Hyderabad Lok Sabha Seat: तेलंगाना के हैदराबाद का लोकसभा चुनाव 2024 इस बार बदला-बदला नजर आ रहा है. जो असदुद्दीन ओवैसी हमेशा कांग्रेस के खिलाफ दिखाई देते थे, राहुल गांधी पर तीखे हमले करते थे और सीएम रेवंत रेड्डी को आरएसएस का एजेंट बताते थे उन्हीं एआईएमआईएम चीफ के सुर अब बदले-बदले सुनाई पड़ रहे हैं. इस बार दोनों के बीच केमिस्ट्री बदल गई है. दोनों साथ-साथ इफ्तार में जा रहे हैं. एक दूसरे का मुंह मीठा करा रहे हैं. एक दूसरे की तारीफ भी कर रहे हैं.
राजनीति में रिश्ते मौके और जरूरत से तय होते हैं. न कोई परमानेंट दोस्त होता है, न परमानेंट दुश्मन. तेलंगाना में विधानसभा चुनाव हुए अभी 6 महीने भी नहीं बीते हैं. तब केसीआर की पार्टी BRS के साथ रहे ओवैसी कांग्रेस पर चुन-चुन कर हमले कर रहे थे. अब ओवैसी का दिल बदल गया है. इसके पीछे है हैदराबाद का चुनावी गणित. जिसे बीजेपी ने पूरी तरह बदल दिया है. अब ओवैसी और कांग्रेस एक दूसरे के करीब दिखाई देने लगे हैं. अब दोनों एक दूसरे की शान में कसीदे पढ़ रहे हैं. हाथ में हाथ डाल कर आगे बढ़ने की बातें कह रहे हैं.
'मैं भी AIMIM को नहीं हरा पाया'
तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने असदुद्दीन की शान में कसीदे पढ़ते हुए कहा, “यहां से आप लोगों की मदद से ओवैसी और उनके एमएलए जीत कर आ रहे हैं. मैं भी नहीं हरा पाया. चुनाव खत्म होने के बाद सोचा कि हैदराबाद को डेवलप करना है तो एआईएमआईएम को साथ लेकर चलने के लिए हमलोग कोशिश किए.”
'कांग्रेस को पूरी मदद मिलेगी'
वहीं, एआईएमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने कांग्रेस को समर्थन देने की बात करते हुए कहा, “तेलंगाना में गंगा जमुनी तहजीव और मजबूत होगी. हमारी पार्टी की तरफ से आपको पूरी मदद मिलेगी. नफरत पैदा करने वालों से हिफाजत करना है.”
हैदराबाद के किले की चाबी असदुद्दीन ओवैसी के पास?
पिछला विधानसभा चुनाव बेशक कांग्रेस ने जीता लेकिन हैदराबाद के सियासी किले की चाबी पिछले करीब चालीस साल से ओवैसी परिवार के पास रही है. जहां से ओवैसी ताल ठोक रहे हैं लेकिन इस बार तस्वीर बदली बदली दिखाई दे रही है. मौका इफ्तार का था. जहां हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी और तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी दोनों ने एक दूसरे के लिए दिल का दरवाज़ा खोल दिया.
कांग्रेस और ओवैसी ने क्यों बदली रणनीति?
सियासत में एक दूसरे की कट्टर विरोधी रही कांग्रेस और AIMIM का दिल बदलने के पीछे है हैदराबाद की सीट. जहां से ओवैसी पांचवीं बार अपनी जीत पक्की मान रहे थे लेकिन बीजेपी ने अपनी फायरब्रांड नेता माधवी लता को मैदान में उतारकर गेम फंसा दिया. इसी के बाद कांग्रेस और ओवैसी की रणनीति बदलने लगी. कांग्रेस हैदराबाद सीट से मोहम्मद फिरोज खान को टिकट देने की तैयारी में थी लेकिन बताते हैं कि ऐन वक्त पर ऐलान रोक दिया गया.
बताया जा रहा है कि मोहम्मद फिरोज को टिकट देने पर मुस्लिम वोट कांग्रेस और AIMIM के बीच बंट सकता है. ऐसा हुआ तो बीजेपी को फायदा होगा, जो न कांग्रेस चाहती है और न असदुद्दीन ओवैसी. कांग्रेस और अवैसी के बीच गठजोड़ का कोई आधिकारिक ऐलान नहीं हुआ है लेकिन कांग्रेस के फिरोज को टिकट कटने का खतरा सता रहा है. फिरोज कांग्रेस और AIMIM से नाराज़ हैं तो बीजेपी ने भी इन दोनों के खिलाफ हमले तेज़ कर दिए हैं.
बीजेपी उम्मीदवार माधवी लता ने कहा, “हम उम्मीद करते हैं कि दोनों पार्टियां अलग-अलग उम्मीदवार उतारेंगी और चुनाव तीनों उम्मीदवारों के बीच होना चाहिए. यहां आपकी सरकार है फिर भी आप AIMIM के साथ अनॉफिशियल गठबंधन कर रहे हैं. AIMIM वोट के लिए कांग्रेस की ताकत का अनधिकृत और अवैध रूप से इस्तेमाल करना चाहती है. हम ऐसा नहीं होने देंगे. दोनों पार्टियों AIMIM और कांग्रेस को मेरा यही जवाब है.”
'कांग्रेस-ओवैसी को जनता मुंहतोड़ जवाब दे'
तेलंगाना बीजेपी अध्यक्ष जी किशन रेड्डी ने कहा, “आज औवैसी के खिलाफ कांग्रेस पार्टी ने तय किया है कि औवैसी को समर्थन करके उन्हें जिताएगी. जनता से आह्वान करता हूं कि आने वाले चुनावों में बीजेपी को जिताकर इन्हें मुंहतोड़ जवाब दे. जब BRS सत्ता में थी तो मजलिस उनके साथ थी और आज औवैसी के खिलाफ कांग्रेस पार्टी ने तय किया है कि औवैसी को समर्थन करके उन्हें जीताएगी. हैदराबाद की जनता से कहना चाहूंगा कि BRS, कांग्रेस और ओवैसी की पार्टी का DNA एक ही है. तीनों मिलकर हिंदुओं के खिलाफ काम करते हैं.”
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