Lok Sabha Election: कपिल सिब्बल ने दिया 2024 में सीट बंटवारे का फॉर्मूला, बोले- विपक्ष एकजुट होकर लड़े तो आ सकता है UPA-3
Opposition Unity For 2024: पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने आगामी लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर विपक्षी दलों में सीट बंटवारे को लेकर एक सभी को एक समान एजेंडे पर चलने की वकालत की.
Lok Sabha Elections 2024 Date: राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने रविवार (18 जून) को कहा कि 2024 में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA)-तीन सरकार के आने की काफी संभावनाएं हैं. उन्होंने कहा, बशर्ते विपक्षी दलों के पास समान मकसद की भावना को दर्शाने वाला एक एजेंडा हो. सिब्बल ने कहा कि सभी दल लोकसभा चुनाव में बीजेपी का मुकाबला करने के लिए उम्मीदवारों को खड़ा करते समय 'बहुत कुछ देने और पाने' के लिए तैयार रहें.
पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा कि साझा न्यूनतम कार्यक्रम के बजाय विपक्षी दलों को 'भारत के लिए नयी सोच' पर बात करनी चाहिए. सिब्बल का यह बयान ऐसे समय में आया है, जब 23 जून को पटना में विपक्षी दलों की अहम बैठक होनी है, जिसकी मेजबानी बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार करेंगे. इस बैठक में कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, कांग्रेस के पूर्व प्रमुख राहुल गांधी, टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी और आम आदमी पार्टी समन्वयक अरविंद केजरीवाल समेत कई नेता आला नेता मौजूद रहेंगे.
बीजेपी को हराया जा सकता है- सिब्बल
इस बैठक में अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में बीजेपी विरोधी गठबंधन बनाने को लेकर विचार-विमर्श होगा. सिब्बल ने समाचार एजेंसी पीटीआई-भाषा से कहा कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत इस बात का उदाहरण है कि बीजेपी को हराया जा सकता है, लेकिन उन्होंने साथ ही कहा कि लोकसभा चुनाव अलग आधारों पर लड़ा जाता है.
विपक्षी दलों के पास समान मकसद हो, तो...
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने इस बात पर भी जोर दिया कि 2024 की चुनावी लड़ाई प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ नहीं, बल्कि उस विचारधारा के खिलाफ है जिसे वह बनाए रखना चाहते हैं. सिब्बल ने कहा कि 2024 में यूपीए-तीन सफल हो सकता है, बशर्ते विपक्षी दलों के पास समान मकसद हो, इसे प्रतिबिंबित करने वाला एक एजेंडा हो और वे इस सोच के साथ आगे बढ़ें कि "बहुत कुछ देने और पाने की जरूरत" है.
यूपीए-तीन की काफी संभावनाएं- कपिल
उन्होंने कहा, "उन राज्यों और निर्वाचन क्षेत्रों में टिकट वितरण के समय लेने-देने की जरूरत है, जहां दो या अधिक राजनीतिक दलों के उम्मीदवार एक ही सीट के लिए स्पर्धा कर रहे हों. मुझे लगता है कि इन तीन चीजों पर सहमति बन जाने पर यूपीए-तीन की काफी संभावनाएं हैं"
कुछ राजनीतिक दल वास्तव में प्रभावी
एजेंसी ने सिब्बल से जब पूछा कि क्या बीजेपी के खिलाफ कोई संयुक्त उम्मीदवार खड़ा करना ऐसे समय में व्यावहारिक रूप से संभव होगा, जब विपक्ष में नेताओं के बीच गंभीर मतभेद हैं? इसपर सिब्बल ने कहा कि मतभेदों की बात एक 'अतिशयोक्ति' है और कई राज्यों में, कुछ राजनीतिक दल वास्तव में प्रभावी हैं.
तृणमूल कांग्रेस प्रमुख भागीदार
उन्होंने कहा, "उदाहरण के लिए कांग्रेस राजस्थान, उत्तराखंड, हरियाणा, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे कई राज्यों में बीजेपी के खिलाफ असल विपक्ष है. इन राज्यों में कोई समस्या नहीं है. कुछ राज्यों में विपक्ष की गैर-कांग्रेस सरकार हैं, जैसे कि पश्चिम बंगाल में. हम सभी जानते हैं कि तृणमूल कांग्रेस प्रमुख भागीदार है. पश्चिम बंगाल में बहुत कम विधानसभा क्षेत्र होंगे जहां किसी भी तरह का संघर्ष होगा."
इन राज्यों में गठबंधन होने की संभावना नहीं
सिब्बल ने कहा कि इसी तरह तमिलनाडु में कोई समस्या नहीं होगी क्योंकि कांग्रेस और द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (द्रमुक) बिना किसी संघर्ष के कई बार एक साथ लड़े हैं. उन्होंने कहा, "तेलंगाना जैसे राज्य में समस्या हो सकती है. जगन मोहन रेड्डी की पार्टी (YSRCP), कांग्रेस और तेलुगू देशम पार्टी (TDP) के संभावित त्रिकोणीय मुकाबले के कारण आंध्र प्रदेश में कोई विपक्षी गठबंधन होने की संभावना नहीं है."
यूपी में समाजवादी पार्टी विपक्ष का चेहरा
सिब्बल ने कहा, "गोवा में फिर से कांग्रेस और बीजेपी के बीच सीधा मुकाबला होगा. उत्तर प्रदेश में असली विपक्ष का प्रतिनिधित्व समाजवादी पार्टी करती है. राष्ट्रीय लोकदल और कांग्रेस का कनिष्ठ सहयोगी रहना अच्छा होगा. बसपा की मायावती इन सबमें शामिल नहीं हैं, इसलिए गठबंधन की कोई संभावना नहीं है क्योंकि उन्होंने सार्वजनिक रूप से कहा है कि वह सभी संसदीय क्षेत्रों में उम्मीदवार उतारेंगी. बिहार में भी कांग्रेस की कोई वास्तविक उपस्थिति नहीं है, इसलिए मुझे नहीं लगता कि उस मोर्चे पर कोई समस्या है."
ऐसे में सीट का बंटवारा कोई समस्या नहीं होगी
उन्होंने कहा, "जिन तीन शर्तों की मैंने बात की है, उनके पूरा होने पर सीट का बंटवारा कोई वास्तविक समस्या नहीं होगा." हालिया वर्षों में राजनीतिक स्थिरता और देश के लिए उसकी महत्ता को लेकर प्रधानमंत्री के बयान पर सिब्बल ने कहा कि वह मोदी की इस धारणा को लेकर सवाल करना चाहते हैं. उन्होंने कहा, "मोदी सरकार में जिस तरह की अस्थिरता हमारे यहां रही है, वह संप्रग (संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन) के दौर में नहीं देखी गई थी."
उन्होंने कहा, पीएम मोदी ने क्या स्थिरता प्रदान की है? देखिए मणिपुर में क्या हो रहा है. सिब्बल ने आरोप लगाया कि यह केंद्र सरकार चुनी हुई सरकारों को 'भ्रष्ट' रणनीति के जरिए हटाती है. उन्होंने कहा, "निर्वाचित सरकारों को अस्थिर करने से शासन में स्थिरता नहीं आती. इस व्यवस्था ने देश में आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक अस्थिरता के बीज बोए हैं."