Lok Sabha Elections 2024: लोकसभा चुनाव 2024 के लिए समाजवादी पार्टी ने उत्तर प्रदेश की मैनपुरी सीट से डिंपल यादव को अपना प्रत्याशी चुना है. डिंपल इस सीट से मौजूदा सांसद भी हैं. मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद हुए उपचुनाव में डिंपल ने बड़े अंतर से जीत हासिल की थी. हालांकि, उनके लिए आगामी चुनाव में जीत हासिल कर अपने ससुर की विरासत बचा पाना आसान नहीं होगा. 


मैनपुरी लोकसभा सीट 1996 से समाजवादी पार्टी के खाते में रही है. 1996 में मुलायम सिंह यादव इस सीट से चुनाव जीते थे. इसके बाद से समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार लगातार इस सीट से जीत हासिल करते रहे हैं.


समाजवादी पार्टी के लिए खास है यह सीट


मैनपुरी सीट में यादव बहुल मतदाता हैं. यह सीट समाजवादी पार्टी के लिए इसलिए भी खास है क्योंकि मैनपुरी के लोगों ने ही पहली बार मुलायम सिंह को संसद भेजा था. एचडी देवगौड़ा की सरकार में मुलायम रक्षा मंत्री बने थे. तब वह इसी सीट से सांसद थे.


बलराम सिंह से दोस्ती होने के बाद मुलायम ने यह सीट उन्हें दे दी थी और खुद संबल सीट से चुनाव लड़े थे. हालांकि, बाद में बलराम के बेटे को समाजवादी पार्टी में टिकट नहीं मिला था और वह बीजेपी में शामिल हो गए. 2004 में उन्होंने मुलायम के खिलाफ इस सीट से चुनाव लड़ा और मुलायम सिंह ने 3 लाख से ज्यादा मतों के अंतर से जीत हासिल की.


धर्मेंद्र-तेज प्रताप भी जीत चुके चुनाव


2004 में रिकॉर्ड जीत के बाद मुलायम सिंह यूपी के मुख्यमंत्री बने और यह सीट खाली कर दी. ऐसे में धर्मेंद्र यादव इस सीट से चुनाव लड़े और जीत हासिल करने में सफल रहे. 2009 में फिर मुलायम ने इस सीट से जीत हासिल की. 2014 में उन्होंने सभी रिकॉर्ड तोड़ते हुए 3.64 लाख वोटों के अंतर से मैनपुरी से जीत दर्ज की. हालांकि, वह आजमगढ़ से भी चुनाव जीते थे. ऐसे में उपचुनाव में तेज प्रताप को इस सीट से टिकट मिला और वह भी बड़े अंतर से जीत दर्ज करने में सफल रहे. 2019 में फिर मुलायम यहां से जीते और उनके निधन के बाद से डिंपल यहां से सांसद हैं.


मैनपुरी सीट का समीकरण


मैनपुरी लोकसभा सीट के अंतर्गत 5 विधानसभा सीट आती हैं. मैनपुरी, करहल, किशनी, भोगांव और जसवंत नगर. 2019 में इस लोकसभा सीट में 17.2 लाख मतदाता थे. 2011 की जनगणना के अनुसार मैनपुरी जिले में 93.48 फीसदी आबादी हिंदू है. 


समाजवादी पार्टी को पारंपरिक रूप से यादव और मुस्लिम वोट मिलते रहे हैं. इस सीट पर मुस्लिम वोट की संख्या ज्यादा नहीं है, लेकिन यादव वोटर और मुलायम सिंह के प्रभाव के चलते हमेशा से ही समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार इस सीट से जीत हासिल करते आए हैं. 


माना जाता है कि उपचुनाव में डिंपल को मिली जीत में सहानुभूति फैक्टर ने भी काम किया था. अब जब राम मंदिर के उद्घाटन के बाद बीजेपी हिंदुओं का वोट बैंक अपनी ओर खींचने में भरसक प्रयास कर रही है तो माना जा रहा है कि इसका असर मैनपुरी में भी देखने को मिल सकता है. बीजेपी के प्रति अगर यहां के मतदाताओं का झुकाव हुआ तो   डिंपल के लिए यह सीट जीतना आसान नहीं होगा.


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