Lok Sabha Elections 2024: अखिलेश का PDA अलग... CPI का अलग? क्या मोदी के सामने कन्फ्यूज है विपक्ष, देखिए रिपोर्ट
Election 2024: लोकसभा चुनाव में पीएम मोदी को हटाने के लिए विपक्ष को एक मोर्चे पर लाने की योजना पर काम हो रहा है लेकिन इस राह में रोड़े बहुत हैं. आइए समझते हैं.
Lok Sabha Election: 2024 के लोकसभा चुनाव में अब साल भर से ही कम का वक्त रह गया है. पीएम मोदी का रथ रोकने के लिए विपक्षी एकता की मुहिम तेज हो चली है. एनडीए के सामने 450 सीटों पर विपक्ष का इकलौता उम्मीदवार उतारने की बात हो रही है, बात महागठबंधन की हो रही है लेकिन विपक्षी एकता में कन्फ्यूजन बहुत है और बीजेपी के बुलंद हौसले की वजह भी ये ही है. इस रिपोर्ट से समझते हैं.
14 साल से लोकसभा के जितने चुनाव हुए हैं, उनमें मुख्य मुकाबला बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए और कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए के बीच ही होता रहा है, लेकिन इस बार विपक्षी गठबंधन के लिए एक नए नाम की चर्चा शुरू हो गई है और ये नाम है- पीडीए. विपक्षी गठबंधन के लिए नए नाम की चर्चा आने के बाद ये सवाल उठने लगा है कि क्या 2024 में मोदी विरोधी मोर्चा नए नाम, निशान और झंडे के साथ मैदान में उतरने वाला है.
पीडीए की चर्चा से कांग्रेस को टेंशन
पीडीए के नाम की चर्चा लोगों को तो हैरान कर ही रही है, इसने कांग्रेस को भी टेंशन में डाल दिया है. आइए जरा पीडीए को समझ लेते हैं. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 23 जून, 2023 को पटना में मोदी विरोधी दलों की बैठक बुलाई. इस बैठक में 15 पार्टियों के बड़े नेता शामिल हुए, जिनमें भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) भी थी. इसी सीपीआई की बिहार यूनिट ने 24 जून को एक प्रेस रिलीज जारी की, जिसमें मोदी विरोधी गठबंधन का नाम पी.डी.ए. घोषित कर दिया. इसके साथ ही 2024 के चुनाव में एनडीए बनाम पीडीए की चुनावी जंग की चर्चा शुरू हो गई.
अखिलेश यादव और सीपीआई के पीडीए में फर्क
पीडीए का जिक्र कुछ दिन पहले ही उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने भी किया था. हालांकि, अखिलेश के पीडीए और सीपीआई वाले पीडीए के फुल फॉर्म में फर्क है. सीपीआई ने पीडीए का फुल फॉर्म पेट्रियॉटिक डेमोक्रेटिक एलायंस बताया, जबकि अखिलेश के पीडीए के मतलब पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक समझाया था. अखिलेश यादव ने तो हुंकार भी भी भर दी कि एनडीए को पीडीए हराएगा.
कांग्रेस को नाम नहीं पसंद है
सूत्रों के मुताबिक, गठबंधन को लेकर नए नाम की चर्चा कांग्रेस को पसंद नहीं आई. कांग्रेस नेताओं ने सवाल उठाया कि जब गठबंधन के नाम की चर्चा ही नहीं हुई तो नाम कहां से आया. कांग्रेस के रुख का पता चलते ही सीपीआई के टॉप लीडरशिप से सफाई सामने आ गई. सीपीआई महासचिव डी. राजा से एबीपी न्यूज ने पूछा कि क्या यूपीए का नाम पीडीए हो जाएगा तो उन्होंने कहा, नहीं. कुछ लोग ऐसा कह रहे हैं लेकिन गठबंधन का नाम वक्त के साथ तय हो जाएगा. बिहार यूनिट की प्रेस रिलीज को लेकर डी. राजा ने कहा किसी ने लिख दिया होगा
डी. राजा ने सफाई तो दे दी लेकिन ये साफ नहीं किया कि आखिर पार्टी की प्रेस रिलीज में कोई गठबंधन का नाम अपनी मर्जी से कैसे लिख सकता है. मामला बढ़ता इससे पहले गठबंधन बनाने के लिए सबसे आगे-आगे चल रही जेडीयू सामने आ गई. जेडीयू प्रवक्ता अभिषेक झा ने कहा, अभी नाम आया है, जो फैसला होगा जब शिमला की बैठक होगी तो हो जाएगा.
नाम अलग, भावना एक- समाजवादी पार्टी
समाजवादी पार्टी भी सामने आई और कहा कि नाम भले अलग हों, भावना एक ही है. पार्टी प्रवक्ता अनुराग भदौरिया ने कहा कि बीजेपी के पेट में दर्द हो रहा है. नाम चाहे हमने दिया हो या किसी और ने, दोनों पीडीए की मूल भावना एक ही है. 2024 में भारतीय जनता पार्टी की विदाई तय है.
बात यही नहीं है. प्रधानमंत्री पद को लेकर भी जोर-आजमाइश जारी है. नीतीश कुमार, ममता बनर्जी और अरविंद केजरीवाल की अघोषित दावेदारी के बीच कांग्रेस राहुल गांधी का नाम ऊपर करने में लगी है. छत्तीसगढ़ सीएम भूपेश बघेल ने कहा, चुनाव के बाद बहुमत आता है तो राहुल जी प्रधानमंत्री बनेंगे.
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