2024 के सियासी इक्वेशन में बीजेपी के लिए क्यों जरूरी है पसमांदा मुसलमान? UCC का निकाल लिया तोड़
Uniform Civil Code: अगले साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक पार्टियां तैयारियों में लगी हुई हैं. इसी क्रम में बीजेपी पसमांदा मुसलमानों को लुभाने में लग गई है.
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Lok Sabha Elections: 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी अपने सियासी समीकरण साधने में जुटी हुई है. इस बीच बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा पसमांदा समाज को लेकर गुरुवार (13 जुलाई) को बीजेपी राष्ट्रीय मुख्यालय में बैठक कर रहा है. जहां पसमांदा समाज को लेकर रणनीति बनाई जा रही है.
जानकारी के मुताबिक, बीजेपी पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम की पुण्यतिथि पर बड़े कार्यक्रम लॉन्च करने की तैयारी में है. इस बैठक में समान नागरिक संहिता को लेकर भी चर्चा होगी. बीजेपी के अल्पसंख्यक मोर्चे की कोशिश है कि समान नागरिक संहिता को लेकर फैलाए जा रहे भ्रम को दूर कर मुस्लिम समाज के बीच सच को पहुंचाया जाए.
क्या है बीजेपी का प्लान?
बैठक से पहले अल्पसंख्यक मोर्चे के अध्यक्ष जमाल शिद्दक़ी ने कहा, ''पार्टी के राष्ट्रीय मुख्यालय में हो रही बैठक पसमांदा समाज के विकास को लेकर रणनीति बनाने पर हो रही है. पार्टी की कोशिश है कि पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम की पुण्यतिथि पर एक कार्यक्रम की शुरुआत हो. इस बैठक में समान नागरिक संहिता को लेकर भी चर्चा होगी.''
बीजेपी ने रणनीति बदलते हुए पसमांदा मुसलमानों को लुभाने की कोशिश की है. पसमांदा मुस्लिम- दलित और बैकवर्ड मुस्लिम माने जाते हैं. पसमांदा समुदाय काफी समय से सरकारी नौकरियों में कोटा मांगता रहा है. कई राज्य सरकारों ने पसमांदा यानी गरीब मुसलमानों को कोटा भी दिया है. कुल वोट में मुस्लिम 15 फीसदी माना जाता है. अगर 10वां हिस्सा भी भाजपा को वोट देता है तो यह कुल वोट का 1.5 प्रतिशत होगा.
पार्टी के कई उम्मीदवार कुछ चुनाव 1 प्रतिशत से भी कम मार्जिन से हारे जाते हैं. ऐसे में यह रणनीति बीजेपी के लिए महत्वपूर्ण हो सकती है. समझा जा रहा है कि 2024 के आम चुनाव में बीजेपी ज्यादा पसमांदा मुस्लिमों को टिकट दे सकती है, लेकिन उससे पहले समान नागरिक संहिता को लेकर मुस्लिम समाज में कई भ्रम पल रहे हैं, जिन्हें दूर करने की कोशिश की जाएगी.
बीजेपी का मानना है इस भ्रम को समय रहते दूर करना ज़रूरी है, ऐसे में अल्पसंख्यक मोर्चा इसमें बड़ी भूमिका निभा सकता है.
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