Saamana Attack On Raj Thackeray: लोकसभा चुनाव 2024 से पहले महाराष्ट्र की राजनीति में उस वक्त हलचल तेज हो गई जब महाराष्ट्र नव निर्माण सेना (एमएनएस) प्रमुख राज ठाकरे नें दिल्ली में केंद्रीय मंत्री अमित शाह से मुलाकात की. इस मुलाकात का जिक्र करते हुए शिवसेना (यूबीटी) के मुखपत्र सामना में एक लेख लिखा गया और पुलवामा अटैक को लेकर राज ठाकरे पर तंज कसा गया.


सामना ने लिखा, “पुलवामा हमले से पहले बैंकॉक में अजीत डोभाल और पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के बीच गुप्त बैठक क्यों हुई? ऐसा सवाल राज ठाकरे को काफी समय से कचोट रहा था और जिसके चलते उनका मन अशांत था. पुलवामा में 40 जवानों के नरसंहार के पीछे कुछ काला था और 2019 के चुनाव से पहले भी उनके मन में कई सवाल उठते रहे कि यह नरसंहार कैसे हुआ. पिछले मंगलवार को दिल्ली में गृहमंत्री अमित शाह से हुई मुलाकात के बाद पुलवामा हत्याकांड के बाबत राज ठाकरे के मन में बवंडर पैदा करने वाले सभी सवालों के जवाब मिल गए होंगे और हर्षवर्धन पाटील की तरह उन्हें भी गहरी नींद आ गई होगी, इसमें किसी के मन में कोई संदेह नहीं होना चाहिए.”


सामना के जरिए उद्धव ठाकरे के राज ठाकरे से सवाल


सामना में जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक के बयान का जिक्र करते हुए कहा गया, “पुलवामा में 40 जवानों की हत्या कर दी गई. उस हत्याकांड के लिए लोकसभा चुनाव का मौसम चुना गया. सत्यपाल मलिक उस समय जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल थे. केंद्र सरकार की लापरवाही के कारण 40 जवानों को अपनी जान गंवानी पड़ी. मलिक ने इस बारे में कई विस्फोटक खुलासे किए.”


शिवसेना (यूबीटी) के मुखपत्र में सवाल किया गया, “400 किलोग्राम आरडीएक्स से लदी एक गाड़ी इतनी सारी चौकियां कैसे पार कर सकती है और जवानों की बस से कैसे टकरा सकती है? ये पहला सवाल और आरडीएक्स भरी कार का रजिस्ट्रेशन किस राज्य का था? यह दूसरा सवाल है. गाड़ी का रजिस्ट्रेशन गुजरात राज्य का था यह बात सामने आई तो फिर ये गाड़ी पुलवामा तक आसानी से कैसे पहुंच गई? यह तीसरा अहम सवाल है.”


‘राज ठाकरे के मन में आए होंगे ये सवाल’


राज ठाकरे से सवाल करते हुए सामना में लिखा गया, “पुलवामा हमले के मामले की गहन जांच चाहने वाले देश के चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ बिपिन रावत की भी बाद में एक संदिग्ध दुर्घटना में मौत हो गई. वह एक बेहद सुरक्षित सैन्य हेलिकॉप्टर में यात्रा कर रहे थे और वह हेलिकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया. क्या पुलवामा हत्याकांड से जुड़े कई रहस्यों को रावत के साथ ही खत्म कर दिया गया? ऐसा सवाल तब देशवासियों के साथ-साथ राज ठाकरे के मन में भी आया होगा.”


सामना में आगे लिखा गया, “निश्चित रूप से उन्हें पुलवामा नरसंहार में जान गंवाने वाले 40 जवानों के प्रति सहानुभूति थी. अन्यथा वे भरी सभा में पुलवामा नरसंहार के पीछे के नए रहस्य की घोषणा नहीं करते. पुलवामा हमले से पहले बैंकॉक में अजीत डोभाल और पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की मुलाकात क्यों हुई? राज का ये सवाल चौंकाने वाला था और है. अगर उस सवाल का जवाब कल के दिल्ली की ग्रेट भेंट के दौरान गृहमंत्री अमित शाह से मिल गया हो तो राज को वह जानकारी सार्वजनिक करनी चाहिए. यह राष्ट्रहित के लिए महत्वपूर्ण है.”


शिवसेना (यूबीटी) के मुखपत्र में ये भी लिखा गया, “राज ने इस बात पर भी अफसोस जताया था कि भारतीय गणतंत्र, आजादी को मोदी-शाह फांसी पर लटका रहे हैं. हो सकता है कि राज ने शाह के दफ्तर से फंदे की रस्सी जब्त कर ली हो और उसे महाराष्ट्र ले आए हों. कुल मिलाकर, भयभीत मोदी-शाह अपनी तानाशाही की पकड़ को मजबूत करना चाह रहे हैं.”


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