Lok Sabha Elections 2024: राहुल गांधी, अरविंद केजरीवाल और अखिलेश यादव के खिलाफ नहीं चलेगा मुकदमा, कोर्ट ने खारिज की ये याचिका, जानें माजरा
PIL Against Opposition Leaders: दिल्ली हाई कोर्ट में इस याचिका को सामाजिक कार्यकर्ता होने का दावा करने वाले सुरजीत सिंह यादव ने डाला था, जिसे कोर्ट ने बंद कर दिया.
PIL Against INDIA Alliance Leaders: दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार (20 मार्च) को उस जनहित याचिका को खारिज कर दिया जिसमें कांग्रेस नेता राहुल गांधी, आम आदमी पार्टी (आप) संयोजक अरविंद केजरीवाल और समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव के खिलाफ मुकदमा चलाने के निर्देश देने की मांग की गई थी. याचिका में चुनाव आयोग और गृह मंत्रालय को शिकायत दर्ज करने और इन राजनेताओं के खिलाफ नुकसान पहुंचाने के इरादे से कथित रूप से भ्रामक और झूठे बयान देने के लिए मुकदमा चलाने की अपील की गई थी.
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली हाई कोर्ट में इस याचिका को सामाजिक कार्यकर्ता होने का दावा करने वाले सुरजीत सिंह यादव ने डाला था, जिसे जस्टिस मनमोहन और जस्टिस मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की पीठ ने बंद कर दिया. याचिका के मुताबिक, राहुल गांधी, अरविंद केजरीवाल और अखिलेश यादव ने दावा किया कि सरकार ने बड़े उद्योगपितयों के लगभग 16 लाख करोड़ रुपये के कर्ज को माफ कर दिया गया.
क्या कहा कोर्ट ने?
कोर्ट ने ये कहते हुए याचिका को खारिज कर दिया कि भारत के वोटर्स के दिमाग को कम नहीं आंका जा सकता और वो जानते हैं कि कौन सच बोल रहा और कौन झूठ. कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि देश की जनता भी जानती है कि कौन उन्हें गुमराह कर रहा है. कोर्ट ने कहा, “कोई गुमराह करता है, कोई गुमराह नहीं करता है, ये फैसला लोगों को लेने दीजिए. भारत के मतदाताओं को कम मत आंकिए.”
एक्टिंग चीफ जस्टिस मनमोहन ने कहा कि अगर कोई उद्योगपति या कोई अन्य विपक्षी नेताओं के बयान से परेशान है तो उनके पास अदालत का रुख करने और जरूरी कार्रवाई करने का साधन है. ऐसे में किसी तीसरे पक्ष की ओर से जनहित याचिका की जरूरत नहीं है.
किसने और क्यों डाली थी ये याचिका
यह याचिका सुरजीत सिंह नाम के शख्स ने दायर की थी. उन्होंने एक सामाजिक कार्यकर्ता और किसान होने का दावा किया और कहा कि विपक्ष के राजनेताओं के ऐसे बयानों से भारत की नकारात्मक छवि बनी है और देश के साथ-साथ केंद्र सरकार की विश्वसनीयता भी कम हुई. उन्होंने ये भी दावा किया कि ये बयान विदेशी निवेश और पर्यटन को प्रभावित कर सकते हैं और अराजकता को बढ़ावा दे सकते हैं.
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