Lok Saha Election Result 2024: तेलंगाना की हैदराबाद लोकसभा सीट से एआईएमआईएम के उम्मीदवार असदुद्दीन ओवैसी ने पांचवीं बार जीत हासिल की. इस दौरान उन्होंने बीजेपी कैंडिंडेट माधवी लता को 3 लाख 38 हजार वोटों से हरा दिया. हालांकि, माधवी लता के उतरने से मुकाबला काफी कड़ा हो गया था. मगर, क्षेत्र की जनता ने बीजेपी कैंडिंडेट माधवी लता को नकार दिया.
दरअसल, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी का इस सीट पर कई सालों से दबदबा रहा है. हालांकि, इस बार बीजेपी ने माधवी लता को मैदान में उतारा था. चुनाव आयोग के आकंड़ों के अनुसार, असदुद्दीन ओवैसी को 6 लाख 61 हजार 981 वोट मिले. जबकि, उनकी प्रतिद्वंदी बीजेपी उम्मीदवार माधवी लता को 3 लाख 23 हजार 894 वोट मिलें.
असदुद्दीन ओवैसी ने तेलंगाना के CM रेवंत रेड्डी को दी बधाई
एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी को बधाई दी. उन्होंने कहा कि मुझे लगता है की बीजेपी बहुमत के आंकड़े से दूर रहेगी, लेकिन अब आगे क्या होगा में नहीं कह सकता हूं. क्योंकि, बीजेपी ने नफरत की राजनीति की. इसके साथ ही ओवैसी ने कहा कि मैं हैदराबाद के लोगों को धन्यवाद देना चाहता हूं क्योंकि उन्होंने मजलिस को पांचवीं बार सफलता दिलाई है. मैं हैदराबाद के लोगों, खासकर युवाओं, महिलाओं और पहली बार मतदान करने वालों को धन्यवाद देना चाहता हूं, जिन्होंने एआईएमआईएम पार्टी को ऐतिहासिक सफलता दिलाई है.
1952 से 1984 तक हैदराबाद सीट पर था कांग्रेस का कब्जा
हालांकि, राजनीतिक हलकों में इस बात को लेकर बहस चल रही थी कि क्या इतिहास को एक महिला माधवी लता द्वारा फिर से लिखा जाएगा. मगर, हमेशा की तरह एआईएमआईएम उम्मीदवार असदुद्दीन ओवैसी को काफी बड़ी सफलता मिली. बता दें कि, हैदराबाद लोकसभा सीट पर साल 1952 से 1984 तक कांग्रेस का और एक बार तेलंगाना प्रजा समिति का कब्जा रहा है. मगर, साल 1984 से यहां पर लगातार एआईएमआईएम का ही कब्जा बरकरार है.
वहीं, साल 1984 से 2004 तक एआईएमआईएम उम्मीदवार असदुद्दीन ओवैसी के पिता सुल्तान सलाहुद्दीन ओवैसी लगातार हैदराबाद सीट से जीतते रहै. इसके बाद से इस सीट पर असदुद्दीन का वर्चस्व चल आ रहा है, जिसके चलते ओवैसी इस सीट पर लगातार 5 वीं बार भारी वोटों से जीत दर्ज की है. गौरतलब है कि असदुद्दीन ओवैसी ने साल 2004 में पहली बार चुनाव लड़ा और 1 लाख वोटों से जीत दर्ज की थी. इसके बाद साल 2009, 2014 और 2019 के चुनावों में भी उन्होंने जीत हासिल की और हैदराबाद उनका गढ़ बन गया.