Assam Maulanas Appeal In Favour Of BJP: लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान विपक्षी कांग्रेस सहित अन्य दल जहां बीजेपी पर मुस्लिम विरोधी होने का आरोप लगा रहे हैं. वहीं, असम में एक दूसरी ही तस्वीर सामने आई है. यहां चुनाव के बीच मौलानाओं के एक वर्ग ने सूबे के मुसलमानों से बीजेपी के लिए मतदान करने की अपील की है. 


अंग्रेजी अखबार टाइम्स आफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, असम के मौलानाओं के एक वर्ग ने राज्य के मुसलमानों से 7 मई को राज्य में होने वाले लोकसभा चुनाव के तीसरे और अंतिम चरण में बीजेपी और उसके सहयोगियों, असम गण परिषद (एजीपी) और यूनाइटेड पीपुल्स पार्टी लिबरल (यूपीपीएल) के पक्ष में निर्णायक रूप से मतदान करने का आह्वान किया है.


असम के 13 जिलों में प्रभावी है मौलानाओं का संगठन


मौलानाओं ने गत‌ रविवार को जमात उलेमा-ए हिंद (सोहैब कासिमी गुट) के तत्वावधान में यह अपील की, जिसकी 13 जिलों में शाखाएं हैं. इनमें वे जिले भी शामिल हैं, जहां चुनाव होने वाले चार निर्वाचन क्षेत्र हैं.


जमात उलेमा-ए हिंद के राज्य अध्यक्ष अताउर रहमान कासिमी ने मतदाताओं से धुबरी में एआईयूडीएफ प्रमुख बदरुद्दीन अजमल को हराने की अपील की और उन पर धर्म के नाम पर राजनीति करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा, “यह समय बीजेपी और उसके सहयोगियों के लिए खुलकर वोट करने का है. असम के मुसलमानों को यह समझना चाहिए कि अजमल कभी भी सरकार का हिस्सा नहीं हो सकते. वह बीजेपी या कांग्रेस के साथ नहीं हैं. नरेंद्र मोदी फिर से केंद्र में सरकार बनाने जा रहे हैं, इसलिए मुसलमानों को अपना वोट बर्बाद नहीं करना चाहिए." 


'कांग्रेस ने मुसलमानों को केवल वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल किया'


कांग्रेस पर वर्षों से मुसलमानों को केवल वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल करने का आरोप लगाते हुए कासिमी ने कहा, "बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार के तहत अरुणोदय, पीएम-किसान सम्मान निधि या प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए लाभार्थियों का चयन करने में मुसलमानों के साथ कोई भेदभाव नहीं किया गया है. इस बार बीटीआर में मुस्लिम भूमिहीन परिवारों को भूमि आवंटित की गई है, जबकि बीटीआर में यूपीपीएल शासन के तहत मदरसों और मस्जिदों को भी जमीन दी गई है."


कासिमी ने आगे कहा, "कांग्रेस ने भोजन, कपड़े और आश्रय जैसी बुनियादी समस्याओं का समाधान नहीं किया है. इस समुदाय की जान और संपत्ति की सुरक्षा की तो बात ही छोड़िए. कांग्रेस ने अपने शासन के 60 वर्षों के दौरान मुसलमानों को वोट बैंक के तौर पर इस्तेमाल किया और गरीब बनाए रखा."


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