Lok Sabha Election Result 2024: एक पर आतंकवाद तो दूसरे पर देशद्रोह का आरोप, जेल से बन गए सांसद, लेकिन अब...
Elections Result 2024: देश विरोधी गतिविधियों के आरोप में अमृतपाल सिंह डिब्रूगढ़ जेल में बंद है, जबकि शेख अब्दुल राशिद 9 अगस्त, 2019 से कथित तौर पर टेरर फंडिंग के आरोप में तिहाड़ जेल में बंद हैं.
Lok Sabha Elections 2024 Result: इस बार लोकसभा चुनाव में कई बड़े नाम हारे तो कई आम आदमी जीत दर्ज कर संसद तक पहुंचे हैं. इन सबके बीच दो नाम ऐसे हैं जो आतंकवाद के आरोप में जेल में बंद हैं और लोकसभा चुनाव में विजयी भी हुए हैं. हम बात कर रहे हैं अमृतपाल सिंह और शेख अब्दुल राशिद की.
अमृतपाल सिंह ने पंजाब के खडूर साहिब लोकसभा सीट से जीत हासिल की है, जबकि शेख अब्दुल राशिद ने कश्मीर घाटी के बारामुल्ला से चुनाव जीता है. इनकी जीत की चर्चा खूब हो रही है, लेकिन इसी बीच लोगों के मन में कुछ सवाल भी उठ रहे हैं कि जेल में बंद ये दोनों क्या पद की शपथ ले पाएंगे और क्या वे संसद सत्र में भाग ले पाएंगे? आइए जानते हैं विस्तार से
शपथ लेने का रखते हैं अधिकार
पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, वैसे तो कानूनी तौर पर अमृतपाल सिंह और शेख अब्दुल राशिद को 18वीं लोकसभा की कार्यवाही में भाग लेने से रोक दिया गया है, फिर भी वे संसद सदस्य के रूप में शपथ लेने का संवैधानिक अधिकार रखते हैं. अब सवाल उठता है कि क्या वे सांसद के रूप में पद की शपथ ले पाएंगे? चुनाव आयोग की ओर से 4 जून को घोषित परिणामों के अनुसार, जेल में बंद सिख धर्मगुरु अमृतपाल सिंह ने खडूर साहिब निर्वाचन क्षेत्र में जीत हासिल की, जबकि इंजीनियर राशिद के नाम से मशहूर शेख अब्दुल राशिद भी कश्मीर के बारामुल्ला में जीते. इंजीनियर राशिद 9 अगस्त, 2019 से कथित तौर पर टेरर फंडिंग के आरोप में तिहाड़ जेल में बंद हैं. वहीं अमृतपाल सिंह पर राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत कार्रवाई की गई है और वह असम की डिब्रूगढ़ जेल में है.
शपथ लेने के बाद जाना होगा वापस
संविधान विशेषज्ञ और पूर्व लोकसभा महासचिव पीडीटी अचारी का कहना है कि चुनाव जीतने के बाद शपथ लेना एक संवैधानिक अधिकार है, लेकिन अगर जीतने वाला उम्मीदवार जेल में है, तो उसे अधिकारियों से शपथ ग्रहण समारोह के लिए संसद ले जाने के लिए कहना चाहिए. शपथ लेने के बाद उन्हें वापस जेल जाना होगा. उन्होंने प्रावधानों को और स्पष्ट करते हुए संविधान के अनुच्छेद 101 (4) का हवाला दिया, जिसमें अध्यक्ष की जानकारी के बिना दोनों सदनों से सांसदों की अनुपस्थिति शामिल है. शपथ ग्रहण समारोह के बाद, अध्यक्ष को सदन से उनकी अनुपस्थिति के बारे में सूचित किया जाएगा. फिर अध्यक्ष सदन की अनुपस्थिति संबंधी समिति को सदन में उपस्थित न होने की उनकी असमर्थता के बारे में सूचित करेंगे. समिति यह सिफारिश करती है कि क्या सांसद को सदन की कार्यवाही में उपस्थित न होने दिया जाना चाहिए. फिर इस सिफारिश को आगे बढ़ाया जाता है और अध्यक्ष की ओर से सदन में मतदान के लिए रखा जाता है.
क्या दोनों अपनी सीट खो देंगे?
अगर इंजीनियर राशिद या सिंह दोषी पाए जाते हैं और उन्हें दो साल की भी जेल होती है, तो वे लोकसभा में अपनी सीट खो देंगे, जैसा कि 2013 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले में कहा गया था कि ऐसे सांसद और विधायक अयोग्य घोषित किए जाएंगे. हालांकि इस फैसले से जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 8(4) को हटा दिया, जिसके तहत दोषी सांसदों और विधायकों को अपने अभियोग के खिलाफ अपील करने के लिए तीन महीने का समय दिया जाता है.
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