Lok Sabha Elections 2024: देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश (यूपी) में समाजवादी पार्टी (सपा) और कांग्रेस के बीच लोकसभा चुनाव 2024 के मद्देनजर गठबंधन का ऐलान हो चुका है. विपक्षी गठजोड़ इंडियन नेशनल डेवलपमेंट इंक्लूसिव अलायंस (इंडिया/I.N.D.I.A) में सपा और अन्य घटक दल 63 और कांग्रेस 17 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ेंगे. उत्तर प्रदेश में सीटों का बंटवारा तय होना कांग्रेस के लिए राहत की खबर कहा जा सकता है. हालांकि, लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी को हराने के लिए बनाए गए विपक्षी दलों के इंडिया गठबंधन में यूपी का एक और बड़ा दल बहुजन समाज पार्टी (बसपा) शामिल नहीं है. बसपा सुप्रीमो मायावती को इंडिया गठबंधन में लाने के प्रयास परवान नहीं चढ़ पाए. इन सबके बीच मायावती ने आम चुनाव 2024 अकेले ही लड़ने का ऐलान कर दिया.
मायावती को नहीं किया जा सकता नजरअंदाज
कहा जाता है कि दिल्ली की सत्ता का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर जाता है. अगर यूपी में सभी बड़े विपक्षी दल साथ नहीं आते हैं तो वोटों के बंटवारे से नुकसान होने की संभावना बढ़ जाती है. बसपा सुप्रीमो मायावती का प्रभाव यूपी में कम हुआ है, लेकिन इसके बावजूद दलित वोटबैंक के एक बड़े हिस्से पर उनका दबदबा कायम है.
नगर निगम चुनाव में दिखाया था बसपा ने ट्रेलर
इंडिया गठबंधन में बसपा सुप्रीमो मायावती के बिना क्या नुकसान हो सकता है, इसकी बानगी बीते साल 2023 में हुए नगर निगम के चुनावों में भी नजर आई थी. बीते साल उत्तर प्रदेश के सभी 17 नगर निगमों में मेयर सीट पर चुनाव हुआ था. इस चुनाव में बीजेपी ने क्लीन स्वीप करते हुए सभी 17 सीटों पर कब्जा किया था.
इन 17 सीटों में से 4 पर बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी दूसरे नंबर पर थे. इन उम्मीदवारों ने बीजेपी को आखिरी चरण तक कड़ी टक्कर दी थी. इतना ही नहीं, बसपा के इन प्रत्याशियों ने कांग्रेस और समाजवादी पार्टी का खेल भी बिगाड़ दिया था. आसान शब्दों में कहें तो इन सीटों पर सपा और कांग्रेस जीत के करीब भी नहीं पहुंच सकी थी.
एक दांव से बिखर गए थे सियासी मोहरे
जिन चार सीटों पर बीएसपी दूसरे नंबर पर थी, उनमें मथुरा-वृंदावन, सहारनपुर, गाजियाबाद और आगरा नगर निगम की मेयर सीट शामिल थीं. इन चारों सीटों पर अगर बहुजन समाज पार्टी उम्मीदवार न उतारती तो समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के उम्मीदवारों के जीतने की संभावनाएं थीं, लेकिन बसपा के एक दांव से सारा खेल बीजेपी के पाले में चला गया.
आरक्षित सीटों पर मिल सकती है चोट
लोकसभा चुनाव 2024 के लिए यूपी में सपा और कांग्रेस के गठबंधन के सामने बसपा के प्रत्याशी बड़ी चुनौती खड़ी कर सकते हैं. दरअसल, बसपा सुप्रीमो मायावती की पकड़ दलित वोटों के साथ ही मुस्लिम वोटरों में भी है. इस स्थिति में बसपा के प्रत्याशी 80 सीटों में से अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित 17 सीटों पर तो सीधी चोट पहुंचाने की स्थिति में आ सकती है.
इससे इतर कई सीटों पर जहां कम मार्जिन से जीत-हार तय होती है, वहां भी बसपा का काडर वोटबैंक जीत की हवा को सपा-कांग्रेस गठबंधन के विपरीत दिशा में मोड़ सकता है. अब देखना दिलचस्प होगा कि बहुजन समाज पार्टी के बिना लोकसभा चुनाव 2024 में यूपी के लिए ये गठबंधन कितना कारगर होगा.