Lok Sabha Elections 2024: विपक्षी गठबंधन इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस (इंडिया) लोकसभा चुनाव 2024 में नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस (एनडीए) से लोहा लेने के लिए मगर मौजूदा समय में वह भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेतृत्व वाले गठजोड़ को केक वॉक (आसान सा टास्क या उपलब्धि) देता नजर आया है.
दरअसल, एक के बाद एक कुल तीन घटनाक्रमों ने एनडीए के लिए सियासी संग्राम को सरल बनाया है. फिर चाहे मध्य प्रदेश खजुराहो में पर्चा खारिज होना हो, गुजरात के सूरत में वॉक ओवर हो या इंदौर का सबसे ताजा मामला, जहां विपक्ष के प्रत्याशी ने बीजेपी का दामन थाम लिया. आइए, जानते हैं इन तीनों अहम घटनाक्रमों के बारें में:
खजुराहो में वोटिंग से पहले INC हुई थी निराशा
यह मामला आठ अप्रैल, 2024 की है. म.प्र में चुनाव से पहले ही इंडिया गठबंधन के हाथ निराशा आई थी. समझौते के तहत उत्तर प्रदेश (यूपी) के पूर्व सीएम अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी (सपा) को दी गई खजुराहो सीट से उम्मीदवार मीरा दीपक यादव का नामांकन खारिज हो गया था, जिसके बाद सबसे अधिक निराशा कांग्रेसियों में नजर आई. ऐसा इसलिए क्योंकि वहां कांग्रेस का जनाधार रहा है.
खजुराहो में बीजेपी की तरफ से से पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा लगातार दूसरी बार प्रत्याशी हैं. 2019 का आम चुनाव उन्होंने लगभग पौने पांच लाख वोटों के अंतर से जीता था. ऐसे में सपा और कांग्रेस के सामने बड़ी समस्या खड़ी थी कि वे किसका साथ दे, क्योंकि राष्ट्रीय स्तर के दल के तौर पर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के कमलेश पटेल ही मैदान में हैं. हालांकि, 15 अप्रैल 2024 को इस सीट से कांग्रेस ने ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक के उम्मीदवार आरबी प्रजापति को समर्थन देने का फैसला लिया.
सूरत में BJP प्रत्याशी ने निर्विरोध जीता चुनाव
गुजरात की सूरत सीट से कांग्रेस उम्मीदवार नीलेश कुंभानी का नामांकन फॉर्म 20 अप्रैल, 2024 को अयोग्य घोषित कर दिया गया. तीन प्रस्तावकों (रमेश पलारा, जगदीश सावलिया और ध्रुविन धमेलिया) ने दावा किया कि उन्होंने उनके नामांकन फॉर्म पर साइन नहीं किए थे, जबकि नौ उम्मीदवार मैदान में शेष थे जिनमें से बसपा के उम्मीदवार प्यारेलाल भारती सहित आठ और निर्दलीय उम्मीदवारों ने भी नाम वापस ले लिया. यही वजह रही कि चुनावी परिणाम से पहले ही वहां बीजेपी का खाता खुल गया.
बीजेपी प्रत्याशी मुकेश दलाल निर्विरोध विजयी हुए, जिसके बाद सूरत सीट पर चुनाव नहीं होगा. राज्य में लोकसभा चुनाव में ये पहला मौका था, जब कोई प्रत्याशी निर्विरोध चुनाव जीता. सूरत में 1990 के दशक से ही काफी वोटों के अंतर से भाजपा उम्मीदवार जीतते रहे हैं, जबकि गुजरात के अधिकतर निर्वाचन क्षेत्रों में लड़ाई दो दलों (कांग्रेस और भाजपा) में है.
इंदौर में झटका, अक्षय कांति बम पीछे हटे
इंदौर सीट पर कांग्रेस को 29 अप्रैल, 2024 को तब बड़ा झटका लगा, जब वहां से पार्टी के उम्मीदवार अक्षय कांति बम ने नामांकन वापस ले लिया और फिर बीजेपी का हिस्सा बन गए. उन्होंने ऐसा करके बड़ा सियासी बम फोड़ा. ताजा घटनाक्रम के पहले इंदौर में कांग्रेस के अक्षय कांति बम और बीजेपी के उम्मीदवार शंकर लालवानी के बीच मुकाबला माना जा रहा था लेकिन अब तस्वीर कुछ ही है. पिछले विधानसभा चुनाव में इंदौर में कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया था. इंदौर में किसी सीट पर कांग्रेस को जीत नहीं मिली थी.
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