Election Commission: चुनाव आयोग ने 15 मई को हल्दिया में आयोजित एक सार्वजनिक बैठक को संबोधित करते हुए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ की गई टिप्पणी के लिए बीजेपी उम्मीदवार अभिजीत गंगोपाध्याय को कारण बताओ नोटिस जारी किया. उनकी टिप्पणियां मॉडल कोड ऑफ कन्डक्ट के नियमों और 1 मार्च, 2024 की चुनाव आयोग का उल्लंघन करने वाली पाई गईं.


इस दौरान चुनाव आयोग ने अपने नोटिस में कहा है कि सावधानीपूर्वक जांच करने पर टिप्पणी अशोभनीय, अपमानजनक और हर मायने में गरिमा से परे है. ऐसे में प्रथम दृष्टया आदर्श आचार संहिता के प्रावधानों और चुनाव आयोग की 1 मार्च 2024 की सलाह का उल्लंघन करने वाली पाई गई है. हालांकि, इस मामले में चुनाव आयोग ने बीजेपी उम्मीदवार अभिजीत गंगोपाध्याय से 20 मई तक जवाब मांगा है.


'मुझे ममता बनर्जी के पूरी तरह से महिला होने पर संदेह'- अभिजीत गंगोपाध्याय


दरअसल, बीते दिन कलकत्ता हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस से राजनेता बने अभिजीत गंगोपाध्याय का विवादित बयान सामने आया था. जिसमें उन्होंने बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर निशाना साधते हुए कहा था कि  मुझे आपके (ममता बनर्जी) पूरी तरह से महिला होने पर संदेह है. इसके आगे वो कहते हैं कि तो ममता बनर्जी जी, आपकी कीमत क्या है, 10 लाख रुपये? क्या इसलिए क्योंकि आप अपना मेकअप एक प्रसिद्ध ब्यूटी थेरपिस्ट से कराती हैं.


अभिजीत गंगोपाध्या के इस बयान पर टीएमसी ने निशाना साधा है और उसे बेहूदा टिप्पणी करार दिया और इसको लेकर टीएमसी ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर शिकायत की थी.


 






कौन हैं बीजेपी उम्मीदवार अभिजीत गंगोपाध्याय? 


दरअसल, कलकत्ता हाई कोर्ट में जस्टिस से बीजेपी उम्मीदवार बने अभिजीत गंगोपाध्याय तब सुर्खियों में आए जब उन्होंने कलकत्ता हाई कोर्ट के सहकर्मी जस्टिस सौमेन सेन पर "राज्य में एक राजनीतिक दल के लिए काम करने" का आरोप लगाया. ये आरोप उन्होंने तब लगाया था जब एक डिवीजन बेंच का हिस्सा रहे जस्टिस सौमेन सेन ने पुलिस को एक केस से जुड़े दस्तावेज को सीबीआई को सौंपने के अपने आदेश पर रोक लगा दी थी. ये मामला राज्य में एमबीबीएस एडमिशन में कथित 'अनियमितताओं' के बारे में था.


बता दें कि हाई कोर्ट में वकालत करने वाले जस्टिस गंगोपाध्याय 2 मई, 2018 को अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में कलकत्ता हाई कोर्ट में शामिल हुए थे. हाई कोर्ट की वेबसाइट के अनुसार उन्हें 30 जुलाई, 2020 को स्थायी न्यायाधीश के रूप में प्रमोशन किया गया था.


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