Supreme Court Verdict On EVM: लोकसभा चुनाव 2024 के दूसरे फेज की वोटिंग के दौरान यानी शुक्रवार (26 अप्रैल) को सुप्रीम कोर्ट महत्वपूर्ण फैसला सुनाएगा. इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) के जरिए डाले गए वोटों के साथ वोटर वैरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) पर्चियों का मिलान वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट फैसला सुनाएगा.
मामले में बुधवार (24 अप्रैल) को ही सुनवाई पूरी हो गई थी. कई संगठनों ने याचिका दाखिल करके ईवीएम और वीवीपैट की पर्चियों के मिलान की मांग की थी. इस पर लंबी सुनवाई चली थी. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच शुक्रवार को इस मामले में फैसला सुनाएगी.
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने ये कहा था
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने सुनवाई के दौरान कहा था कि उसे कुछ पहलुओं पर स्पष्टीकरण की जरूरत है क्योंकि आयोग की ओर से ईवीएम के बारे में ‘बार-बार पूछे जाने वाले प्रश्नों’ (एफएक्यू) पर दिए गए उत्तरों को लेकर कुछ भ्रम की स्थिति है. बेंच ने कहा कहा था- हमें कुछ संशय है और स्पष्टीकरण की जरूरत है. हम निष्कर्षों में तथ्यात्मक रूप से गलत नहीं होना चाहते, बल्कि पूरी तरह सुनिश्चित होना चाहते हैं.
वैसे, इससे पहले इस बेंच ने 24 अप्रैल को सभी पक्षों की दलील सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था. कोर्ट ने न्यायालय ने चुनाव आयोग के समक्ष उठाए गए सवालों के जवाबों का संज्ञान लेने के बाद फैसला सुरक्षित रखा था.
सुप्रीम कोर्ट से की गई है ये मांग
याचिकाकर्ताओं की तरफ से मांग की गई कि ईवीएम पर मतदाताओं का विश्वास बनाए रखने के लिए VVPAT की पर्चियों की 100 फीसदी गिनती कराई जानी चाहिए. वहीं, चुनाव आयोग ने EVM को पूरी तरह सुरक्षित बताते हुए कहा कि वीवीपैट की पर्चियां बहुत छोटी और महीन होती है तो कोर्ट ने भी सुनवाई के दौरान टिप्पणी की थी कि हर चीज पर अविश्वास नहीं जता सकते.
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की बेंच ने निर्वाचन आयोग के एक अधिकारी से ईवीएम की कार्य-प्रणाली के संबंध में पांच प्रश्न पूछे थे जिनमें यह प्रश्न भी शामिल है कि क्या ईवीएम में लगे ‘माइक्रोकंट्रोलर’ को फिर से प्रोग्राम किया जा सकता है या नहीं. कोर्ट में पेश हुए वरिष्ठ उप निर्वाचन आयुक्त नीतेश कुमार व्यास ने इससे पहले ईवीएम की कार्य-प्रणाली के बारे में अदालत में प्रेजेंटेशन दी थी.