साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर सभी पार्टियों की तैयारियां तेज हो गई है. अलग-अलग स्तर पर राजनीतिक गठजोड़ और समीकरण बनने लगे हैं. इस लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र की महाविकास अघाड़ी भी शिंदे- भारतीय जनता पार्टी गठबंधन को चारों खाने चित करने की तैयारी में है.
इस बार महाराष्ट्र में कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना (उद्धव गुट) महाविकास अघाड़ी के तहत मिलकर चुनाव लड़ेंगी, लेकिन तीनों दलों के भीतर सीटों को लेकर खिंचातानी मची है.
दरअसल एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने यह साफ कर दिया है कि सीट शेयरिंग फॉर्मूले पर महाविकास आघाड़ी फिलहाल किसी ठोस परिणाम पर नहीं पहुंच सकी है.
बंटवारे को लेकर पार्टी में शामिल तीनों दल (कांग्रेस-एनसीपी-उद्धव गुट) अपने-अपने फॉर्मूले रख रहे हैं. जबकि कोई भी पार्टी अपनी जीती हुई सीटों को छोड़ने के लिए तैयार नहीं है.
ऐसे में सबसे बड़ा सवाल उठता है कि आखिर महाविकास अघाड़ी में सीटों का बंटवारा कैसे होगा?
पिछली बार यानी साल 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में शिवसेना ने 18 सीटों पर जीत दर्ज की थी, जबकि 4 सीटों पर एनसीपी और 1 सीट कांग्रेस को जीत मिली थी. इस तरह कुल 48 में से 23 सीट फिलहाल महाविकास अघाड़ी के पास है.
वहीं 22 मई को अजित पवार ने कहा कि एक तरफ जहां उद्धव ठाकरे इस बात पर जोर देने में लगे हैं कि पिछली बार की जीती हुई सीटों को छोड़ कर बची हुई सीटों पर बात शुरू की जाए. तो वहीं दूसरी तरफ महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष नाना पटोले सीट शेयरिंग फॉर्मूले पर मेरिट का सवाल उठा रहे हैं.
19 सीटों पर शिवसेना ठोक सकती है दावेदारी
2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर सीट बंटवारे पर अगले सप्ताह बैठक होने वाली है. उद्धव गुट की शिवसेना उन 18 सीटों पर दावेदारी कर रही है जो उन्होंने साल 2019 के लोकसभा चुनाव में जीता था.
हाल ही में राज्यसभा सांसद और शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा कि उनकी पार्टी एक बार फिर महाराष्ट्र की 18 सीटें और दादरा-नगर हवेली यानी कुल मिलाकर 19 लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज करेगी.
अजित पवार का फॉर्मूला
वहीं दूसरी तरफ एनसीपी के नेता अजित पवार का कहना है कि महाविकास अघाड़ी के सहयोगियों को उन 25 लोकसभा सीटों पर बंटवारे की चर्चा करनी चाहिए जिसपर साल 2019 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी या फिर अन्य दलों ने जीत दर्ज की थी.
उनका कहना है कि महाविकास अघाड़ी में शामिल तीनों दलों की पिछले लोकसभा चुनाव में जीती हुई 23 सीट पर बात करने की जरूरत ही नहीं है.
सीट शेयरिंग को लेकर कांग्रेस का ये है तर्क
महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष नाना पटोले ने महाविकास अघाड़ी में सीटों के बंटवारे को लेकर कहा कि लोकसभा चुनाव में जिस पार्टी के कैंडिडेट में जीतने की क्षमता ज्यादा होगी, उसी कैंडिडेट को भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ लड़ने के लिए उतारा जाना चाहिए. इससे उस सीट पर महाविकास अघाड़ी के जीतने की उम्मीद बढ़ जाएगी.
वहीं महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण ने कहा कि इस गठबंधन में कोई भी सहयोगी छोटा या बड़ा नहीं है. महाविकास अघाड़ी तीन सहयोगियों की तिगड़ी है. उन्होंने कहा कि सीटों के बंटवारे पर भी अभी कोई बात नहीं हुई, लेकिन जो पार्टी जिस क्षेत्र में मजबूत है उन्हें उस सीट पर चुनाव लड़ना चाहिए.
2019 के लोकसभा चुनाव में क्या था सीटों का समीकरण
महाराष्ट्र में 48 लोकसभा सीटें हैं. लोकसभा चुनाव के लिहाज से यह राज्य सभी पार्टियों के लिए इतना जरूरी इसलिए है क्योंकि उत्तर प्रदेश के बाद सबसे ज्यादा लोकसभा सीटें महाराष्ट्र में ही है. साल 2019 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी शिवसेना एक साथ मिलकर चुनावी मैदान में उतरी थी जबकि कांग्रेस को एनसीपी का साथ मिला था.
48 सीटों में से भारतीय जनता पार्टी 25 सीटों पर चुनाव लड़ी थी और 23 सीटें जीतने में कामयाब हुई थी. जबकि शिवसेना ने 23 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 18 सीटें अपने नाम किया था.
कांग्रेस और एनसीपी की बात करें तो कांग्रेस 2019 लोकसभा चुनाव में 25 सीटों पर चुनाव लड़कर सिर्फ 1 सीट ही जीत सकी थी जबकि एनसीपी 19 सीटों पर चुनाव मैदान में उतरी थी और 4 सीटें जीतने में कामयाब रही. एनसीपी ने एक सीट पर निर्दलीय को समर्थन किया था.
2019 में किसका किसके साथ था मुकाबला
साल 2019 लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी का मुकाबला कांग्रेस से था. वहीं शिवसेना का एनसीपी के साथ मुकाबला था. भारतीय जनता पार्टी जिन 25 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ी थी, उनमें से उनका सामना 15 सीटों पर सीधे कांग्रेस से हुआ. बाकी 9 सीट पर कांग्रेस के सामने एनसीपी लड़ रही थी.
दूसरी तरफ शिवसेना जिस 23 सीटों पर मैदान में उतरी थी, उनमें से 10 सीटों पर उनका मुकाबला सीधा एनसीपी से था और आठ सीट पर उनके सामने कांग्रेस थी.
इस लोकसभा चुनाव में समीकरण कैसे बदला?
पिछले पांच साल में महाराष्ट्र की राजनीतिक समीकरण और गठजोड़ दोनों में ही बड़ा बदलाव आया है. वर्तमान की स्थिति ये है कि भारतीय जनता पार्टी और शिवसेना अलग हो चुकी है और शिवसेना भी दो गुटों में बंट चुकी है.
शिवसेना का एक भाग उद्धव ठाकरे के साथ है तो दूसरा एकनाथ शिंदे के साथ. वर्तमान में शिवसेना की जो दो धाराएं हैं उसमें साल 2019 में जीते हुए 18 सांसद बंट गए हैं.
फिलहाल 12 लोकसभा सदस्य एकनाथ शिंदे के साथ हैं और 6 सांसद उद्धव ठाकरे की शिवसेना के साथ. साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में एकनाथ शिंदे की शिवसेना बीजेपी के साथ है तो उद्धव ठाकरे महाविकास अघाड़ी से मिल गए हैं.
बीजेपी एकनाथ शिंदे सीट शेयरिंग
एकनाथ शिंदे और बीजेपी के बीच की सीट शेयरिंग की बात करें तो यहां सीटों का बंटवारा इतना ज्यादा पेचीदा नहीं है, जितना महाविकास अघाड़ी में है. शिंदे की कोई बड़ी डिमांड भी नहीं है.
वह अभी भी बीजेपी की मदद से ही पार्टी चला रहे हैं. जबकि दूसरी तरफ महाविकास अघाड़ी में जो तीन पार्टियां हैं (कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना) उनकी ताकत लगभग बराबर है. ऐसे में कोई भी दल किसे कम सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए रजामंद नहीं हो रहा है.
बराबर सीटें बांटी जाती है तो किसे कितना मिलेगा
महाविकास अघाड़ी की तीनों पार्टियों (कांग्रेस-एनसीपी-उद्धव गुट) को अगर बराबर-बराबर सीटें मिलती है और चुनाव लड़ने का ये एक फॉर्मूला बनता है, तो ऐसे स्थिति में तीनों को ही 16-16-16 सीटें मिलेंगी जिस पर वह चुनाव लड़ेंगे.
हालांकि, तीनों ही पार्टियों की तरफ से जिस तरह के बयान सामने आ रहे हैं उससे ये तो साफ है कि सीट शेयरिंग पर सहमति बने. एनसीपी नेता अजित पवार ने कहा कि उद्धव ठाकरे का कहना है कि पिछली बार की जीती हुई सीट पर बात करने की जरूरत ही नहीं है.
संगठन को मजबूत बनाने का प्लान
मुंबई के वाईबी सेंटर में 15 मार्च को महाविकास अघाड़ी की महाबैठक हुई थी. इस बैठक में संगठन को मजबूत बनाने के लिए प्लान बनाया गया. इस मौके पर अलग-अलग जिलों के नेताओं को उनकी जिम्मेदारियां सौंपी गईं.
सभा को संबोधित करते हुए उद्धव ठाकरे ने कहा कि छत्रपति महाराज ने जो अपने दम पर करके दिखाया था. वही अब महाविकास अघाड़ी में हम सबको साथ करके दिखाना है.
'एक-एक शख्स को जोड़ना जरूरी'
ठाकरे ने बैठक के दौरान कहा कि चुनाव आते हैं जाते हैं, लेकिन 2024 चुनाव निर्णायक है. अगर इस चुनाव में बीजेपी को नहीं रोका तो देश में तानाशाही का राज होगा.
उसके बाद साथ रहे न रहे चुनाव आए या जाए यह जरूरी नहीं है. हमें हर गांव के एक-एक शख्स को जोड़ना है और हमें एक साथ महा विकास आघाडी के प्लेटफार्म पर काम करना है.
सीट आवंटन को लेकर अजित पवार ने क्या कहा?
“हम महाविकास अघाड़ी की एक घटक पार्टी है. हमें मोर्चा मजबूत रखना है. लेकिन ऐसा करते वक्त याद रखें कि अगर आपकी ताकत ज्यादा होगी तभी महाविकास अघाड़ी में आपकी कद्र होगी.
पिछले हर चुनाव में कांग्रेस को ज्यादा सीटें मिली थीं. सीट बंटवारे में हमें छोटे भाई की भूमिका निभाई थी. लेकिन अब हम कांग्रेस से बड़े भाई हो गए हैं. क्योंकि उनके पास 44 सीटें और 54 सीटें हैं. उद्धव ठाकरे के पास 56 विधायक थे. यह गणित है.
सीट आवंटन को लेकर महाविकास अघाड़ी का फॉर्मूला तय होना है. लेकिन इससे पहले भी एनसीपी की तरफ से अजित पवार कह चुके हैं कि हम बड़े भाई हैं.
अजीत पवार के बड़े भाई वाले बयान पर संजय राउत ने क्या कहा
हम सभी का एक बार डीएनए टेस्ट कराएंगे. इस मजाक को समझिए. बीच में शिवसेना-बीजेपी गठबंधन में छोटा भाई, बड़ा भाई का मुद्दा भी उठा. तब भी मैंने कहा था कि डीएनए टेस्ट कराना होगा.
महाविकास अघाड़ी में किसी भी तरह से ऐसा कोई मतभेद नहीं है. अब हम क्या कहें इससे भी बढ़कर हर कोई अपनी पार्टी की स्थिति को पेश कर रहा है. हमें अपने कार्यकर्ताओं को सशक्त बनाने के लिए ऐसी भूमिकाएं निभानी होंगी.