Lok Sabha Elections: अमेठी-रायबरेली नामांकन के लिए तैयार! पर्दे के पीछे गांधी परिवार ने कर ली बड़ी तैयारी
Lok Sabha Elections 2024: कांग्रेस नेता केएल शर्मा ने रायबरेली और अमेठी में पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ मीटिंग्स के बाद उनसे नामांकन की तैयारी में जुटने के लिए कहा है.
Lok Sabha Elections 2024: उत्तर प्रदेश की हाईप्रोफाइल सीटों अमेठी और रायबरेली पर उम्मीदवारों को लेकर जारी अटकलों के बीच कांग्रेस के लिए आज फैसले का दिन है. दोनों ही सीटों पर आज नामांकन पत्र दाखिल करने की तैयारी कर ली गई है. हालांकि कांग्रेस ने अभी तक औपचारिक रूप से इन सीटों पर पत्ते नहीं खोले हैं. हालांकि बीजेपी ने उत्तर प्रदेश के मंत्री दिनेश प्रताप सिंह को रायबरेली सीट से मैदान में उतारा है.
दिनेश सिंह ने साल 2019 का चुनाव रायबरेली से बीजेपी उम्मीदवार के तौर पर लड़ा था, जबकि बीजेपी ने स्मृति ईरानी को अमेठी लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया है. दरअसल, लोकसभा चुनाव के पांचवें चरण में 20 मई को अमेठी और रायबरेली दोनों सीटों में वोटिंग होगी और नामांकन करने की आखिरी तारीख आज खत्म हो जाएगी.
कार्यकर्ताओं को तैयारी में जुटने के दिए निर्देश- केएल शर्मा
रायबरेली में सोनिया गांधी के लोकसभा प्रतिनिधि रहे कांग्रेस नेता केएल शर्मा ने रायबरेली और अमेठी में पार्टी कार्यालयों में कार्यकर्ताओं के साथ बैठकें कीं. उन्होंने कार्यकर्ताओं से नामांकन की तैयारी में जुटने के लिए कहा है. उधर, सोनिया गांधी के प्रतिनिधि केएल शर्मा का कहना है कि हमने पहले ही अनुरोध किया है कि राहुल गांधी और प्रियंका गांधी दोनों को दो सीटों से चुनाव लड़ना चाहिए. इसके लिए हम तैयारी कर रहे हैं, उम्मीद है कि पार्टी उन्हें मैदान में उतारेगी.
सपा कार्यकर्ताओं के साथ AICC महासचिव करेंगे बैठक
बुधवार को रायबरेली पहुंची कांग्रेस की लीगल टीम ने गुरुवार को अमेठी का भी दौरा किया और नामांकन की तैयारियों को अंतिम रूप दिया. इस दौरान एआईसीसी के महासचिव और यूपी के प्रभारी अविनाश पांडे भी समाजवादी पार्टी के नेताओं के साथ बैठक करने के लिए आज अमेठी में रहेंगे.
जिला प्रशासन से ली रोड शो की परमिशन
ऐसे भी संकेत हैं कि पार्टी दोनों जगहों पर रोड शो की योजना बना रही है और बड़े कार्यक्रमों के लिए फूलों की व्यवस्था की गई है. रायबरेली में जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पंकज तिवारी ने कहा कि हमने रोड शो के लिए अनुमति ले ली है. इसके लिए हमने कार्यकर्ताओं को सुबह 9.30 बजे रायबरेली में कांग्रेस के केंद्रीय कार्यालय में बुलाया है और सभी व्यवस्थाएं की हैं. उम्मीद है कि नेहरू-गांधी परिवार का कोई सदस्य नामांकन करेगा.
कार्यक्रम के लिए फूलों और मालाओं का हो रहा इंतजाम
इस बीच अमेठी जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष प्रदीप सिंघल का कहना है कि हमने अपने कार्यकर्ताओं को नामांकन के लिए गौरीगंज स्थित पार्टी कार्यालय में बुलाया है. इसके लिए हम रोड शो के लिए तैयारी कर रहे हैं और बड़े कार्यक्रम के लिए फूलों और मालाओं की व्यवस्था कर रहे हैं.
कांग्रेस का गढ़ कैसे बनी रायबरेली?
नेहरू-गांधी परिवार सालों से रायबरेली और अमेठी दोनों लोकसभा सीटों से जुड़ा हुआ है, इसलिए स्थानीय लोग भी यहां के विकास पर उत्सुकता से नजर रखते हैं. रायबरेली में कांग्रेस का 1952 से दबदबा रहा है. 1952 में हुए भारत के पहले आम चुनाव में फिरोज गांधी ने रायबरेली से चुनाव लड़ा था. वह 1957 का आम चुनाव भी इस सीट से जीते थे. इसके बाद पूर्व पीएम इंदिरा गांधी ने 1967 में पहली बार रायबरेली लोकसभा सीट जीती. उसके बाद इंदिरा गांधी ने 1971 में फिर से सीट जीती. हालांकि, वह 1977 में राज नारायण से चुनाव हार गईं थी.
2004 में रायबरेली से सोनिया गांधी ने किया प्रतिनिधित्व
साल 1980 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने यह सीट छीन ली, जबकि 1999 में अपना पहला लोकसभा चुनाव अमेठी से जीतने वाली सोनिया गांधी 2004 में रायबरेली चली गईं और जीत हासिल की. उन्होंने 2006 (उपचुनाव), 2009, 2014 और 2019 में भी सीट जीती. इसके लिए उन्होंने अब राजस्थान के रास्ते राज्यसभा का रास्ता अपनाया. तभी से अटकलें लगाई जा रही थीं कि प्रियंका गांधी या राहुल गांधी में से कोई एक 2024 का चुनाव रायबरेली से लड़ेगा.
हालांकि, कांग्रेस परिवार के साथ अमेठी का संबंध 1977 से खोजा जा सकता है, जब इंदिरा गांधी के छोटे बेटे संजय गांधी ने इस सीट से चुनाव लड़ा था और हार गए थे, लेकिन इसके बाद संजय गांधी ने 1980 में सीट जीती. इसके बाद 1980 में संजय की मौत के बाद 1981 में हुए उपचुनाव में राजीव गांधी ने सीट जीती थी.
1984 में मेनका को हराकर राजीव गांधी ने जीती थी सीट
इंदिरा गांधी की हत्या के बाद पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने 1984 के लोकसभा चुनाव में मेनका गांधी को हराकर फिर से सीट जीती. उन्होंने 1989 में ये सीट अपने पास बरकरार रखी, हालांकि उनकी पार्टी केंद्र में सत्ता खो बैठी. 1991 में वह फिर से जीते. 21 मई 1991 को उनकी हत्या से पहले अमेठी में मतदान हुआ था, जबकि, साल 1991 में राजीव गांधी की मौत के कारण हुए उपचुनाव में कैप्टन सतीश शर्मा ने कांग्रेस से सीट जीती थी.