Lok Sabha Election Survey: लोकसभा चुनाव 2024 को लक्ष्य बनाकर बीजेपी-कांग्रेस और सभी राजनीतिक पार्टियां चुनावी रणनीतियों और कार्यक्रमों को अंजाम दे रही हैं क्योंकि चुनावी महाकुंभ के लिए सालभर का समय बहुत ज्यादा नहीं है. हाल-फिलहाल हुए चुनावी सर्वे के नतीजे बीजेपी और उसकी अगुवाई वाले एनडीए के पक्ष ज्यादा दिखे. सर्वे के नतीजे जैसे भी हों, मनोबल बढ़ाने और गिराने का काम करते हैं. 


2014 के बाद, 2019 में भी बीजेपी शीर्ष सत्ता पर काबिज हुई और क्या लगातार तीसरी बार वह सरकार बनाएगी, इस सवाल का जवाब भविष्य की गर्भ में है लेकिन पिछले चुनावी विश्लेषण बताते हैं कि पार्टी ने एक खास वोट बैंक पर ध्यान केंद्रित किया, उसके लिए रणनीति पर काम किया और नतीजों ने उसे फायदा पहुंचाया, जिसकी परिणति उसे सत्ता के शिखर तक पहुंचाने में हुई. यह वोट बैंक किसी और का नहीं, कांग्रेस और राजनीतिक दलों के हिस्से में हुआ करता था. आइए जानते हैं कि कांग्रेस और क्षेत्रीय दलों का कौन सा और कितना वोट बैंक हथियाने के बाद बीजेपी सत्‍ता के शिखर पर पहुंची.


सीएसडीएस के एक चुनावी सर्वे से पता चलता है कि बीजेपी ने गरीब सामाजिक-आर्थिक वर्ग और निम्न सामाजिक-आर्थिक वर्ग के मतदाताओं पर ध्यान केंद्रित किया, जिसका उसे लाभ मिला. सर्वे के मुताबिक, बीजेपी के लिए गरीब समाजिक-आर्थिक वर्ग का समर्थन 2009 के 2019 के दरम्यान डबल हो गया. 2009 में बीजेपी को इस वर्ग का 16 फीसदी समर्थन प्राप्त था जो 2019 में बढ़कर 36 फीसदी हो गया. इस समर्थन का करीब आधा हिस्सा कांग्रेस और आधा क्षेत्रीय दलों को जाने वोट बैंक से बीजेपी के पक्ष में आया. 


क्या कहते हैं आंकड़े?


2009 में गरीब समाजिक-आर्थिक वर्ग कांग्रेस के लिए समर्थन 27 फीसदी था जबकि बीजेपी के लिए 16 फीसदी था. 2014 के चुनाव में वोट बैंक बीजेपी की ओर खिसका और कांग्रेस के पक्ष में यह 24 फीसदी रह गया जबकि बीजेपी के पक्ष में 20 फीसदी आ गया. इससे पता चलता है कि कांग्रेस को तीन फीसदी का नुकसान हुआ तो बीजेपी को चार फीसदी का फायदा हुआ. 2019 के चुनाव में इस वर्ग से कांग्रेस के लिए समर्थन 17 फीसदी रह गया जबकि बीजेपी के लिए यह बढ़कर 36 फीसदी हो गया. 2009 से 2019 तक कांग्रेस 27 फीसदी से 17 पर आ गई और बीजेपी 16 से 36 फीसदी पर पहुंच गई. इस हिसाब से बीजेपी को डबल से भी ज्यादा का फायदा हुआ. 


निम्न सामाजिक-आर्थिक वर्ग का बीजेपी को मिला साथ


निम्न सामाजिक-आर्थिक वर्ग के वोट बैंक के मामले में, 2009 में कांग्रेस के पक्ष में यह 29 फीसदी था तो बीजेपी के पास 19 फीसदी था. 2014 में कांग्रेस का यह वोट बैंक खिसककर 19 फीसदी पर आ गया और बीजेपी का बढ़कर 31 फीसदी हो गया. 2019 में मामूली बढ़त के साथ काग्रेस के पाले में यह 21 फीसदी रहा और बीजेपी के पक्ष में बढ़कर 36 फीसदी हो गया. आंकड़े से साफ है कि कांग्रेस 29 से 21 फीसदी पर आ गई और बीजेपी 19 से 36 फीसदी पर पहुंच गई. लगभग दोगुने का बीजेपी को फायदा हुआ. 


बीजेपी की इन योजनाओं ने खींचा वोट बैंक


गरीब सामाजिक-आर्थिक वर्ग और निम्न सामाजिक-आर्थिक वर्ग के बीजेपी के वोट बैंक में इजाफे के पीछे इन वर्गों के लिए पार्टी की नीतियां और योजनाएं बताई जाती हैं, जिनमें आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को बिजली, नल का पानी, पक्के घर, उज्ज्वला योजना के तहत रसोई गैस, आयुष्मान योजना के तहत इलाज, प्रधानमंत्री किसान निधि योजना के तहत कृषि सहायता और पीएम गरीब कल्याण योजना के तहत लाभ आदि शामिल बताए जाते हैं.


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