बिहार, महाराष्ट्र और बंगाल में सीट शेयरिंग को लेकर I.N.D.I.A में हलचल, ममता बनर्जी के बयान ने बढ़ाई कांग्रेस की टेंशन
Lok Sabha Election 2024: आगामी लोकसभा चुनाव से पहले इंडिया गठबंधन के लिए सीट शेयरिंग चुनौती बनी हुई. खासकर बिहार, पश्चिम बंगाल, पंजाब और महाराष्ट्र में.
Lok Sabha Election 2024: बाजरे की रोटी और सरसों का साग खाकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी पीएम मोदी की सियासत को चुनौती देने रिंग में उतर जरूर गए, लेकिन वह यह नहीं जानते थे कि उन्हें इंडिया गठबंधन में शामिल अपने साथी दलों से भी निपटना पड़ेगा. ऐसा इसलिए क्योंकि जिस समय वह पहलवानों के साथ दंगल लड़ रहे थे. उस समय राहुल के दिल्ली वाले घर से महज तीन किलोमीटर की दूरी पर आरजेडी कार्यकर्ता देश का पीएम कैसा हो,नीतीश कुमार जैसा हो जैसे नारे लगा रहे थे.
बिहार में ललन सिंह को पार्टी अध्यक्ष पक्ष से हटाकर नीतीश कुमार खुद पार्टी प्रमुख बन गए हैं. इसको लेकर भी अलग-अलग थ्योरी सामने आ रही हैं. हालांकि, इतना जरूर है, अब नीतीश कुमार इंडिया गठबंधन के साथ अपने हिसाब से सीट तय कर सकेंगे.
इस संबंध में बिहार विधानसभा नेता प्रतिपक्ष विजय सिन्हा का कहना है कि लालू यादव जेडीयू तोड़कर तेजस्वी को सीएम बनाना चाहते हैं. अब ललन सिंह लालू के करीबी हो गए हैं. इसी घबराहट में जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद से ललन को हटा दिया गया.
वहीं, बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव का कहना है कि जिस तरीके से बिहार में महागठबंधन सरकार चला रही है, उससे बीजेपी बौखला गई है. जब बिहार में महागठबंधन ने मिलकर चुनाव लड़ा था, तब भी बीजेपी को बुरी तरह से हरा दिया था.
बिहार में लोकसभा की 40 सीटें
गौरतलब है कि बिहार में लोकसभा की 40 सीट हैं. 2019 के चुनाव में जेडीयू और बीजेपी साथ लड़े थे. वहीं लोक जनशक्ति पार्टी भी छह सीट पर लड़ी थी. 2019 में बिहार में कांग्रेस ने महज एक सीट जीती थी और उसे सिर्फ 7.9 फीसदी वोट मिला था. हालांकि, इस बार जेडीयू और आरजेडी साथ हैं और इसी गठबंधन में कांग्रेस भी शामिल है.
कांग्रेस ने 9 सीटों पर ठोका दावा
नीतीश के पार्टी अध्यक्ष बनते ही कांग्रेस ने दबाव की राजनीति शुरू कर दी. इस दौरान सीट शेयरिंग को लेकर अपनी अलग मीटिंग की और नौ सीटों पर दावा ठोंक दिया. हालांकि, सवाल यह है कि क्या गठबंधन के नेता मानेंगे और अगर मानेंगे तो कुर्बानी कौन देगा ?
इस संबंध में बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह ने कहा कि हम पिछली बार (2019 में) 9 सीटों पर चुनाव लड़े थे. उन्होंने ये भी कहा कि तब गठबंधन में जेडीयू नहीं थी. इस बार एक-दो सीटें कम-ज्यादा हो सकती हैं.
पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी ने कांग्रेस को किया किनारे
वहीं, पश्चिम बंगाल में भी सीट शेयरिंग का पेंच फंसता नजर आ रहा है. यहां लेफ्ट और कांग्रेस गठबंधन का हिस्सा हैं. इस बीच ममता बनर्जी ने कहा कि टीएमसी पश्चिम बंगाल में किसी के साथ गठबंधन नहीं करेगी. इंडिया अलायंस देशभर में बीजेपी के खिलाफ लड़ेगा, जबकि बंगाल में बीजेपी के खिलाफ लड़ाई का नेतृत्व टीएमसी करेगी.
बता दें कि 2019 में तृणमूल कांग्रेस को 18 सीट पर जीत मिली थी, जबकि बीजेपी ने 22 सीटों पर कब्जा जमाया था और कांग्रेस को महज दो सीट ही मिली थीं. इस परफॉर्मेंस के आधार पर कांग्रेस पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी से बातचीत कर रही है.
कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी का कहना है कि वह बार–बार ममता बनर्जी और बीजेपी को हरा कर जीतते आए हैं. जरूरत पड़ी तो वह आगे भी ऐसा करेंगे. उन्होंने कहा, "मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता. गठबंधन किसके साथ होगा. पार्टी नेतृत्व की समझ पर निर्भर करता है. मैंने पार्टी को अपना फीडबैक दे दिया है."
महाराष्ट्र में कांग्रेस के लिए खतरे की घंटी
इतना ही नहीं महाराष्ट्र और पंजाब में भी सियासी गठजोड़ वाला गणित कांग्रेस के लिए खतरे की घंटी बजा रहा है. उद्धव ठाकरे की शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस यहां अलायंस में है, लेकिन संजय राउत का मानना है कि महाराष्ट्र में कांग्रेस को ग्राउंड जीरो से शुरुआत करनी पड़ेगी और वह अपना हिस्सा भी नहीं छोड़ेगी.
पिछले लोकसभा चुनाव में शिवसेना और बीजेपी महाराष्ट्र में मिलकर लड़े थे. यहां बीजेपी ने 23 और शिवसेना ने 18 सीट जीती थीं. दूसरी तरफ अलायंस में शामिल NCP को 4 और कांग्रेस को एक सीट पर ही जीत मिली थी. बाकी एक सीट इंडिपेंडेंट और दूसरी ओवैसी की पार्टी ने जीती थी. हालांकि, अब हालात बदल चुके हैं और कांग्रेस शिवसेना को अतीत में नहीं बल्कि वर्तमान के हिसाब चलने की नसीहत दे रही है.
2019 में बदल गए हैं हालात
कांग्रेस नेता संजय निरुपम का कहना है कि 2019 वाली सिचुएशन नहीं है. शिवसेना टूट गई है. सब बिखर गए हैं. 138 साल पुरानी पार्टी को क्षेत्रीय दल के नेता सलाह और नसीहत दे रहे ये बचकानी बात है. शिवसेना को कांग्रेस की जरूरत है. एक साथ लड़ने की जरूरत है वरना हार जाएंगे.
पंजाब में केजरीवाल की नजर
बिहार, बंगाल और महाराष्ट्र में लोकसभा की 130 सीटें हैं, लेकिन तीनों ही जगह सीट शेयरिंग पर कांग्रेस की कोई सुनने को तैयार नहीं. यही हाल पंजाब का भी है. यहां केजरीवाल की पार्टी 13 सीटों का मोह नहीं छोड़ रही है. पिछली बार कांग्रेस ने 8 सीटें जीती थीं. यानी चार राज्यों की 143 सीट में कांग्रेस की हालत न तीन में है..न तेरह में.
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