देश और जनता के लिए अपने मतभेदों को किनारे रख सबसे बड़ी विरोधी बीजेपी से मुकाबला करने के लिए एकजुट होकर आगे बढ़ें.
विपक्षी दलों के बीच मतभेद दूर कैसे होंगे?
बेंगलुरु में मंगलवार (18 जुलाई) को मल्लिकार्जुन खरगे ने मीडिया से कहा, ''हमारे बीच कुछ मतभेद हैं लेकिन हमने उन्हें पीछे छोड़ दिया है. हम देश हित में साथ हैं.'' खरगे ने जोर देकर कहा, ''हम 2024 का लोकसभा चुनाव एकजुट होकर लड़ेंगे और सफल होंगे.''
विपक्षी दलों के बीच मतभेद दूर कैसे होंगे? यह पूछे जाने पर मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा, ''देखते हैं कि हम स्टेप बाई स्टेप कैसे आगे बढ़ते हैं.'' उन्होंने उम्मीद जताई कि पार्टियां मतभेदों और मुद्दों को दूर करने में सक्षम होंगी. एक अन्य नेता ने कहा कि यही अपने आप में सफलता है कि 26 पार्टियां एक ही एजेंडे के लिए एक साथ आईं.
राज्यों में हैं कट्टर प्रतिद्वंद्वी, गठबंधन में कैसे आगे बढ़ेंगी ये पार्टियां?
गठबंधन में वे पार्टियां शामिल हैं जो राज्यों में एक दूसरी की कट्टर प्रतिद्वंद्वी हैं. जैसे कि कांग्रेस और लेफ्ट केरल में प्रतिद्वंद्वी हैं. लेफ्ट और टीएमसी पश्चिम बंगाल में एक दूसरी की प्रतिद्वंद्वी हैं. यही स्थिति दिल्ली और पंजाब में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच है.
समाजवादी पार्टी और कांग्रेस उत्तर प्रदेश में प्रतिद्वंद्वी पार्टियां हैं. वहीं, पीडीपी और नेशनल कांफ्रेंस के बीच जम्मू-कश्मीर में प्रतिस्पर्धा है. ऐसे में ये पार्टियां अपने हितों से ऊपर उठकर राज्यों में एक-दूसरे के अस्तित्व के साथ कैसे आगे बढ़ेंगी, यह जानने की जिज्ञासा सबकी है.
विपक्षी गठबंधन का नेतृत्व कौन करेगा?
विपक्षी गठबंधन के सामने कई विवादास्पद मुद्दे अनसुलझे हैं लेकिन पहली चुनौती इस बात की है कि नेतृत्व कौन करेगा? सूत्रों के मुताबिक, यह गठबंधन चुनाव से पहले अपने प्रधानमंत्री चेहरे की घोषणा नहीं कर सकता है क्योंकि इसके घटकों के बीच टकराव की स्थिति पैदा होने जोखिम रहेगा.
क्या 2004 का मॉडल दोहराएंगे विपक्षी दल?
सूत्रों के मुताबिक, विपक्षी दल 2004 का मॉडल दोहराना चाह रहे हैं जब उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार को हटाने में सफलता पाई थी और बाद में अपने पीएम उम्मीदवार की घोषणा की थी.
कांग्रेस अध्यक्ष खरगे के मुताबिक, एक 11 सदस्यीय समन्वय समिति गठित की जाएगी और मुंबई में होने वाली अगली बैठक में इसकी संरचना को अंतिम रूप दिया जाएगा. खरगे ने गठबंधन के चेहरे का नाम लिए बगैर कहा कि समन्वय समिति और एक संयोजक का नाम तय किया जाएगा.
क्या लालू यादव नीतीश को संयोजक के रूप में देखना चाहते हैं?
सूत्रों के मुताबिक, जेडीयू नेता नीतीश कुमार और आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव चाहते थे कि बैठक में ही संयोजक के नाम की घोषणा हो जाए. उन्होंने कहा कि लालू प्रसाद यादव संयोजक के रूप में नीतीश कुमार को देखना चाहते हैं क्योंकि इससे बिहार में उनके बेटे तेजस्वी यादव के लिए नीतीश का उत्तराधिकारी बनने का रास्ता साफ हो जाएगा.
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