BJP Amendment To The Constitution: लोकसभा चुनाव 2024 से पहले राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में रविवार (18 फरवरी) को भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के राष्ट्रीय सम्मेलन में पार्टी के संविधान में संशोधन किया गया. अब बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का कार्यकाल बढ़ाने या घटाने के लिए संसदीय बोर्ड परिस्थिति के हिसाब से फैसला कर सकता है. ये प्रस्ताव बीजेपी महासचिव सुनील बंसल लेकर आए थे.
बीजेपी ने अपने संविधान में संशोधन करके पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और संसदीय बोर्ड की पावर को बढ़ा दिया है. संसदीय बोर्ड में किसी नए सदस्य को लेकर आने या हटाने के फैसले का अधिकार पार्टी के अध्यक्ष को दिया गया है. हालांकि अध्यक्ष के फैसलों को बाद में मंजूरी के लिए संसदीय बोर्ड की बैठक में रखा जाएगा.
कैसे होता है बीजेपी अध्यक्ष का चुनाव?
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, पार्टी अध्यक्ष का चुनाव आम तौर पर संगठनात्मक चुनावों के माध्यम से किया जाता रहा है. बीजेपी में राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव निर्वाचक मंडल की ओर से किया जाता है, जिसमें राष्ट्रीय परिषद के सदस्य और प्रदेश परिषदों के सदस्य शामिल होते हैं. पार्टी संविधान में यह भी लिखा है कि निर्वाचक मंडल में से कोई भी बीस सदस्य राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के चुनाव लड़ने वाले व्यक्ति के नाम का संयुक्त रूप से प्रस्ताव कर सकते हैं.
यह संयुक्त प्रस्ताव कम से कम ऐसे पांच प्रदेशों से आना जरूरी है जहां राष्ट्रीय परिषद के चुनाव संपन्न हो चुके हों. सूत्रों ने कहा कि जब पार्टी विधानसभा या लोकसभा चुनावों की तैयारी में व्यस्त होती है, तो आंतरिक चुनावों के लिए निर्धारित प्रक्रिया का पालन करना कठिन होता है.
मौजूदा अध्यक्ष जेपी नड्डा का कार्यकाल लोकसभा चुनाव के मद्देनजर 30 जून तक बढ़ाया गया है. हालांकि पार्टी ने संशोधन के पीछे के विवरण और तर्क पर विस्तार से नहीं बताया है लेकिन सूत्रों ने कहा कि भविष्य में संभवतः अपने अध्यक्षों की नियुक्तियों के लिए यह संशोधन किया गया हो.
बीजेपी अध्यक्ष की बढ़ाई पावर
संविधान में संशोधन करके पार्टी ने अपने अध्यक्ष की पावर को बढ़ा दिया है. साथ ही पार्टी के पुराने नियमों को हल्का कर दिया गया है. बीजेपी के पुराने नियम के मुताबिक, एक व्यक्ति सिर्फ दो बार ही फुल टाइम बीजेपी का राष्ट्रीय अध्यक्ष रह सकता था और दोनों बार ही चुनावी प्रक्रिया को पूरा करना होता था. हालांकि अभी ये साफ नहीं है कि संशोधन के बाद किसी नेता को दो बार ही पार्टी अध्यक्ष बनाया जा सकता है या फिर उससे ज्यादा मौका देने का प्रावधान रखा गया है.
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