Jaipur Rural Lok Sabha Seat: राजस्थान की 25 लोकसभा सीटों में से एक सीट जयपुर ग्रामीण पर जीत-हार का अंतर इतना कम रहा है कि अब इसे लेकर विवाद खड़ा हो गया है. बीजेपी उम्मीदवार राव राजेंद्र सिंह ने कांग्रेस प्रत्याशी अनिल चोपड़ा पर महज 1615 वोटों के मामूली अंतर से जीत हासिल की. कांग्रेस इस हार को पचा नहीं पा रही है और अब उसने जयपुर ग्रामीण लोकसभा सीट पर दोबारा से काउंटिंग की मांग कर दी है. आइए जानते हैं कि आखिर ऐसा कैसे हुआ. 


कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने इस हार पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा, "जयपुर ग्रामीण लोकसभा क्षेत्र में हुए कांटे के मुकाबले में जिस प्रकार से प्रशासन द्वारा दबाव में कार्य किया गया है वह कई सवाल खड़े करता है. काउंटिंग की प्रक्रिया संदेह के घेरे में है और इसकी शिकायत निर्वाचन आयोग को प्रत्याशी एवं पार्टी द्वारा की जा रही है."


उन्होंने आगे कहा, "पोस्टल बैलेट की काउंटिंग पर कई सवाल उठाए जा रहे हैं और परिणाम रोकना कई संदेह उत्पन्न करता है. मैं चुनाव आयोग से मांग करता हूं कि इस सीट पर पारदर्शिता के साथ पुनः काउंटिंग की जाए."






जयपुर ग्रामीण सीट पर क्या हुआ?


चुनाव आयोग के मुताबिक, बीजेपी उम्मीदवार राव राजेंद्र सिंह को 6,17,877 वोट मिले, जबकि कांग्रेस प्रत्याशी अनिल चोपड़ा को 6,16,262 वोट हासिल हुए. शुरुआती राउंड में जब वोटों की काउंटिंग चल रही थी तो चोपड़ा बढ़त बनाए हुए नजर आ रहे थे. वह 11 हजार वोटों से कई राउंड में आगे चलते हुए भी नजर आए. हालांकि, जब आखिरी राउंड की वोटों की गिनती होकर चुनावी नतीजों का ऐलान हुआ तो वह महज 1615 वोटों से हार गए. 


कांग्रेस का आरोप है कि प्रशासन के ऊपर दबाव बनाया गया. उसका कहना है कि यहां पर काउंटिंग के आखिरी चरण में कई वोटों को रद्द कर दिया गया, जिसकी वजह से जीत-हार का अंतर इतना कम हुआ. राजस्थान कांग्रेस महासचिव स्वर्णिम चतुर्वेदी ने कहा कि आखिरी दौर की गिनती में कई वोट रद्द हो गए, इसलिए कुछ नुकसान होने की गुंजाइश है और इसलिए पार्टी ने दोबारा गिनती की मांग उठाई है. 


पार्टी नेताओं ने आरोप लगाया कि पोस्टल बैलेट में कुछ गड़बड़ी हुई और प्रशासन बीजेपी के साथ नजर आया. निर्वाचन अधिकारियों ने केवल संख्याएं जोड़ीं और कोई पुनर्गणना नहीं की. कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने पोलिंग बूथ को घेर फिर से काउंटिंग की मांग की. वे धरने पर भी बैठ गए. राजस्थान कांग्रेस प्रमुख गोविंद सिंह डोटासरा ने हस्तक्षेप भी किया, लेकिन उन्हें मतगणना केंद्र में जाने की इजाजत नहीं दी गई.


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